
बिहार में रामसर स्थलों की संख्या बढ़ गई है। हाल ही में राज्य के नागी और नकटी बर्ड सेंचुरी को रामसर साइट की सूची में शामिल कर लिया गया है। इससे बिहार में रामसर साइट की कुल संख्या तीन हो गई है। इससे पहले साल 2020 में बेगूसराय जिले के कांवर झील को राज्य का पहला रामसर स्थल घोषित किया गया था।
अब नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को रामसर स्थल के रूप में मान्यता मिलने से बिहार में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। बिहार में फिलहाल ज्यादातर पर्यटक घूमने के लिए पटना, गया, बोधगया, राजगीर और वैशाली जाते हैं। लेकिन अब बिहार के इन स्थलों की ओर भी आकर्षित होंगे। अब प्रकृति और पक्षी प्रेमी लोग इन इलाकों में प्रवासी पक्षियों को देखने के साथ ही यहां की प्राकृतिक सुंदरता को निहारने के लिए ज्यादा संख्या में आ सकते हैं। क्योंकि रामसर इलाकों में सैकड़ों तरह की वनस्पतियों के साथ कई तरह के जनजीवों को देखने का मौका मिलता है। ये उनके लिए एक प्राकृतिक आवास होता है।

हाल ही में विश्व पर्यावरण दिवस पर नागी और नकटी बर्ड सेंचुरी को रामसर साइट की सूची में शामिल किया है। ये दोनों ही वेटलैंड जमुई जिले में हैं। नागी वेटलैंड को 81वें और नकटी पक्षी अभयारण्य को देश के 82वें रामसर स्थल के रूप में चुना गया है। इस तरह से अब देश में कुल 82 रामसर स्थल हो गए हैं। रामसर साइट के अनुसार नागी पक्षी अभयारण्य 206 हेक्टेयर, जबकि नकटी पक्षी अभयारण्य 333 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इन दोनों जगहों पर कई ऐसे प्रवासी पक्षी भी आते हैं, जिनपर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।

अक्टूबर से अप्रैल के बीच जब मौसम सुहावना रहता है, तब यहां हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। पूरा आसमान पक्षियों की चहचह से गूंज उठता है। खुले आकाश में विचरते इन पक्षियों को देखना एक अलग ही सुखद अनुभव होता है। बिहार सरकार ने नागी पक्षी अभयारण्य को 1984 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था। बिहार में सैकड़ों की संख्या में वेटलैंड हैं। बताया जाता है कि राज्य सरकार इनमें से 100 हेक्टेयर से बड़े करीब 45 वेटलैंड्स के संरक्षण में जुटी हुई है। इसके साथ ही पश्चिमी चंपारण के उदयपुर झील, भागलपुर के विक्रमशिला डॉल्फिन अभयारण्य, कटिहार के गोगाबील झील और बक्सर के गोकुल जलाशय को भी रामसर स्थलों में शामिल करने के प्रयास में जुटी हुई है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर स्थल की सूची में शामिल करने के बाद केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत ने नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर स्थलों की सूची में जोड़कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इससे देश में रामसर स्थलों की संख्या 82 हो गई है जो कुल 13,32,74624 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हैं। उन्होंने कहा कि नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य, 544.378 हेक्टेयर के कुल क्षेत्र को कवर करते हुए जलाशय हैं, जो बरसात के मौसम के दौरान पानी का भंडारण करते हैं और स्थानीय लोगों की कृषि और घरेलू खपत के लिए शुष्क मौसम के दौरान पानी की आवश्यकताओं को बनाए रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों स्थल कई प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग हैं, जो इस क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बिहार के लोगों को इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं।

ये वेटलैंड एक तरह से स्थानीय लोगों के लिए रोजीरोटी का भी काम करते हैं। वे यहां मछली पकड़ कर अपना गुजारा करते हैं। बिहार में वेटलैंड को स्थानीय लोग 'चौर' भी बोलते है। पहले बिहार का ये इलाका काफी नम रहता था लेकिन अब बारिश कम और गर्म मौसम के कारण ये नम भूमि भी सूख रही है। बिहार के आर्द्रभूमि को संरक्षण की भी जरूरत है। अब रामसर सूची में आने के बाद इसके संरक्षण की उम्मीद बढ़ी है।

रामसर साइट नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा जाता है। साल 1971 में हुई रामसर कन्वेंशन के दौरान इसमें भाग लेने वाले दुनिया के तमाम देशों ने वेटलैंड संरक्षण पर जारी दस्तावेज पर दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही दुनिया भर के आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए स्थलों का चयन किया जाता है और उसे रासमर साइट की लिस्ट में शामिल किया जाता है। इसमें शामिल स्थलों को यूनेस्को के साथ अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से मदद और सहयोग प्रदान किए जाते हैं। अब बिहार के नागी, नकटी और कांवर रामसर स्थलों को भी संरक्षण की उम्मीद है। इससे यहां सर्दी के मौसम में ज्यादा से ज्यादा लोग आ सकेंगे और बिहार पर्यटन को भी बल मिल सकेगा।
सभी फोटो सौजन्य: Bihar State Wetland Authority