मैं 2017 में पहली बार काला डुंगर गया था। एक विशाल पहाड़ जितनी तो नहीं, लेकिन आकर्षक। आपने शायद पहली बार काली पहाड़ियों को देखा होगा। गुजराती बोलने वालों ने इसीलिए इसका नाम काला डुंगर या कालो डुंगर रख दिया।
समुद्र तल से 1516 फ़ीट ऊँची ये पहाड़ियाँ खावड़ा गाँव से लगभग 25 किमी0 दूर हैं। कुछ ही दूर होने के बावजूद यह सफ़र इसलिए आकर्षक हो जाता है क्योंकि आप यहाँ पर सब कुछ पहली बार सा अनुभव करेंगे। एक नया रोमांच ही तो एक घुमक्कड़ को ज़्यादा समझदार बनाता है।
काला डुंगर की कहानी
काला डुंगर अपने नाम और स्थान के साथ ही अपनी कहानियों के लिए भी ख़ूब प्रसिद्ध है। कहते हैं कि एक बार दत्तात्रेय, जो भगवान ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव जी का तीन सिर वाला अवतार थे, पृथ्वी का भ्रमण करते हुए काला डुंगर को देखकर ठहर गए। उन्हें वहाँ पर गीदड़ों को भूखा देखकर अपना शरीर समर्पित करने का विचार आया। जैसे ही गीदड़ दत्तात्रेय का शरीर खाकर अपनी भूख मिटाते, उनका शरीर पुनः निर्मित हो जाता। आज उनकी याद में यहाँ के लोग गीदड़ों को ख़ूब खाना खिलाते हैं। यहाँ के मंदिरों में पुजारी हर दिन भगवान दत्तात्रेय की याद में गीदड़ों को सुबह और शाम भोजन कराते हैं।
घूमने की जगहें
यहाँ पर एक भोजनालय भी है, जो लोगों को भोजन परोसता है, वह भी निःशुल्क। चूँकि काला डुंगर पाकिस्तान की सीमा के काफ़ी नज़दीक पड़ता है, इसलिए आपको यहाँ पर सेना के लोग प्रायः दिख ही जाएँगे। काला डुंगर के ठीक ऊपर ही सेना की एक चौकी है। जिन्हें भी कच्छ का रण एक अलग ही नज़रिए से देखना हो, वो लोग तो यहाँ ज़रूर आएँ।
अब हम बात करते हैं घूमने की दूसरी जगहों के बारे में...
कच्छ भुज में पड़ता है। आपको मालूम हो कि हथकरघा और बड़ी इमारतों के लिए भुज नामचीन जगहों में शुमार है। इतिहासकार मानते हैं कि भुज का नाम यहाँ के एक पहाड़ भुजियों डुंगर के नाम पर पड़ा था। 2001 के भूकंप के बाद भुज का काफ़ी नुकसान हुआ, लेकिन उसके बाद भी यह जगह पर्यटकों को बेहद पसंद है।
1. आइना महल
आइना महल भुज की शान है। रामसिंह मालम का सपना जब अपने अस्तित्व में आया तो यह जगह निकलकर आई। अपने इंटीरियर और आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्ध यह महल सालों से पर्यटकों का केन्द्र बना हुआ है। यहाँ पर ढेर सारे पानी के फव्वारे आपको आकर्षित करेंगे और कई सारी ऐसी चीज़ें भी मिलेंगी, जो आप अपने जीवन में पहली बार देखेंगे। तो इसलिए काला डुंगर का चक्कर लगाने के साथ ही यहाँ भी घूमने का मौक़ा ज़रूर आज़माइएगा।
2. पराग महल
आइना महल के बाद दूसरा नाम आता है पराग महल का, जो कि इसके ठीक बगल में स्थित है। यह भारत के उन नामी स्थलों में एक है जिसका निर्माण कराने में भारत और ब्रिटिश, दोनों ने साथ मिलकर काम किया। इस पैलेस का कुछ हिस्सा अब संग्रहालय के रूप में काम आता है, जिसे देखने का मौक़ा आपको बिल्कुल भी नहीं छोड़ना चाहिए। यह महल लोगों के सामने तब आया जब फ़िल्म लगान की शूटिंग इसी महल में हुई। आप भी यहाँ आकर लगान के पलों को दोबारा याद करें।
3. कच्छ संग्रहालय
1877 में महाराज सर खेंगारजी तृतीय की अनुमति से कला विद्यालय बनवाया गया, जो अब गुजरात के सबसे पुराने संग्रहालयों में गिना जाता है। कच्छ का इतिहास यहाँ छिपा मिलता है। आप यहाँ पर रहकर किसी जगह के निर्माण और उसकी सच्चाई से रूबरू हो सकते हैं और जान सकते हैं कि भारत की स्वतंत्रता में इसने किस तरह अपना योगदान दिया। इस संग्रहालय में 11 बड़ी गैलरी हैं, जिनमें तस्वीरों की गैलरी, संगीत, शिपिंग, जानवरों की गैलरी प्रमुख हैं। आप मानव इतिहास के बारे में भी तसल्ली से यहाँ जान सकते हैं। यदि आपको समाज, संस्कृति को जानने की इच्छा है तो यहाँ आकर अपनी जानकारी ज़रूर बढ़ाएँ।
4. गाँधीधाम
अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण गाँधीधाम पर्यटकों का हमेशा से चहेता बना रहा है। 1947 में जब देश बँटवारे के दौर से गुज़र रहा था, तब गाँधीधाम लोगों के आश्रयों में एक बना। लेकिन अब गाँधीधाम का कायाकल्प हो गया है। इसके साथ ही यह जगह हिन्दू और जैन समुदाय के लोगों के लिए एक पूजास्थल के तौर भी मान्यताप्राप्त है।
कहाँ ठहरें
कैसे पहुँचें
हवाई मार्गः भुज के लिए मुंबई से फ़्लाइट चलती रहती हैं।
रेल मार्गः दो ट्रेनें कच्छ एक्सप्रेस और भुज एक्सप्रेस रोज़ाना चलती हैं, जो कि अहमदाबाद से भुज का सफ़र तय करती हैं।
सड़क मार्गः अगर आप अहमदाबाद से सफ़र कर रहे हैं, तो ट्रेन के बजाय बस लेना ज़्यादा बेहतर है। रात को चलने वाली बस में बैठकर आप आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं।
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