तैयार हो जाइए मेघालय के वांगला 100 ड्रम महोत्सव में शामिल होने के लिए

Tripoto
8th Nov 2023
Photo of तैयार हो जाइए मेघालय के वांगला 100 ड्रम महोत्सव में शामिल होने के लिए by Priya Yadav


         अगर आप मेघालय जाने का प्लान बना रहे है तो आपको बता दें कि यह मेघालय जाने का एकदम सही समय है।इस समय मेघालय की खूबसूरत वादियों में आपको चारो ओर अनेकों ड्रम की ध्वनि सुनाई देगी और आपको वहां की संस्कृति का एक अनोखा रूप देखने को मिलेगा। क्योंकि यह समय वहां के प्रसिद्ध वांगला महोत्सव का है।जिसे 100 ड्रम महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।जोकि 10 नवंबर से शुरू हो रहा है।आप पूरे मेघालय में इस त्यौहार की धूम देख सकते है।यह त्योहार वहां बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

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          मेघालय में वांगला महोत्सव का एक विषेस महत्व है।यह त्योहार गारो समुदाय के लोगो के द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है,जो उनकी संस्कृति,सभ्यता और कृषि के प्रति उनके सम्मान को जीवंत और आनंदमय ढंग से प्रदर्शित करता है।इसे 100 ड्रम महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस त्यौहार के दौरान यहां लोगो सैकड़ों ड्रम के साथ नृत्य करते है।

        यह त्यौहार कृषि के मौसम के अंत के रूप में मनाया जाता है। इस महोत्सव के द्वारा वहां के स्थानीय लोगो द्वारा विशेष कर गारो समुदाय के लोगो के द्वारा कृषि के देवताओं और आत्माओं को धन्यवाद दिया जाता और फिर से अगले वर्ष अच्छी कृषि के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

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क्यों कहते है इसे 100 ड्रम महोत्सव

अब बात की ड्रम की तो आखिर क्यों इसे ड्रम महोत्सव कहा जाता हैं।तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस महोत्सव में एक बड़ी संख्या में गारो समुदाय के लोगो एक विशेष प्रकार का ड्रम बजाते है जोकि एक पेड़ के ताने से बना होता है।वांगला का मुख्य आकर्षण सौ ड्रमों की लयबद्ध ताल है।जब सैकड़ों लोग एक लयबद्ध ताल पर एक साथ नृत्य करते है तो यह नजारा देखते ही बनता है।प्रदर्शन में बांस की बांसुरी और घंटियों जैसे स्वदेशी वाद्ययंत्रों का उपयोग भी शामिल है। यह वास्तव में एक ऐसा अनुभव है जिसे आपको अपने मेघालय यात्रा कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए।

प्रमुख बिंदु

* वांग्ला महोत्सव को 100 ड्रम उत्सव के रूप में भी जाना जाता है।

* इस त्यौहार को दो दिन मनाया जाता हैं और कभी-कभी साधारण तकरीज़ भी रखी जाती है।

* त्यौहार का पहला दिन रागुला (रागुला) नामक उत्सव के साथ मनाया जाता है, जो गांव के मुखिया के घर मनाया जाता है।

* उत्सव के दूसरे दिन, कक्कट (कक्कट) में लोग रंग-बिरंगे परिधानों में पंख वाले सिर के साथ तैयार होते हैं और लंबे समय तक कोलाहल आकार के ड्रम की ताल पर नृत्य करते हैं।

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