
India - Nepal Border, Sonouli, Uttar Pradesh
हमारे देश के पड़ोस मे एक सुंदर देश है नेपाल जो हमारे देश की जमीनी सीमाओ मे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम आदि राज्यो से जुड़ा हुआ है। इसके एक तरफ महान हिमालय पर्वत है और दूसरी तरफ भारत और भूटान देश। पिछले दिनो हमने नेपाल के एक शॉर्ट ट्रिप की थी जो अपनी कार से ही की थी। कई बार लोगों को ये जानकारी नहीं होती कि अपनी कार से कैसे नेपाल यात्रा करे, उसमे क्या डॉक्युमेंट्स लगेगे और पूरी प्रक्रिया कैसे होगी ?

खैर, पता तो हमे भी नहीं था कि क्या प्रक्रिया होती है ? हमारे ग्रुप से एक - दो लोग पहले प्राइवेट व्हिकल से नेपाल होकर आए थे तो उन्हें कुछ आइडिया था। हमने सोचा चलो, करके देखते है कुछ न कुछ नया सीखने को ही मिलेगा। वैसे आज कल इंटरनेट पर बहुत सी जानकारी आसानी से मिल जाती है कि कैसे प्राइवेट व्हिकल से नेपाल यात्रा करे। फिर भी पूरी प्रक्रिया आसान तरीके से बताते है : -
नेपाल मे भारत से सड़क द्वारा प्रवेश करने के लिए मुख्य रूप से 4-5 सीमा चोकियाँ है जहाँ से नेपाल जाया जा सकता है -
1 सोनौली बार्डर, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
2 पानीटंकी, सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल)
3 रक्सोल, बेतिया (बिहार)
4 बनबसा, हल्द्वानी (उत्तराखंड)
इसके अतिरिक्त और भी सड़क मार्ग की चोकियां है जहां से नेपाल मे प्रवेश किया जा सकता है। हर सीमा चोकी पर एक आव्रजन कार्यालय है जहां हमे अपने परिचय पत्र के साथ आने का कारण और वापस लौटने का समय बताना होता है उसके अनुसार नेपाल का परमिट मिलता है। भारतीय नागरिकों को देश में प्रवेश करने के लिए नेपाली वीज़ा की आवश्यकता नहीं है, हालाँकि, उन्हें वैध पहचान प्रमाण साथ रखना होगा। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यूआईडी या आधार कार्ड पहचान का अनिवार्य प्रमाण नहीं है। अगर पासपोर्ट है तो उसे जरूर साथ रखे, सामान्यता आधार कार्ड या वोटर कार्ड से काम चल जाता है।

हम लोग गोरखपुर के सोनौली बार्डर से नेपाल गए थे। करीब 28 साल पहले (1997) मैं अपने स्कूल के एक स्काउट कैंप मे नेपाल, सिक्किम, दार्जिलिंग की एडवेंचर यात्रा पर आया था। उस यात्रा मे करीब 150 लोग थे जो मध्य प्रदेश के अलग अलग स्कूल के स्काउट्स थे। तब हम सोनौली बार्डर से नेपाल मे गए थे और सिक्किम की तरफ से बाहर आए थे।

गोरखपुर आने के लिए बस, ट्रेन और प्लेन सुविधा लगभग सभी बड़े शहरों से मिल जाती है। गोरखपुर से सोनौली बार्डर करीब 95 किलोमीटर दूर है।
अब देखते है नेपाल मे अपने व्हिकल से जाने के लिए कौन - कौन से मुख्य काम करने है -
1. करेंसी एक्स्चेंज - सबसे पहला काम है इंडियन करेंसी को नेपाली करेंसी मे बदलवाना। इसके लिए सीमा पार करते ही दाहिने तरफ नेपाल सरकार का कार्यालय है जहां हम आसानी से इंडियन रुपए को नेपाली रुपए मे बदलवा सकते है।
हमारे यहा एक कहावत है "सोलह सौ के हजार करना" मतलब कोई ऐसा कार्य या बिज़नस करना जिसमे घाटा हो। यहाँ एक अच्छी बात ये है कि इंडियन रुपए को नेपाली रुपए मे बदलवाने मे "हजार के सोलह सौ" मिलते है। यानि मुद्रा विनिमय के कारण हमारे यहा के 100 रुपए के बदले मे हमे 160 नेपाली रुपए मिलेगे।
यहाँ ध्यान रखने वाली बात ये है कि अपनी आवश्यकता अनुसार ही करेंसी बदलवाए क्योंकि वापस लौटने पर जब हम नेपाली करेंसी को वापस इंडियन करेंसी मे बदलवाते है तो कमिशन काटकर 100 भारतीय रुपए के 140 नेपाली रुपए के हिसाब से ही मिलेगे।
एक और अच्छी बात ये हो गई है कि आप वहाँ यूपीआई से भी पेमेंट कर सकते है लेकिन उसके लिए मोबाइल मे इंटरनेट नेटवर्क होना जरूरी है। अधिकांश जगह पर होटल, रेस्टोरेन्ट, दुकान वाले wi-fi कनैक्ट करवा देते है। हम जैसे ही गूगल पे या फोन पे पर नेपाल के किसी स्टोर का क्यूआर कोड़ स्कैन करते है वो वो हमे NPR to INR यानि नेपाली रुपए को इंडियन रुपए मे कन्वर्ट करके बता देता है। लेकिन बहुत से पहाड़ी क्षेत्रो मे नेटवर्क न मिलने से परेशानी हो सकती है। इसलिए पर्याप्त मात्र मे मुद्रा बदलवा कर रखे। वैसे सीमा पर नेपाली सिम भी पहचान पत्र पर मिल जाती है जो 2 घंटे मे एक्टिवेट हो जाती है। चाहे तो अपनी सिम मे इंटरनेशनल रीचार्ज करवा ले।
2. परमिट (भन्सार) बनवाना: - करेंसी बदलवाने के बाद का काम है भन्सार या परमिट बनवाना। इसके लिए हमे अपने असल दस्तावेज़ जैसे - आधार कार्ड या वोटर कार्ड के साथ गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स और पीयूसी सर्टिफिकेट लगेगा। सोनौली बार्डर के उस पार नेपाल मे जो शहर लगता है उसका नाम है भैरहवा। बार्डर पार करते ही बाए हाथ पर भैरहवा पुलिस चौकी और आव्रजन कार्यालय है।
सबसे पहले भन्सार कार्यालय के पास लगी पुलिस चोकी में जाकर अपने आपने का उद्देश्य, गाड़ी का मेक, मोडेल, रजिस्ट्रेशन नंबर और कितने व्यक्ति है और कितने दिनो का ट्रिप है, ये बताना होता है। वहाँ से हमे लाल वाली रसीद मिलती है जिसमे गाड़ी का नंबर और नेपाल मे रुकने के दिनो की संख्या लिखी होती है।
भन्सार के लिए आस पास वहाँ बहुत से एजेंट टाइप के लोग घूमते रहते है, उनसे बचकर रहे। वो लोग धोखाधड़ी कर सकते है। अपना परमिट खुद बनवाए तो ज्यादा अच्छा है। सामान्य दिनों मे परमिट 30 मिनट और वीक एंड पर करीब 1 घंटे मे बन जाता है।

फिर भन्सार कार्यालय के कम्प्युटर कक्ष (खिड़की नंबर 4) मे जाकर ये रसीद और अपनी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स और आधार कार्ड के साथ चालान बनवाना होता है। कार, जीप जैसे 4 पहिया वाहनो के लिए 600 नेपाली रुपए प्रतिदिन चार्ज लगता है। हमने दो दिन का परमिट लिया था तो 1200 नेपाली रुपए लगे थे।

3. चालान फीस जमा करना :- भन्सार कार्यालय से 2 कॉपी मे चालान मिलेगा जिसको पास के बैंक विंडो (खिड़की नंबर 5 ) पर जाकर फीस जमा करनी होती है। यहाँ से चालान की एक प्रति वापस और 3 प्रति मे फीस की रसीद मिलती है। जिसमे से एक प्रति और चालान पास ही आव्रजन खिड़की नंबर 2 पर देना होती है जिससे हमे गाड़ी का दिनो के हिसाब से परमिट मिलता है।
4. रोड परमिट बनवाना: - चालान और रसीद की एक प्रति भन्सार कार्यालय के 50 मीटर आगे पुलिस चौकी पर देना होती है। जहां से रोड परमिट की रसीद बनती है। 2 पहिया वाहन के लिए 200 नेपाली रुपए प्रतिदिन और 4 पहिया के लिए 500 नेपाली रुपए प्रतिदिन के हिसाब से फीस देना होती है। हमे 2 दिन के लिए कुल 2200 नेपाली रुपए लगे जिसमे 1200 गाड़ी का परमिट और 1000 नेपाली रुपए रोड टैक्स के लिए लगे। नेपाल मे टोल टैक्स नहीं है इसलिए वो सीमा चौकी पर ही टैक्स भरवा लेते है। यहाँ से भन्सार, रोड परमिट और रसीद OK होने के बाद पुलिस का एक अधिकारी गाड़ी की जांच करता है। ताकि कोई आपत्तिजनक वस्तु जैसे नशा, हथियार आदि न हो। पुलिस जांच के बाद चौकी से परमिट पर सील लगाकर मिलती है।

5. भैरहवा एंट्री चौकी पर परमिट चेक करवाना : - गाड़ी की जांच करवाकर आगे बढ़ने पर करीब 2 किलोमीटर आगे एंट्री चौकी पड़ती है जहां हमे परमिट चेक करवाना होता है। उसके बाद आराम से हम नेपाल मे कही भी घूम सकते है। यहा यह ध्यान रखना जरूरी होता है कि जितने दिन का परमिट लिया है उसी समय अवधि मे वापस भी लौटना होता है। सीमा पर आव्रजन चौकी रात को 10 बजे तक ही खुली रहती है इसलिए कोशिश करे कि चौकी बंद होने के पहले बार्डर क्रॉस कर जाए। वापसी पर सीमा चौकी पर परमिट वापस करना होता है। वही इंडियन चोकी पर फिर एक बार सुरक्षा जांच होती है और सबके पहचान पत्र देखे जाते है। जो नेपाल मे प्रवेश करते समय चेक हुये थे।
कोई आपात स्थिति में होने से अगर हम समय सीमा मे वापस नहीं जा पा रहे है तो नजदीक के पुलिस स्टेशन जाए और वहाँ अपनी परिस्थिति से अधिकारी को अवगत करवाए तो वो लोग परमिट आगे बढ़ाने के लिए कार्यवाई करवा देंगे।

नेपाल मे भारत के समान ही लेफ्ट हैंड पर चलना होता है और यातायात के नियम भी समान है तो भारतीय ड्राईवर को यहाँ गाड़ी चलाने मे ज्यादा परेशानी नहीं होती। ध्यान रहे यातायात नियम तोड़ने पर या कोई दुर्घटना होने पर नेपाली नियम कानून ही चलेंगे और यहाँ किसी भिया के फोन करने पर पुलिस नहीं छोडती। 2 दिन के प्रवास में हमने नेपाल की पुलिस को विनम्र और सहायक पाया। सीमा वाले इलाको मे UP, HP, UK, DL और MP की गाडियाँ भी यहाँ आराम से घूमती हुई दिख जाती है।
सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रो मे अनुभवी ड्राईवर की आवश्यकता होती है। आवश्यकता होने पर बुटवल या भैरहवा से पेमेंट बेसिस नेपाली ड्राईवर भी मिल जाते है जो पोखरा, काठमांडू आदि के लिए आपकी गाड़ी चला लेंगे।
हम लोग तो शॉर्ट ट्रिप पर 2 दिन के लिए ही नेपाल गए थे तो लुम्बिनी (भगवान बुद्ध का जन्म स्थल), कपिलवस्तु (राजा शुद्धोधन - भगवान बुद्ध के पिता का प्राचीन नगर) और बुटवल तक ही घूम कर आए। अगली बार पोखरा और काठमांडू का प्लान करेंगे।

आपकी यात्रा शुभ हो।

- कपिल कुमार
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