कला, संगीत एवं संस्कृतिः गर्मियों में इन उत्सवों में दिखता है भारत की असली पहचान का अनोखा रंग

Tripoto
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गर्मियों का मौसम आपके घरों में दस्तक दे चुका है। मम्मी ने रजाइयाँ और गर्म कपड़े बैग में भर दिए हैं और रोज़ रोज़ नहाना अब जहालत नहीं, ज़रूरत हो गया है। उम्मीद है इन गर्मी की छुट्टियों में आपने नई जगहों को घूमने का प्लान भी बना लिया होगा।

गर्मियों का मौसम किसी पहाड़ी जगह पर छुट्टियाँ मनाने वाला होता है, या फिर किसी ज़ोरदार ट्रेकिंग जगह को घूमने का। कुछ लोग इस दौरान आराम फ़रमाने के लिए बीच जैसी जगहों पर निकल जाते हैं। लेकिन ये सब आप बरसों से करते आ रहे हैं। इस बार अपने बच्चों को भारत की संस्कृति के वास्तविक रंग से रूबरू कराएँ। कुछ ऐसे महोत्सव, जिनके बारे में आप हमेशा से गर्व करते आए थे, लेकिन देखने का मौक़ा कभी नहीं मिला। भारत की पहचान कहलाने वाले इन महोत्सवों के बारे में आपको एक बार ज़रूर विचार करना चाहिए।

मई महीने में

उत्तरी भारत की जगहें

सागा दाव

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क्या है यह उत्सव- यह तिब्बती प्रवासियों का एक उत्सव है, जिसमें भगवान बुद्ध के जन्म, मृत्यु और ईश्वरीय ज्ञान मिलने को उत्सव की तरह मनाया जाता है

कब मनाया जाता है- 26 मई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- लद्दाख के विभिन्न मठों में

यहाँ पर क्यों जाएँ- यह एक रंगारंग उत्सव है, जो कि लद्दाख के बौद्ध मठों में धूमधाम से मनाया जाता है। अगर आप इस समय लद्दाख में हों, तो शे, थिक्से, हेमिस और अन्य मठों में इसका हिस्सा ज़रूर बनें।

ढुंगरी मेला

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क्या है यह उत्सव- तीन दिन का यह उत्सव हडिंबा के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर मनाया जाता है

कब मनाया जाता है- 14-16 मई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- मनाली

यहाँ पर क्यों जाएँ- मनाली की स्थानीय संस्कृति के बारे में जानने के लिए इस उत्सव का हिस्सा ज़रूर बनें। कुल्लू नट्टी नृत्य कला यहाँ देखने के लिए प्रमुख है। पूरे प्रदेश से लोग तीन दिन के इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं। शॉपिंग मॉल, नाच गाना और भी कई चीज़ें ढुंगरी मेला मनाने के लिए आपको आकर्षित करती हैं।

इलेक्ट्रिक महादेव उत्सव

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क्या है यह उत्सव- तीन दिन का यह उत्सव इलेक्ट्रिक संगीत और अन्य कलाओं पर आधारित है

कब मनाया जाता है- 14-16 मई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- मनाली

यहाँ पर क्यों जाएँ- अगर आप साइकेडेलिक संगीत के शौक़ीन हैं, तो यह आपके लिए बेहद यादगार होने वाला है। इस दौरान ढेर सारे बाज़ार आपके लिए खुल जाते हैं। इस उत्सव में योग और अध्यात्म की वर्कशॉप भी लगती हैं। बहुत तेज़ी से प्रसिद्ध हो रहे इस उत्सव में रोमांच और ऊर्जा का अनुभव करना अपने आप में किसी जगह को घूमने से कम नहीं है।

दक्षिण भारत की जगहें

यरकौड ग्रीष्म उत्सव

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क्या है यह उत्सव- यरकौड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक हफ़्ते के इस उत्सव का आयोजन किया जाता है

कब मनाया जाता है- मई का दूसरा सप्ताह (तारीख़ जल्द ही आने वाली हैं)

कहाँ पर मनाया जाता है- यरकौड, सलेम ज़िला, तमिलनाडु

यहाँ पर क्यों जाएँ- इस प्यारे से हिल स्टेशन की ख़ूबसूरती, यहाँ की बोट राइड, फूलों की क्यारियाँ, सांस्कृतिक समारोह, कुत्तों की परेड जैसी चीज़ें पर्यटकों को ख़ूब लुभाती हैं

ऊटी ग्रीष्म उत्सव

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क्या है यह उत्सव- पाँच दिन का यह उत्सव ऊटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है

कब मनाया जाता है- मई का दूसरा सप्ताह (तारीख़ जल्द ही आने वाली हैं)

कहाँ पर मनाया जाता है- ऊटी, तमिलनाड

यहाँ पर क्यों जाएँ- ऊटी भारत के सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में एक है। ऊटी के इस ग्रीष्मकालीन महोत्सव में फूलों की क्यारियाँ, सब्ज़ियों और फलों की क्यारियाँ और बोटेनिकल कार्यक्रम का बहुत बोलबाला रहता है।

पूर्वी भारत की जगहें

मोआत्सु महोत्सव

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क्या है यह उत्सव- नागालैंड की आओ प्रजाति द्वारा इस उत्सव को मनाया जाता है

कब मनाया जाता है- मई का पहला सप्ताह (तारीख़ जल्द ही आने वाली हैं)

कहाँ पर मनाया जाता है- नागालैंड का मोकोकचुंग ज़िला

यहाँ पर क्यों जाएँ- नागालैंड में आओ प्रजाति का यह महोत्सव पौधारोपण के बाद शुरू होता है। चीज़ें बाँटकर और एक दूसरे को बधाई देकर इस उत्सव का स्वागत किया जाता है। नृत्य और संगीत कला से यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस मुख्य कार्यक्रम सांगपागतु होता है, जिसमें स्थानीय लोग बोनफ़ायर के इर्द गिर्द इकट्ठा होकर गाने गाते हैं और नाचते हैं।

रवीन्द्रनाथ टैगोर जयन्ती या रवीन्द्र जयन्ती

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क्या है यह उत्सव- गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के जन्मोत्सव पर यह सांस्कृतिक उत्सव पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है।

कब मनाया जाता है- 9 मई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- शान्तिनिकेतन, पश्चिम बंगाल

यहाँ पर क्यों जाएँ- भारत के पहले नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के जन्मोत्सव मनाने का यह शायद सबसे दुर्लभ मौक़ा हो। पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय में संगीत, नृत्य, ड्रामा और कविताओं से उनके जीवन और कविताओं को सांस्कृतिक कार्यक्रम में पेश किया जाता है। शांतिनिकेतन के नज़दीक शोनाझुरी में आदिवासी बाज़ार देखने और आदिवासी लोगों से मिलने का यह सबसे ख़ास मौक़ा होता है।

सागा दावा

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क्या है यह उत्सव- यह तिब्बती प्रवासियों का एक उत्सव है, जिसमें भगवान बुद्ध के जन्म, मृत्यु और ईश्वरीय ज्ञान मिलने को उत्सव की तरह मनाया जाता है

कब मनाया जाता है- 26 मई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- गंगटोक, और बाक़ी सिक्किम की जगहों पर

यहाँ पर क्यों जाएँ- यह रंगारंग उत्सव सिक्किम के कई मठों में आयोजित होता है। रुमतेक मठ के प्रसिद्ध मास्क वाले भिक्षु का नृत्य, यहाँ काफ़ी पसंद किया जाता है। इसके अलावा यहाँ के भिक्षुओं की एक सैर भी होती है, जिसमें भिक्षु त्सुकलाखांग पैलेस मठ स अपने धर्म की पुस्तकों के साथ पूरे क़स्बे में घूमते हैं। आप भी यहाँ के कार्यक्रम का लुत्फ़ उठा सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय पुष्प महोत्सव

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क्या है यह उत्सव- सिक्किम की प्राकृतिक धरोहर को दर्शाता यह महोत्सव अपने फूलों की झाँकी के लिए बेहद ख़ास है

कब मनाया जाता है- सामान्यतः 1-31 मई, 2021 (तारीख़ अभी तय नहीं)

कहाँ पर मनाया जाता है- गंगटोक के राज्यपाल भवन में

यहाँ पर क्यों जाएँ- इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता देखने का यह सबसे सुखद अवसर होता है। यहाँ पर आपको ग्लैडिओली, ग़ुलाब, ऑर्किड, अल्पाइन, पेड़, लताएँ और फर्न की विभिन्न प्रजातियाँ मिल जाएँगी।

पश्चिम भारत की जगहें

माउंट आबू ग्रीष्मकालीन उत्सव

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क्या है यह उत्सव- माउंट आबू के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस उत्सव का आयोजन होता है

कब मनाया जाता है- 14-16 मई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- माउंट आबू, राजस्थान

यहाँ पर क्यों जाएँ- राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में यह महोत्सव संगीत और लोकनृत्य के साथ मनाया जाता है। इसके साथ यहाँ नक्की झील पर बोट रेस और संगीत के कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है।

जून महीने में

उत्तरी भारत की जगहें

युरु कबज्ञाट

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क्या है यह उत्सव- लद्दाख की लामायुरु मठ में यह महोत्सव हर साल मनाया जाता है

कब मनाया जाता है- 7-8 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- लामायुरु मठ, लद्दाख

यहाँ पर क्यों जाएँ- दो दिन चलने वाले इस उत्सव में मास्क वाले भिक्षुओं का नृत्य, संगीत और अनुष्ठान होते हैं। इस बौद्ध उत्सव को पद्मसंभव और यामा के लिए श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है और उनकी कहानियों को दर्शाने के लिए ड्रामा भी आयोजित किया जाता है।

सिंधु दर्शन महोत्सव

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क्या है यह उत्सव- तीन दिन का यह उत्सव लद्दाख में सिंधु नदी के किनारे आयोजित किया जाता है

कब मनाया जाता है- 12-14 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- सिंधु घाट, लेह, लद्दाख

यहाँ पर क्यों जाएँ- यहाँ पर लोगों में सिंधु घाटी को लेकर बहुत मान्यता है और इसे भाईचारे और परस्पर सामंजस्य का प्रतीक माना जाता है। इसके आयोजन में आपको लोकनृत्य और बौद्ध अनुष्ठान देखने मिलेंगे। इसके साथ ही यहाँ के जवानों की भी पूजा की जाती है।

हेमिस गोम्पा उत्सव

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क्या है यह उत्सव- इस उत्सव को बोधिसत्व गुरु पद्मसंभव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।

कब मनाया जाता है- 20-21 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- हेमिस मठ, लद्दाख

यहाँ पर क्यों जाएँ- यह लद्दाख के सबसे प्रसिद्ध उत्सवों में एक है। भिक्षुओं का नृत्य, लद्दाखी कलाएँ और यहाँ की धरोहर से जुड़ी चीज़ों की प्रदर्शनी लगती है।

शिमला ग्रीष्मकालीन उत्सव

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क्या है यह उत्सव- शिमला की ख़ूबसूरती और यहाँ के प्राकृतिक सुंदरता को मनाने के लिए इस उत्सव का आयोजन किया जाता है

कब मनाया जाता है- 2-7 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- शिमला, हिमाचल प्रदेश

यहाँ पर क्यों जाएँ- प्रायः यह उत्सव पाँच दिनों तक चलता है, जिसमें कई सारे कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जैसे कि कुत्तों का नृत्य, संगीत से जुड़े कार्यक्रम, हथकरघे की प्रदर्शनी, खाने पीने की वस्तुएँ, रोमांच से जुड़ी एक्टिविटीज़, फूलों की प्रदर्शनी इत्यादि। आप शिमला के इस उत्सव में कई स्टॉल और प्रदर्शनी से जुड़े घर भी देख सकते हैं।

गंगा दशहरा

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क्या है यह उत्सव- यह उत्सव गंगा नदी की पूजा के लिए किया जाता है

कब मनाया जाता है- 20 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज, ऋषिकेश और गढ़मुक्तेश्वर

यहाँ पर क्यों जाएँ- जब गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आई थीं, तो उस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इसमें गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।

दक्षिण भारत की जगहें

चम्पाकुलम बोट रेस

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क्या है यह उत्सव- यह केरल के तटों पर मौसम की पहली बोट रेस होती है

कब मनाया जाता है- 26 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- चंपाकुलम, अलप्पुझा ज़िला, केरल

यहाँ पर क्यों जाएँ- जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह उत्सव चंपाकुलम के पाम्बा नदी पर होता है। इसमें बोट रेस के साथ अन्य कई चीज़ें, जैसे नाचने गाने के कार्यक्रम भी होते हैं। इन कार्यक्रमों के बाद सबसे आख़िर में बोट रेस होती है।

कोट्टियूर उत्सवम

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क्या है यह उत्सव- 28 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव इक्करे कोट्टियूर और अक्करे कोट्टियूर मंदिर में होता है।

कब मनाया जाता है- 25 मई- 20 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- कोट्टियूर मंदिर, केरल

यहाँ पर क्यों जाएँ- 28 दिनों का यह उत्सव बावली नदी के किनारे आयोजित होता है। केवल इन 28 दिनों के लिए ही यहाँ पर अक्करे मंदिर के कपाट खुलते हैं। इसके साथ ही यहाँ पर अनुष्ठान, मेले और दूसरे कार्यक्रम होते हैं।

ओचिरा काली

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क्या है यह उत्सव- मध्ययुगीन भारत में हुए अम्बालापुझा और कयमकुलम क्षेत्र के बीच हो रहे युद्ध को फिर से मनाने के लिए इस उत्सव का आयोजन किया जाता है

कब मनाया जाता है- 15-16 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- कोल्लम ज़िला, केरल

यहाँ पर क्यों जाएँ- यह त्यौहार एक जल से भरे इलाक़े में होता है, जहाँ स्थानीय लोग लाठी और अन्य मध्ययुगीन हथियारों उपयोग करते हुए नकली लड़ाई में भाग लेते हैं। आप उत्सव के दौरान हवा में औपचारिक युद्ध संगीत भी सुन सकते हैं।

पश्चिम भारत की जगहें

सोआ जाओ उत्सव

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क्या है यह उत्सव- यह उत्सव ईसाई धर्मगुरू सेंट जॉन द्वारा दी गई दावत को उत्सव की तरह मनाने के लिए होता है

कब मनाया जाता है- 24 जून, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- गोआ

यहाँ पर क्यों जाएँ- यह एक बिल्कुल ही अलग क़िस्म की दावत होती है, जिसमें आप पुरुषों को शराब की बोतल खोजने के लिए कुएँ में कूदते देख सकते हैं। इसके साथ यहाँ पर नाचने, गाने, बोट रेस और अन्य कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। लोग यहाँ आकर अच्छे मॉनसून की कामना करते हैं।

जुलाई महीने में

उत्तरी भारत की जगहें

फ्यांग सेदुप उत्सव

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क्या है यह उत्सव- फ्यांग मठ का यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए मनाया जाता है

कब मनाया जाता है- 7-8 जुलाई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- फ्यांग मठ, लद्दाख

यहाँ पर क्यों जाएँ- भगवान बुद्ध की कहानियों को नाटक और मास्क वाले नृत्य के द्वारा दिखाया जाता है, जिसे ‘चम्स’ कहते हैं। दूसरे दिन बोनफ़ायर जलाकर इस कार्यक्रम का अंत हो जाता है।

लद्दाख पोलो उत्सव

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क्या है यह उत्सव- पर्यटन विभाग और सिंधु चुशोट पोलो क्लब की ओर से एक सप्ताह के इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है

कब मनाया जाता है- 11-17 जुलाई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- चुशोट, लेह तहसील, लद्दाख

यहाँ पर क्यों जाएँ- बाल्टिस्तान के राजकुमार द्वारा पहली बार सन् 1400 में इस उत्सव का आयोजन लद्दाख की संस्कृति को ज़िंदा रखने के लिए किया गया था। इसमें खेल के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते थे। यहाँ पर तीरंदाज़ी की प्रतियोगिताएँ होती हैं, पारंपरिक भोजन बनता है, हथकरघे की चीज़ें तैयार होती हैं। आप यहाँ पर अपने और परिवार के लिए पशमीना शॉल, पत्तू के कपड़े, थांगा पेंटिंग और दूसरी चीज़ें ले सकते हैं। यह बहुत विरला मौक़ा होता है, जब लोग आपको अपनी पारंपरिक वेशभूषा में मिलेंगे।

तात्थोक सेचू महोत्सव

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क्या है यह उत्सव- तात्थोक मठ में इस उत्सव का आयोजन होता है

कब मनाया जाता है- 19-20 जुलाई, 2021

कहाँ पर मनाया जाता है- तात्थोक मठ, लद्दाख

यहाँ पर क्यों जाएँ- यह मठ 16वीं सदी में अस्तित्व में आया था। पहाड़ की एक गुफ़ा में बने इस मठ में पद्मसंभव जी ने 8वीं सदी में ध्यान किया था। तात्थोक सेचू महोत्सव देखने के लिए बहुत सी संख्या में पर्यटक और ग्रामीण लोग आते हैं। मास्क वाला चम डांस भिक्षुओं द्वारा आयोजित होता है और यह कार्यक्रम कुल दो दिन तक चलता है।

इन उत्सवों के सहारे आप अपनी गर्मी की छुट्टियों में ज़ायका भर सकते हैं और अपने बच्चों को उस भारत से मिला सकते हैं, जो शहरी जीवन में देखने नहीं मिलता।

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