ग्वालियर किला: जिसे मिला था भारत के किलों में मोती का दर्ज़ा, आप भी यहाँ की खूबसूरती एकबार जरूर देखें

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Photo of ग्वालियर किला: जिसे मिला था भारत के किलों में मोती का दर्ज़ा, आप भी यहाँ की खूबसूरती एकबार जरूर देखें by Pooja Tomar Kshatrani

मध्य प्रदेश को भारत का दिल कहा जाता है क्योंकि, यह ना सिर्फ देश का सबसे बड़ा राज्य है बल्कि बेहद खूबसूरत भी है। इसलिए इस राज्य की खूबसूरती देखने के लिए हर महीने लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके अलावा, इस राज्य की खूबसूरती को निहारने इतिहासकार ज्यादा आते हैं। क्योंकि मध्य प्रदेश में प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक कई ऐसे फोर्ट्स के निर्माण हुए, जो भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में भी प्रसिद्ध हैं जैसे ग्वालियर का किला, ओरछा किला आदि।

इन किलों की वास्तुकला दिखने में जितनी दिलचस्प है, इनका इतिहास भी उतना ही रोचक है। इसलिए आज हम आपको मध्य प्रदेश के सबसे लोकप्रिय ग्वालियर किले के बारे में और इसके इतिहास के बारे में कुछ रोचक बातें बताते हैं। जिसे जानने के बाद यकीनन आपको ग्वालियर फोर्ट घूमने में मज़ा आएगा।

ग्वालियर किले का इतिहास

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ग्वालियर का किला मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। हालांकि, मध्यप्रदेश में ग्वालियर नाम का एक पूरा शहर मौजूद है। यहां घूमने के लिए काफी कुछ है लेकिन आप ग्वालियर फोर्ट देखने जा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण 8 वीं शताब्दी में किया गया था।

8 वीं शताब्दी में निर्मित इस फोर्ट को भारत का जिब्राल्टर भी कहा जाता है। हालांकि, कई शोध के अनुसार इस किले का निर्माण सूर्यसेन नामक एक स्थानीय सरदार ने किया था। कई इतिहासकारों का ये भी कहना है कि इस किले पर पाल वंश, मुगल वंश, भीम सिंह, महाराजा देवराम आदि जैसे राज्यों ने कई सालों तक शासन भी किया था।

इस किले को लेकर बताया जाता है कि मुगल सम्राट बाबर ने यहाँ के बारे में कहा था कि यह हिंद के किलों के गले में मोती के सामान है।

किले के इतिहास दो भागो में बंटा हुआ है जिसमें एक हिस्सा मान मंदिर पैलेस और दूसरा एक गुर्जरारी महल है।

कैसी है वास्तुकला?

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यह किला तीन वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। साथ ही, इस किले की ऊंचाई 35 फीट है, जो ग्वालियर शहर के गोपांचल नामक एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है।इस किले की संरचना खूबसूरत लाल पत्थरों से बनाई गई है। साथ ही, इस किले की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है, किले की दीवारों को कई खूबसूरत डिजाइन और शिलालेखों से सजाया गया है।

अगर आप इतिहास को जानने में रुचि रखते हैं, तो इस किले को एक्सप्लोर करना आपके लिए बेस्ट रहेगा। हालांकि, इस किले की वास्तुकला काफी खूबसूरत है। साथ ही, इसकी संरचना काफी मजबूत और प्रभावशाली है।

क्या है खास? -

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चतुर्भुज मंदिर

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अगर आप किसी अच्छी जगह घूमना चाहते हैं और आपको इतिहास जानने के बारे में दिलचस्पी है, तो ग्वालियर से अच्छी आपके लिए कोई नहीं है। ग्वालियर का किला पूरे भारत में एक मोती के सामान है। यहाँ के किले की बनावट आने वाले पर्यटकों को बेहद लुभाती है। यहाँ हम ग्वालियर के किले की उन जगह की जानकारी दे रहे हैं, जहाँ आपको एक बार जरुर जाना चाहिए।

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शून्य से मैं इसलिए शुरू कर रही हूँ क्योंकि किले की शुरुआत भी इसी संख्या से होती है। यह चतुर्भुज मंदिर इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसमें एक अभिलेख है जिसके विषय में कहा जाता है कि इसमें ही 0 का प्रयोग पहली बार संख्या के तौर पर किया गया था। मंदिर के बाहर भी शिलालेख जो मंदिर के विषय में जानकारी देता है।

1. मान मंदिर महल

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मान मंदिर की कलात्मकता और कहानी यहाँ आने वाले पर्यटकों को बेहद लुभाती है। मान मंदिर महल तोमर वंश के राजा महाराजा मान सिंह ने 15 वीं शताब्दी में अपनी प्रिय रानी मृगनयनी के लिए बनवाया था।

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इस मंदिर को पेटेंट हाउस भी कहा जाता है क्योंकि इनमे फूलो पत्तियों मनुष्यों और जानवरों के चित्र बने हुए हैं। जब आप इस महल के अंदर जायेगे तो आपको एक यहाँ आपको एक गोल काराग्रह मिलेगा, इस जगह औरंगजेब ने अपने भाई मुराद की हत्या की थी। इस महल में एक तालाब भी है जिसका नाम जौहर कुंड है। यहां पर राजपूतो के पत्नियां सती होती थी।

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2. हाथी पोल गेट या हाथी पौर

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हाथी पोल गेट किले के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इस गेट को राव रतन सिंह ने बनवाया था। यह गेट मैन मंदिर महल की ओर जाता है। यह सात द्वारों की श्रृंखला का आखिरी द्वारा है। इसका नाम हाथी पोल गेट इसलिए रखा गया है कि इसमें दो हाथी बिगुल बजाते हुए एक मेहराब बनाते हैं। यह गेट देखने में बेहद आकर्षक लगता है।

3. कर्ण महल

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कर्ण महल, ग्वालियर किले का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्मारक है। तोमर वंश के दूसरे राजा कीर्ति सिंह ने कर्ण महल का निर्माण करवाया था। राजा कीर्ति सिंह को कर्ण सिंह के नाम से भी जाना जाता था, इसलिए इस महल का नाम कर्ण महल रखा गया।

4. विक्रम महल

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विक्रम महल को विक्रम मंदिर के नाम से भी जाना-जाता है क्योंकि महाराजा मानसिंह के बड़े बेटे विक्रमादित्य सिंह ने इस मंदिर को बनवाया था। विक्रमादित्य सिंह, शिव जी का भक्त था। मुगल काल समय इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था, लेकिन बाद इसके विक्रम महल के सामने खुली जगह में फिर से स्थापित किया गया है।

5. सहस्त्रबाहु मंदिर

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सास-बहू मंदिर कच्छपघाट वंश द्वारा 1092-93 में बनाया गया था। यह मंदिर विष्णु को समर्पित है। इसका आकार पिरामिड नुमा है, जो लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है।

ग्वालियर किला खुलने का समय

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यहां किले कि खूबसूरती देखते हुए अब यहाँ काफ़ी प्री - वेडिंग शूट और फाॅटोशूट भी होने लगे है। अगर आप कम भीड़ भाड़ में घूमना या शूट कराना चाहते है तो यहाँ आपको सुबह सुबह आना चाहिए। यह किला सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।