छत्तीसगढ़, नक्सलियों वाला प्रदेश। जैसे लोग हाथ में हमेशा कट्टा कारतूस लिए घूमते हैं यहाँ। इस प्रदेश की छवि हमेशा से ही भारत के मानचित्र में ख़ास नहीं रही। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, ढेर सारे झूठ में लिपटा हुआ बहुत छोटा सच है ये। पूरा का पूरा छत्तीसगढ़ नहीं, बल्कि उसका कुछ इलाक़ा नक्सलवाद से प्रभावित है। बाक़ी जगहें देखने रहने घूमने के लिए एकदम टॉपमटॉप हैं। ठीक ऐसा ही एक शहर है अम्बिकापुर।
छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाक़े में बसा अम्बिकापुर भारत का सबसे पहला कचरामुक्त शहर बना है। साफ़ सफ़ाई के मामले में अव्वल इस शहर को घूमने के लिए और देर नहीं करनी चाहिए। चलिए, मिलते हैं इस शहर अम्बिकापुर से।
अम्बिकापुर का पौराणिक इतिहास
वेद पुराणों में भी अम्बिकापुर का ज़िक्र किया गया है। भगवान श्री राम अपने 14 वर्ष के वनवास में अम्बिकापुर से भी होकर गुज़रे थे। कुछ प्राचीन मंदिर भी इसकी गवाही देते हैं। इसके अलावा कुछ बौद्ध स्तूप भी हैं, जिसके कारण दूसरे धर्म का भी प्रभाव यहाँ पर ख़ूब पड़ा है।
घूमने की जगहें
1. महामाया मंदिर
कालचुरी काल का 12 वीं सदी में बना महामाया मंदिर अम्बिकापुर के सरगुजा इलाक़े में पड़ता है। देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती की पूजा होती है। वास्तु कला के बेजोड़ इस नमूने को देखने के लिए तो यहाँ पर आने का प्लान ज़रूर बनाएँ।
2. केन्दाई जलप्रपात
अपने परिवार के साथ आने का प्लान बना रहे हैं तो सरगुजा स्थित केन्दाई जलप्रपात में घूमने ज़रूर जाएँ। प्रकृति के क़रीब इस जलप्रपात तक पहुँचने के लिए आपको घने जंगलों के बीच से होकर गुज़रना पड़ेगा। लेकिन यही ख़ूबसूरती इस जलप्रपात को और सुन्दर बनाती है।
3. टाइगर पॉइंट जलप्रपात
अगली जगह है टाइगर पॉइंट जलप्रपात। भगवान बुद्ध के मंदिर के ठीक पास में ही है यह जलप्रपात। इस जगह पर नहाने के बाद आप भगवान बुद्ध के मंदिर दर्शन करने ज़रूर जाएँ।
4. रामगढ़ पहाड़ियाँ
टोपी जैसी शक्ल वाली रामगढ़ पहाड़ियों पर भगवान राम और माँ सीता कुछ समय के लिए यहीं रुके थे। इनके कारण ही इन पहाड़ियों की कुछ जगहों को जोगी मारा, सीता बेंगर्गा और लक्ष्मण गुफ़ा का नाम मिला है। इन पहाड़ियों को रामगिरि पहाड़ियाँ भी कहा जाता है।
5. पवइ जलप्रपात
पवइ जलप्रपात का प्लान बनाने के लिए थोड़ी सी कसरत ज़रूर करके चलिए। पहले आपको बलरामपुर से जमुआतंड तक कोई वाहन लेना पड़ेगा। फिर वहाँ से 1.5 किमी0 ट्रेकिंग करके जाना पड़ेगा। लेकिन नज़ारा कुदरती और देखने लायक है, तो घूमने में कोई ख़ास दिक्कत होगी नहीं।
6. तमोर पिंगला वाइल्डलाइफ़ सैंचुरी
तमोर पहाड़ी और पिंगला नाल्लाह के कारण इस सैंचुरी का नाम तमोर पिंगला पड़ा। इस सैंचुरी में कुल 7 गाँव आते हैं जिनकी कुल आबादी 20 परिवार से भी कम है।
कैसे पहुँचें
रेल मार्गः आप अम्बिकापुर स्टेशन की टिकट कर यहाँ पहुँच सकते हैं। अपना ख़ुद का स्टेशन होने के कारण आपको बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।
हवाई मार्गः बिरसा मुण्डा हवाई अड्डा यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है। आप यहाँ से पहुँचकर आसानी से अम्बिकापुर की बस पकड़ सकते हैं।
सड़क मार्गः अम्बिकापुर कुरसिया, कोरबा और पासन से क्रमशः 54, 62 और 68 किमी0 दूरी पर है। यहाँ से आने के लिए आपको पर्याप्त बसें मिल जाएँगी।
ठहरने के लिए
एक दिक्कत है अम्बिकापुर में ठहरने के लिए कि यहाँ पर अभी तक होटल बहुत ज़्यादा पहुँचे नहीं हैं। लेकिन अम्बिकापुर के लोग बहुत अच्छे हैं। यहाँ पर आप किसी सज्जन के घर रुक कर अम्बिकापुर घूमने की योजना बना सकते हैं।
बस एक बात याद रखें, अपने साथ एक गाइड को ज़रूर लेकर चलें।