जब किसी जगह पर ख़ूब सारी गोलियाँ चलती हैं, तो उसके बाद एक अलग ही सन्नाटा छा जाता है। मरगिल्ला सन्नाटा... पूरे इलाक़े में किसी कुत्ते के पसरने की भी आवाज़ नहीं आती, कोई कुत्ता चाँद को देखकर नहीं रेकता। कोई चूँ नहीं। सारी खिड़कियाँ बन्द होती हैं, दरवाज़े बन्द होते हैं। अगल बगल के घरों में लोग साँस भी बिस्तर के अन्दर बहुत चुपके से लेते हैं। कि कहीं आवाज़ बाहर न चली जाए। आवाज़ जाए और फिर गोलियों की आवाज़ बाहर आए। एक वैसा ही सन्नाटा सालों से मिर्ज़ापुर में पसरा है। एकदम ब्लैकहोल है वो। वहाँ गए, तो आ नहीं पाओगे...
मेरे दोस्त जब भी मिर्ज़ापुर के बारे में पूछते हैं, मैं उनको यही कहानी सुनाता हूँ। भयंकर डर जाते हैं सारे।
वेब सीरीज़ में मिर्ज़ापुर का जो रंग दिखाया गया है, उससे बिल्कुल ही उलट छवि है यहाँ की। बिल्कुल बनारस वाली चकल्लस होती है यहाँ, बात-बात पे सब ज्ञान पेलते हैं। गंगा मैया कि किनारे बैठ के ख़ूब मौज करते हैं लोग। यहाँ भी कानपुर की तरह हर कोई फन्ने खाँ बना फिरता है। एक बार मिर्ज़ापुर घूम कर आइए, कसम से बहुत प्राउड फील होंगे आप।
घूमने की जगहें
1. विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर
माँ विन्ध्यवासिनी देवी जी के मंदिर को भारत के 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है। यहाँ कहावत है कि माँ विन्ध्यवासिनी देवी सच में आदि महामाया देवी हैं जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय ही जन्म लिया था। भगवान कृष्ण जब कारागृह से सही सलामत निकल गए, तो वे वहीं पर थीं, और उसके बाद वह मथुरा से चली गईं। उसके बाद वो विन्ध्याचल पर्वत पर रहने चली गईं। तभी से इस मंदिर का नाम विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर पड़ गया।
2. लखनिया दरी
लखनिया दरी मिर्ज़ापुर की सबसे सुकूनदेह और प्राकृतिक जगह है। यहाँ के झरने को देखने के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने आ सकते हैं। जैसा कि आपको मालूम है, किसी भी झरने को देखने का सबसे सही समय मॉनसून का होता है, वैसा ही इसके साथ भी है। एक बात, जो इसे दूसरे झरनों से ख़ास बनाती है, वह है इसकी आसान पहुँच। आप आसानी से इस जगह को देखने आ सकते हैं।
3. चुनार क़िला
चुनार क़िला मिर्ज़ापुर के साथ उस समय से साथ है, जब मुग़लों का यहाँ पर राज था। 17वीं सदी में इस क़िले का निर्माण कराया गया था। यह क़िला तब से यहाँ पर बना है। अगर आप किसी भी प्रकार से आर्किटेक्चर या फिर इतिहास के शौक़ीन हैं, तो यह क़िला आपके लिए जन्नत है। इस क़िले में पिछले तीन सौ सालों में ज़्यादा परिवर्तन नहीं आए हैं। और अब इसकी देखभाल भी की जाती है। आप मिर्ज़ापुर में इस क़िले को देखने ज़रूर जाएँ।
4. विन्ध्याम झरना
विन्ध्याम झरना शायद यहाँ की सबसे सुन्दर जगह होगी। यह मिर्ज़ापुर से 14 किमी0 दूर है और आप यहाँ आसानी से रिक्शा की मदद से पहुँच सकते हैं। इसकी ख़ूबसूरती तब और निखर के आती है, जब यहाँ पर सूरज की रौशनी पड़ने पर दो इन्द्रधनुष एक साथ बनते हैं। हालाँकि ये नज़ारा बहुत ही कम मौक़ों पर देखने मिलता है। यहाँ के पास ही आप तांडा झरना देखने भी जा सकते हैं।
5. टाँडा झरना
विन्ध्याम झरने से लगभग 2 किमी0 की दूरी पर पड़ता है टाँडा झरना जो कि विन्ध्याम झरने जितना ही ख़ूबसूरत है। बारिश के महीनों में तो यह पानी से लबरेज़ झरना एक अलग ही उफान पर होता है। मॉनसून का महीना मिर्ज़ापुर घूमने के लिए बेस्ट है।
कैसे पहुँचें
आप तीन रास्तों से मिर्ज़ापुर आ सकते हैं-
सड़क मार्गः यूपीएसआरटीसी की कई बसें मिर्ज़ापुर के लिए चलती हैं। उत्तर प्रदेश में दिल्ली कोलकाता हाइवे (नेशनल हाइवे 2) के अलावा बनारस इलाहाबाद हाइवे से भी यहाँ पर पहुँचा जा सकता है। इस हाइवे की स्थिति कुछ-कुछ जगहों पर अच्छी नहीं है, इसलिए पहुँचने में औसत से 2-3 घंटे का अधिक समय लग सकता है।
रेल मार्गः विन्ध्याचल रेलवे स्टेशन दिल्ली हावड़ा रूट और मुंबई हावड़ा रूट पर पड़ता है। इसके अलावा आप मिर्ज़ापुर रेलवे स्टेशन (MZP) पर भी आ सकते हैं।
हवाई मार्गः यहाँ से सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा बाबतपुर, वाराणसी का है, जहाँ से मिर्ज़ापुर के लिए आपको टैक्सी या कोई दूसरा साधन आसानी से मिल जाएगा। बाबतपुर से मिर्ज़ापुर की कुल दूरी 72 किमी0 की है।
ठहरने के लिए
1. होटल द गैलेक्सी- रेलवे स्टेशन से 2 किमी0 दूर इस होटल में आप आसानी से ठहर सकते हैं और आपकी जेब पर बहुत ज़्यादा भार भी नहीं पड़ता।
2. होटल जाह्नवी- यह रेलवे स्टेशन से कुल 4 किमी0 की दूरी पर है। आप यहाँ पर भी ऑटोरिक्शा की मदद लेकर आसानी से पहुँच सकते हैं।
तो आप कब घूमने जा रहे हैं मिर्ज़ापुर, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
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