बनारस आये हो तो यहाँ जाना ना भूले

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Photo of बनारस आये हो तो यहाँ जाना ना भूले by Rishabh Bharawa

बौद्ध धर्म मानने वाले लोगों के लिए चार तीर्थ सबसे मुख्य हैं,ये चार तीर्थ है - लुम्बिनी (नेपाल/ बौद्ध का जन्म स्थल ), बोद्धगया (बिहार /ज्ञान प्राप्ति स्थल ),सारनाथ (उ.प्र./प्रथम उपदेश) और कुशीनगर (उ.प्र./ महापरिनिर्वाण ).... साउथ एशिया के काफी देशों में बौद्ध धर्म मानने वालों की संख्या काफी हैं ,वे सभी लोग इन तीर्थ स्थलों पर एक न एक बार आने की चाह रखते हैं।

मैं लद्दाख ,हिमाचल ,बिहार ,उ.प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,उड़ीसा ,थाईलैंड ,तिब्बत ,भूटान ,नेपाल की कई बुद्धिस्थ जगहों पर गया हुआ हूँ।बौद्ध धर्म के बारे में थोड़ा बहुत पढ़ा भी हैं।हिन्दू धर्म में बौद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता हैं ,जबकि बौद्ध धर्म के ही अधिकतर लोग इन्हे हिन्दू धर्म से एकदम अलग मानते हैं। खैर ,बुद्धिस्थ जगहों में स्तूप होते हैं ,मठ होते हैं ,लाल रंग के चोले पहने भिक्षु होते हैं ,सात रंगों के बुद्धिस्थ ध्वज होते हैं और गोल घूमने वाले प्रार्थना चक्र होते हैं।बुद्धिस्थ मठ अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरह के होते हैं। जैसे आप भूटान जाएंगे तो वहां अधिकतर लाल-सफ़ेद मठ होते हैं ,वही थाईलैंड में रंग-बिरंगे मठ मिलते हैं।मठ निर्माण में हर देशों की अपनी-अपनी कला हैं। लेकिन आप इन सभी तरह के मठों को एक ही जगह पर अगर देखना चाहते हैं तो वाराणसी के सारनाथ में या बिहार के बौद्धगया में आप कई देशों के मठ या बुद्धिस्थ मंदिर देख सकते हैं।

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सारनाथ वाराणसी से लगभग 10 किमी की दूरी पर हैं।यह एक यूनेस्को हेरिटेज साइट हैं ,यहाँ बौद्ध से जुड़े प्राचीन स्तूप ,मोनुमेंट्स आदि कुछ हैं। जहाँ एक तरफ वाराणसी में भयंकर भीड़-भाड़,ट्रैफिक मिलेगा ,वही दूसरी तरफ सारनाथ में इन चीजों से थोड़ी राहत मिल जायेगी। कहते हैं "सारनाथ " का नामकरण "सारंगनाथ " के नाम पर हुआ हैं। इसीलिए वहां सबसे पहले मैं सारंगनाथ मंदिर में ही गया। इस जगह के बारे में मुझे वही के निवासी श्री " Vivek Mishra " जी ने बताया और आगे का टूर मेरा उन्होंने ही अपनी गाडी से करवाया। सारंगनाथ मंदिर में अनोखी बात यह हैं कि यहाँ एक ही अरघे में दो शिवलिंग हैं।एक शिवलिंग बाबा विश्वनाथ के रूप में और दूसरा सारंगनाथ महादेव के रूप में पूजा जाता हैं। कहते हैं कि एक शिवलिंग तो ऋषि सारंग जो कि माता सती के भाई थे उन्होंने स्थापित किया और दूसरा आदिगुरु शंकराचार्य जी ने स्थापित किया।इस जगह को महादेव का ससुराल भी कहा जाता हैं क्योंकि यहाँ महादेव अपने साले ऋषि सारंग के साथ विराजते हैं।यही सामने एक कुंड भी बना हैं।इसी के बाद से सफर शुरू हुआ बुद्धिस्थ मोनेस्ट्री देखने का। यह जगह पहली बार में मुझे एकदम बोद्धगया के जैसी लगी। बोद्धगया की तरह ही सारनाथ में भी कई सारे देशों के मठ थोड़ी थोड़ी दूरी पर बने हुए थे।

सारनाथ घूमने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह हैं कि या तो आपका अपना साधन साथ हो ,या आप बाइक/ऑटो किराए पर लेकर घूम लीजिये।यहाँ के मुख्य अट्रैक्शन हैं -

1. बौद्धिस्ट मोनस्ट्रीज: श्रीलंका ,थाईलैंड,वियतनाम ,कोरिया ,कम्बोडिया,चीन आदि देशों की मोनस्ट्रीज यहाँ हैं।मोनस्ट्रीज में एक तो अंदर बुद्ध की मूर्ति होती हैं जिसके दर्शन आप कर सकते हैं। दूसरा ,ये सब मोनस्ट्रीज फोटोजेनिक बनी हुई हैं।

2. धमेख स्तूप और चौखंडी स्तूप : 544 BCE में बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनकी राख और उनसे जुडी वस्तुओं को देश के आठ अलग-अलग स्तूपों में संरक्षित किया गया था। धमेख स्तूप उन आठ में से एक हैं। यह 128 फ़ीट ऊँचा स्तूप हैं जिसका टिकट मात्र 25 रूपये हैं।चौखंडी स्तूप वह जगह हैं जहाँ बौद्ध अपने पांच मुख्य शिष्यों से पहली बार मिले थे।

3. सारंगनाथ मंदिर : इस मंदिर के बारे में बता ही दिया हैं ऊपर ही।

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4. 80 फ़ीट की बुद्ध प्रतिमा : यहाँ 80 फ़ीट ऊँची बौद्ध की एक भव्य प्रतिमा बनी हैं जो एक बगीचे के बीच में बनी हैं।यहाँ का कोई एंट्री टिकट भी नहीं हैं। अगर आपको बुद्ध से जुडी हैंडीक्राफ्ट्स ,या गिफ्ट्स लेने हो तो इसी पार्क के बाहर से ले सकते हैं। यहाँ बौद्ध की प्रतिमा खड़ी हुई मुद्रा में हैं।

5. 11 वें जैन तीर्थंकर श्रेयांश नाथ जी की जन्मस्थली : जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 4 तीर्थंकरों की जन्मस्थली वाराणसी ही हैं। 11 वें तीर्थंकर श्रेयांशनाथ जी का मंदिर भी यही हैं। इसी मंदिर के पास से ही कई मोनस्ट्रीज भी बनी हैं।

6 पुरातात्विक संग्रहालय (अशोक स्तम्भ ): सारनाथ में सबसे अच्छी जगह मुझे यही म्यूजियम लगा। इसका टिकट 5 रूपये हैं जिसे भी ऑनलाइन ही खरीदा जा सकता हैं। यहाँ अंदर सारनाथ और आसपास के क्षेत्र की खुदाई से निकले प्राचीन अवशेष रखे हैं जो हिन्दू ,जैन और बौद्ध धर्म से जुड़े हैं। यही अंदर हमारा राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ देखा जा सकता हैं। यहाँ अंदर मोबाइल नहीं ले जा सकते हैं लेकिन कैमरा ले जा सकते हैं।

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7. महाबोधि सोसाइटी का मंदिर : यह यहाँ का मुख्य बुद्धिस्थ मंदिर हैं जो ज्यादा प्राचीन नहीं हैं। मंदिर के साथ ही पीछे महात्मा बौद्ध और उनके पांच मुख्य शिष्यों की एक प्रतिमा हैं जिनमें बौद्ध अपना पहला उपदेश देते हुए बनाये हुए हैं।मंदिर में बुद्ध की प्रतिमा गोल्डन रंग की परत चढ़े हुए बनी हैं। मंदिर के अंदर की दीवारों पर बौद्ध से जुडी घटनाओं के चित्र बनाये हुए हैं। मंदिर के पास ही एक चिड़ियाघर भी बना हैं।मंदिर के पास से ही धमेख स्तूप को बिना टिकट लिए ही देखा जा सकता हैं।

सारनाथ को वैसे ढंग से घूमने में पूरा एक दिन चाहिए।यहाँ से फ्री होकर जल्दी मैं सीधा पंहुचा बनारस के संत रविदास घाट पर ,जहाँ अलकनंदा क्रूज से मुझे सभी घाटों के दर्शन करने थे। इस क्रूज की बुकिंग और अनुभव पर फिर कभी लिखूंगा।

Photo: दिसम्बर 2023

-ऋषभ भरावा