हिंदू धर्म में व्रत और त्यौहारों का बहुत अधिक महत्व है। सितंबर का महीना आध्यात्मिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ त्यौहार अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं।आइए जानते हैं सितंबर 2021 में कौन-कौन से त्यौहार आने वाले हैं और उन्हें मनाने कहाँ जाना चाहिए।
1. गणेशोत्सव , महाराष्ट्र –
गणेश चतुर्थी सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, जिसे भारत में भव्य स्तर पर मनाया जाता है। इस दौरान लोग गणेश की मूर्तियों को घर लाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को भव्य तरीके से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी चतुर्थी को गणपति का जन्म हुआ था. इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को पड़ रही है। महाराष्ट्र में इस उत्सव की धूम को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
2. नीलमपरूर पदयानी, अलाप्पुझा (केरल) -
ये क्लासिक त्योहार केरल के अलाप्पुझा में मनाया जाता है, जिसका मुख्य आकर्षण विशाल रंगीन पुतले हैं। इन्हें जुलूस में मंदिर में लाया जाता है और भक्तों के सामने रखा जाता है। ये संगीत और नृत्य से भरा एक मजेदार उत्सव है। 2021 में यह त्यौहार 7 सितंबर को पड़ रहा है।
3. लद्दाख महोत्सव, लद्दाख -
लद्दाख महोत्सव हर साल सितंबर के महीने में लद्दाख के सभी क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव में इस क्षेत्र की जनजातियोंए संस्कृतियोंए प्रदर्शन कला और भोजन के बारे में जानने को मिलता है। यह लगभग दो सप्ताह तक चलता है और लेह में एक शानदार परेड के साथ शुरू होता है। जिसमें लद्दाख की सभी जनजातियों द्वारा नकाबपोश नृत्य लोक गायन का प्रदर्शन किया जाता है। इस बार यह महोत्सव 1-15 सितंबर तक चलेगा।
4. आभानेरी महोत्सव, राजस्थान –
आभानेरी महोत्सव राजस्थान के दौसा जिले में मनाया जाता है। यह त्यौहार आभानेरी गांव में मनाया जाता है। मुख्य उत्सव यहां प्रसिद्ध बावड़ी 'चांद बावड़ी' में होता है, जो हर्षद माता मंदिर के बहुत करीब है। आभानेरी गांव में मनाया जाने वाला ये त्योहार राजस्थान की सुंदरता, संस्कृति और प्राचीन धरोहरों को प्रोत्साहन देना है। इस दौरान पारंपरिक नर्तकियों द्वारा लोक नृत्य और गीतों का प्रदर्शन किया जाता है। गांव में कालबेलिया नृत्य प्रदर्शन, ऊंटी की सवारी पर गांव भ्रमण, नुक्कड़ नाटक, कच्ची घोड़ी नृत्य, मयूर डांस, कठपुतली शो, पद दंगल, भवाई नृत्य और एग्जीबिशन आयोजित की जाती हैं। इसमें कई राज्यों के कलाकार भी हिस्सा लेते हैं। इस बार यह महोत्सव 10 सितंबर को आयोजित किया जाएगा।
5. पितृ पक्ष मेला, गया-
पितृ पक्ष मेला बिहार के गया शहर में मनाया जाता है। उत्सव में मृतक प्रियजनों को प्रार्थना करने का एक अनुष्ठान शामिल है। इस दौरान गया में पिंडा दान करने के लिए आने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती है। पितृ पक्ष मेले में हर साल लगभग हजारों लोग शिरकत करते हैं। पितृ पक्ष इस बार 19 सितंबर से शुरू हो रहे है।
6. भाद्रपद मेला, अम्बाजी (गुजरात)
मेला अम्बाजी में भाद्रपद (अगस्त-सितंबर के आसपास) के हिंदू महीने में अंबाजी गाँव के केंद्र में आयोजित किया जाता है। मेले के दौरान गाँवों में सबसे ज्यादा संख्या में लोग तीर्थयात्रा के लिए आते हैं। दुनिया भर से प्रत्येक वर्ष लगभग 15 लाख श्रद्धालु इस मेले में शामिल होते हैं। मनोरंजन के लिए मीरा-गो-राउंड और फेरारी पहियों की स्थापना और कलाबाजी की जाती है। पूर्णिमा की रात में एक पारंपरिक और लोकप्रिय लोक-नाटक भवई का प्रदर्शन किया जाता है। चरक चौक में लोकगीत गाए जाते हैं, जिसमें पखवाज, भूख और झांझ जैसे सरल संगीत वाद्ययंत्र का उपयोग किया जाता है। इस बार भाद्रपद पूर्णिमा 20 सितंबर को पड़ रही है तो इस जगह घूमने का प्लान बनाया जा सकता है। माता अंबाजी के मंदिर के बारे में मान्यता है कि माता सती का यहां पर दिल गिरा था।
7. राधाष्टमी उत्सव, बरसाना -
राधाष्टमी राधा रानी के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है, राधाष्टमी मुख्य रूप से उन भक्तों द्वारा मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। हिंदू पांचांग के अनुसार राधाष्टमी भद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष के आठवें दिन मनाई जाती है। राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु बरसाना की ऊँची पहाडी़ पर स्थित गहवर की परिक्रमा करते हैं। परंपरागत रूप से राधाष्टमी मुख्य रूप से ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण के विग्रह पूर्ण रूप से फूलों से सजाया जाता हैं। राधाष्टमी वह दिन है जब भक्त राधा रानी के चरणों के शुभ दर्शन प्राप्त करते हैं, क्योंकि दूसरे दिनों में राधा के पैर ढके रहते हैं। इस बार राधाष्टमी 14 सितंबर को पड़ रही है जिसे हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए आप बरसाना की यात्रा कर सकते है ।
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