हिंदू धर्म के प्रसिद्ध और चार धामों में से एक पवित्र तीर्थ स्थल श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो गए हैं। रविवार, 17 नवंबर को जय बदरीविशाल के जयकारे के साथ पूरे विधि विधान से शीतकाल के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इस अवसर पर श्री बदरीनाथ धाम में देश-विदेश से 10 हजार से अधिक श्रद्धालु आए हुए थे। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित श्री बदरीनाथ मंदिर के अब छह महीने के बाद अक्षय तृतीया को फिर से खुलेंगे। यहां भगवान विष्णु की पूजा बदरी विशाल के रूप में की जाती है।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले करीब 15 क्विंटल फूलों से मंदिर का श्रृंगार किया गया। फूलों के श्रृंगार से मंदिर का दिव्य और भव्य रूप देखते ही बन रहा था। पूरा माहौल भक्तिमय हो गया था। बामणी और पांडुकेश्वर की महिला भक्तों ने कपाट बंद होने से पहले लोकगीत, मंगल गीत और नृत्य के माध्यम से भगवान का ध्यान किया, जिसे देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।
कपाट बंद होने के दिन मंदिर के बाहर सुबह चार बजे से भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। साढ़े चार बजे अभिषेक पूजा के साथ ही मंदिर दिन भर भक्तों के लिए खुला रहा। भगवान बदरीनाथ का भव्य श्रृंगार किया गया। रात में आठ बजे के करीब कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई और रात नौ बजकर सात मिनट पर विधि-विधान के साथ कपाट बंद कर दिए गए। इसी के साथ इस साल की चारधाम यात्रा समाप्त हो गई।
कपाट बंद होने के बाद भगवान श्री बदरी विशाल की शीतकालीन पूजा योग जोशीमठ के श्री नृसिंह मंदिर में होती हैं। मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद श्री बदरीनाथ धाम में देवता गण भगवान बदरी विशाल की आराधना करते हैं। श्रीबदरीनाथ धाम से पहले भाईदूज को श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद हुए थे। इसके साथ ही गंगोत्री और यमुनोत्री धाम मंदिर के कपाट बंद हो गए हैं।
इस साल 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने श्री बदरीनाथ धाम के दर्शन किए हैं। अगर चारों धाम की बात करें तो करीब 48 लाख श्रद्धालु इस साल यहां आए हैं। चारधाम के कपाट आमतौर पर अप्रैल-मई के खुलकर अक्टूबर-नवंबर में बंद होते हैं। श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही यहां आए साधु-संत और पुजारी मैदानी इलाकों में चले जाते हैं। सर्दी खत्म होने और कपाट खुलने के बाद इन साधु-संतो के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ फिर से जुटने लगती है। श्री बदरीनाथ धाम में आस्था और श्रद्धा का एक अलग ही अनुभव होता है। पड़ाकों के बीच इस तीर्थ स्थल पर आकर लोगों के मन को असीम शांति मिलती है।