मानसून में राजस्थान घूमने के लिए अगर आप कोई हटकर जगह ढूंढ रहे हैं तो ये पांच जगहें आपके काम की हो सकती हैं।पाँचों जगह अपने आप में कुछ विशेषता लिए हुए हैं। कुछ जगहों के फोटोज तो आपने कई वायरल वीडियो /पोस्ट या एडवर्टीजमेंट में देखे भी होंगे। चलो देखते हैं कोनसी हैं ये ऑफ बीट जगहे :
1.चित्तोड़ से कोटा हाईवे के 5 अलग-अलग झरने :
आपने कई दफा सुना होगा कि राजस्थान सूखा प्रदेश हैं ,यहाँ पानी की बहुत कमी हैं। लेकिन ये वो ही लोग बोलते हैं जो राजस्थान कभी आये ही नहीं। पानी की कमी राजस्थान के कुछ 'रेगिस्तानी जिलों' में हो सकती हैं। पर बची हुए जिलों में तो आपको तालाब ,झीले ,झरने सब कुछ मिलेंगे। मानसून में आप कोटा से चित्तोड़ की ओर जब जाते हैं तो रास्ते में इधर के 4 प्रसिद्द झरने और साथ में मंदिर भी पड़ते हैं। नीलियाँ महादेव , झरिया महादेव ,भड़क्या महादेव ,भीमलत और मेनाल यह चार जगहें कोटा-चित्तोड़ हाईवे से सटे गाँवों में ही पड़ती हैं ,और मानसून में यहाँ पिकनिक मनाने आसपास के सैकड़ों लोग पहुंचते हैं। पांचो जगह महादेव का मंदिर भी बना हैं और बहुत ऊंचाई से गिरते इन झरनो में नहाने का मजा ही कुछ और आएगा। इन में से सबसे प्रसिद्द झरना ,मेनाल का झरना हैं और सबसे खूबसूरत भड़क्या महादेव के झरने हैं। भड़क्या महादेव में कई झरने एक बड़े इलाके में एक साथ गिरते हैं। आप कोटा ,भीलवाड़ा ,बूंदी या चित्तोड़ से इन जगहों दो दिनों में आराम से घूम सकते हैं।
2.गोरम घाट :
राजसमंद जिले के देवगढ़ क्षेत्र के पास स्थित गोरम घाट को जाना जाता हैं इस एरिया में से गुजरने वाली एकमात्र रेलवे लाइन के कारण। गोरम घाट अरावली की हरी भरी वादियों के बीच बसा हैं। चारो ओर घने हरे भरे जंगलो से आच्छादित इस क्षेत्र मे मानसून मे कई पर्यटक यहां पिकनिक मनाने आते हैं।यहा आकर लोग करीब 50 फ़ीट ऊँचे , 'जोगमंडी झरने' मे नहाते हैं,350 फ़ीट गहरी खाई पर बनी रेलवे लाइन पर पैदल ट्रेक करते हैं।ट्रैन कुछ मिनट यहां रूककर यात्रियों को उतार कर शाम को वापस आती हैं। इस इकलौती ट्रैन के अलावा यहां आने जाने का कोई साधन नहीं हैं और हां इस ट्रैन मे डिब्बे होते है केवल सात । यह ट्रैन 2 -3 रेलवे टनल से होती हुई सर्पिलाकार पटरीयो पर से गुजरती हुई यहां के खतरनाक जंगलो के दर्शन करवाती हैं।यह रेलवे ट्रेक राजस्थान का इकलौता ट्रैन ट्रेक है जो कि ब्रिटिशकालीन समय मे बना हुआ हैं। जंगल के बीच मे ही गोरमघाट रेलवे स्टेशन है जहा यात्री सुबह उतरते है और शाम को यही से वापस जाने को चढ़ते हैं। कई बार लोगों के वापस लौटते समय ट्रैन छूट जाती हैं और फिर उन्हें अँधेरे में कुछ 5 -7 किमी पैदल ट्रेक से चढ़ उतर कर रीटर्न होना पड़ता हैं। घाट के पास ही पहाड़ी पर गोरखनाथ जी का एक मंदिर भी हैं ,ट्रेक करके वहाँ पहुंच सकते हैं। फिलहाल एक दूसरी ट्रैन भी जल्दी इस ट्रेक पर दौड़ने वाली हैं।
अगर आपको ऐसी पटरी पर पैदल ट्रेक करना हैं जिसके दोनों तरफ और निचे खाई हो ,तो आप गोरम घाट जरूर जाए।
3. बांसवाड़ा :
कभी सुना हैं रेगिस्तानी प्रदेश में टापू भी मिलेंगे और वो भी 100 से भी अधिक। आश्चर्य हुआ ना ,आईये हमारे राजस्थान के बांसवाड़ा में। मानसून जब पीक पर हो तो लगेगा कि दुनिया की जन्नत शायद यही जगह हैं। महानगर की चकाचोंध ,शोरगुल से दूर इस छोटे से शहर में आकर आपको यह बस जाने का मन होगा। इसे 'मरुस्थल का चेरापूंजी' कहते हैं। यहाँ बहने वाली माही नदी में कई सारे छोटे बड़े टापू एक साथ हैं जिसकी वजह से इसे ''सौ टापुओं का शहर'' बोलते हैं। इंदौर ,रतलाम,जयपुर और उदयपुर से यहाँ के लिए नियमित बस सेवा रहती हैं। नजदीकी हवाईअड्डा 'उदयपुर एयरपोर्ट' हैं जो कि यहाँ से करीब 150 किमी दूर स्थित हैं। इसकी खूबसूरती देखने के लिए एक बार गूगल पर 'चाचा कोटा' शब्द सर्च करे ,फिर इमेजेज और वीडियो देखे।
प्रसिद्द स्थल : चाचा कोटा ,त्रिपुरा सुंदरी मंदिर ,माहि बाँध ,भीम कुंड आदि।
4. गराडिया महादेव : मेरा मानों तो इसके फोटोज जैसे ही आप सर्च करेंगे ,करते ही बोलेंगे कि कम से कम एक बार तो यहाँ जाना ही हैं और टॉप पर बैठकर फोटो खिंचवाना हैं। कोटा से 15 किमी दूर स्थित गराडिया महादेव 'मुकंदरा हिल टाइगर रिज़र्व' में बना शिव मंदिर हैं। इस रिजर्व क्षेत्र में सैकड़ों पक्षी ,विलुप्त प्रजाति के गिद्ध , पेंथर ,भालू और अन्य जंगली जानवर देखने को मिल सकते हैं।इस स्थान की प्रसिद्धि यहां इस चम्बल नदी के u-टर्न लेते हुए दिखाई देने के कारण हैं।यह दृश्य इतना विहंगम है कि साधारण कैमरे से इस पुरे नजारे को कैद नहीं किया जा सकता हैं। आपको यहां लगेगा कि आपके सामने उस पार की पहाड़ी कोई टापू पर स्थित हैं। एक फोटोग्राफर के लिए यहां अपना हुनर दिखाने के कई अवसर मिल सकते हैं।इस जगह प्रवेश के लिए आपके पास वैलिड आई डी प्रूफ का साथ होना जरुरी हैं।
यहा शहर के प्रदुषण भरे,भीड़ भाड़ वाले इलाको से केवल कुछ ही किलोमीटर दूर जाकर आप प्रकृत्ति की एक अद्भुद कलाकारी देख सकते है ,अपने आप को शांत ,सुदूर इलाके मे पाकर कुछ देर मैडिटेशन कर सकते है।जहा ना तो ढंग से कोई मोबाइल नेटवर्क मिलेगा ,ना हॉर्न की आवाज़। केवल मिलेगी तो पक्षियों की चहचहाट ,बहती हवा का अहसास और बारिश के मौसम मे बहते पानी की कर्णप्रिय ध्वनि।
नजदीकी पर्यटक स्थान : बूंदी किला ,सेवन वंडर्स पार्क ,चम्बल गार्डन।
कैसे पहुंचे : कोटा शहर से कैब रेंट पर लेकर।
5. जवाई बेरा :
यह जगह हैं पाली जिले में शहर से करीब 85 किमी दूर स्थित एक तरह का वन्य क्षेत्र /अभ्यारण। पर यह अभ्यारण असल में छोटे से गाँव 'बेरा' की पहाड़ियां ही हैं। अभी पिछले कुछ वर्षों से ही इस जगह को बड़े पैमाने पर टूरिस्ट के लिए विकसित किया जा रहा हैं। यहाँ आप तेंदुए ,पेंथर ,भालू ,लक्कड़बग्घे आदि देखने के लिए यात्री पुरे भारत की अलग अलग जगहों से आने लगे हैं। तेंदुआ दिखना यहाँ सामान्य हैं क्योकि इस क्षेत्र में कई सारे तेंदुए हैं। टूरिस्ट यहाँ आकर कैंपिंग ,ट्रैकिंग ,बॉन फायर आदि का मजा लेते हैं। थोड़े ही पास स्थित जवाई बाँध में मगरमच्छ ,घड़ियाल भी दिख जाएंगे। परिवार के साथ एक सेफ एडवेंचर करने की इस से बढ़िया ऑफ बीट जगह कोई नहीं मिलेगी। पाली ,मारवाड़ क्षेत्र में पड़ता हैं तो आप मारवाड़ क्षेत्र के ग्रामीण कल्चर को भी इधर जानेंगे और आश्चर्य करेंगे कि कैसे इन ग्रामीणों को तेंदुओं से कोई ख़ास डर नहीं लगता।
नजदीकी अन्य स्थल : माउंट आबू ,कुम्भलगढ़।
Note: इन सभी जगहों को अब आप मानसून से मार्च तक घूम सकते हैं। कुछ झरने जरुर नवरात्री के बाद बंद हो जाते हैं लेकिन इन सभी जगहों की खूबसूरती देखने का सही समय मानसून से मार्च तक ही हैं।
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-ऋषभ भरावा