रामनगर का किला वाराणसी के रामनगर में स्थित एक प्रसिद्ध किला है। यह तुलसी घाट के सामने गंगा के पूर्वी तट पर स्थित है। बलुआ पत्थर की संरचना वाले इस किले का निर्माण 1750 में काशी नरेश राजा बलवंत सिंह द्वारा मुगल शैली में कराया गया था जो वर्तमान समय में किला अच्छी हालत में नहीं है। यहां अठारहवीं शताब्दी से ही काशी नरेश रह रहे हैं। यह वाराणसी से 14 किलोमीटर और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रामनगर किले में एक मंदिर और मैदान के भीतर एक संग्रहालय है और मंदिर वेद व्यास को समर्पित है, जिन्होंने महान भारतीय महाकाव्य महाभारत लिखा था। संग्रहालय के अंदर विंटेज कारें, रॉयल पालकी, तलवारों का एक शस्त्रागार और पुरानी बंदूकें, हाथी दांत का काम और प्राचीन घड़ियां रखी गई हैं। किले के अंदर छिन्नमस्तिका , दुर्गा मंदिर और दक्षिण मुखी हनुमान का मंदिर है। रामनगर किले की विशाल दीवारों पर एक बड़ी घड़ी लगी है। यह घड़ी न केवल वर्ष, महीना, सप्ताह और दिन प्रदर्शित करती है बल्कि सूर्य, चंद्रमा और सितारों के नक्षत्रों के बारे में खगोलीय तथ्य भी बताती है। रामनगर किले का निर्माण मुगल शैली में वर्ष 1750 में चुनार के बलुआ पत्थर से किया गया था। किले की आकर्षक नक्काशीदार बालकनी, खुले आंगन और प्रदर्शनी क्षेत्र इसकी सुंदरता और आकर्षण को बढ़ाते हैं।
अक्टूबर महीने में दशहरा के अवसर पर भगवान राम के जीवन पर आधारित रामलीला का यहां मंचन होता है जो की विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यह किला रंगीन और जीवंत हो उठता है। भव्य किले को देखने के लिए शाही परिवार किले के चारों ओर सजे हुए हाथी पर सवार होकर घूमता है।
रामनगर किला कैसे पहुंचें
रामनगर वाराणसी में स्थित है इसलिए इस शहर में आने के लिए देश के प्रत्येक कोने से सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां आने के बाद आप स्थानीय साधनों से बेहद आसानी से रामनगर किला पहुंच सकते हैं।