घने जंगल में है 2100 वर्ष पुराना मंदिर, कभी था भूतों का डेरा आज लगती है भक्तों की कतारें

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Photo of घने जंगल में है 2100 वर्ष पुराना मंदिर, कभी था भूतों का डेरा आज लगती है भक्तों की कतारें by We The Wanderfuls

राजस्थान एक ऐसा प्रदेश जहाँ आपको कब क्या दिख जाये आप सोच भी नहीं सकते। अगर बात करें बारिश के मौसम की तो इस समय तो राजस्थान की खूबसूरती का एक अलग ही रूप आपके सामने आता है और इसीलिए मानसून को आप राजस्थान घूमने का सबसे अच्छा समय भी बता सकते हैं। मानसून में ट्रेक करने का अनुभव सच में शानदार होता है और अगर ऐसे ही किसी ट्रेक के दौरान आपको चारों ओर घने जंगल के बीच एक हज़ारों वर्ष पुराना मंदिर मिलें जिसके बारे में कहा जाता है कि किसी ज़माने में यहाँ भूतों का डेरा हुआ करता था, तो बताइये हो जायेगा ना वो ट्रेक हमेशा के लिए यादगार !

तो बस आज के हमारे इस लेख में हम आपको राजस्थान की राजधानी जयपुर में जंगलों में छिपे हुए एक ऐसे ही बेहद प्राचीन मंदिर के बारे में बताने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं ...

भूतेश्वर महादेव मंदिर

भूतेश्वर महादेव मंदिर जयपुर के आमेर में घने और विशाल जंगलों के बीच अरावली पर्वतमालाओं के मध्य में स्थित है। बताया जाता है कि यह मंदिर जयपुर शहर की स्थापना से भी पहले से यहाँ मौजूद है। वैसे भी आमेर के आस पास ऐसे कई स्थान हैं जो आज तक अधिकतर पर्यटकों से छिपे हुए हैं लेकिन जिन्हें भी इन स्थानों का पता है उनके लिए मानसून में इन शानदार स्थलों तक ट्रेक करके जाने से अच्छा विकल्प और कुछ हो ही नहीं सकता। साथ ही यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से भी एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ महादेव के दर्शनों के लिए महाशिवरात्रि को तो सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक भी भक्तों का ताँता लगा रहता है। बताया जाता है कि महादेव यहाँ आये हर भक्त कि मनोकामना जरूर पूरी करते हैं और जयपुर के अलावा अन्य शहरों से भी यहाँ भक्तों का आना लगा रहता है। खास तौर पर सावन में तो महादेव के दर्शनों के साथ इस खूबसूरत प्राकृतिक जगह के नज़ारे देखने भी कई लोग यहाँ खींचे चले आते हैं।

मंदिर का इतिहास

वैसे तो इस मंदिर की स्थापना कब हुई थी इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती है लेकिन आपको बता दें कि यहाँ जो पुजारी हैं उनका परिवार 13 पीढ़ियों से इस मंदिर में सेवा-पूजा कर रहे हैं और उसी परिवार में वर्तमान में यहाँ के पुजारी ओमप्रकाश पारीक जी के अनुसार मंदिर में एक लेख मिला है जिसके अनुसार यह मंदिर 2100 वर्ष पुराना है ये सिद्ध होता है। साथ ही यह मंदिर जिस तरह से मजबूत खंभों पर टिका है और इसकी बनावट, मंडप और गुम्बद देखकर ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर 17वीं शताब्दी का ही है। बताया जाता है कि इसे उस समय में कारीगर चंदाराम कुमावत ने बनाया था। मंदिर में गर्भगृह में करीब ढाई फ़ीट ऊँचे शिवलिंग स्थापित हैं और इन दिनों भक्तों की काफी भीड़ यहाँ भूतेश्वर नाथ महादेव के दर्शनों के लिए आने लगी है।

मंदिर में भूतों के वास से जुडी कहानियां

प्राचीन मंदिरों से जुडी रोचक कहानियां आपने जरूर सुनी होंगी और इसी तरह इस मंदिर से जुडी भी एक कहानी है। ऐसा बताया जाता है कि सदियों पहले इस इलाके में जिन्न और भूतों का डेरा हुआ करता था और ये भूत मंदिर में आने वाले हर पुजारी को भी मार डालते थे और इसीलिए यह जगह सुनसान ही रहती थी। फिर कुछ समय बाद यहाँ मंगल बंदी नाम के एक महान तपस्वी आये और उन्होंने अपनी तपस्या के पराक्रम से उन पर जीत दर्ज कर ली और उसके बाद से मंगल बंदी महाराज यहीं तपस्या भी करने लगे। कुछ वर्षों बाद उन्होंने यहाँ जीवित समाधी ले ली थी और आज भी आप उनका समाधी स्थल मंदिर के ठीक पीछे देख सकते हैं जहाँ एक नींबू का पेड़ भी लगा है। साथ ही वहीं पर एक ओर उनके तीन शिष्यों कि समाधियां भी मौजूद हैं।

कैसे पहुंचे?

भूतेश्वर नाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए आपके पास दोनों विकल्प हैं। अगर आप ट्रैकिंग नहीं करना चाहते तो भी अपने वाहन या टैक्सी वगैरह की सहायता से आप यहाँ सड़क मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं। उसके लिए आप नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से करीब 5 किलोमीटर दूर पहाड़ियों के बीच स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।

अगर आप ट्रैकिंग करके यहाँ जाना चाहते हैं तो इसके लिए आप पहले आमेर किले के पीछे स्थित सागर झील तक पहुँच जाएँ। आपको बता दें की सागर झील भी आमेर का एक छिपा हुआ पर्यटन स्थल है। फिर वाहन से पार्किंग क्षेत्र से सीढ़ियों द्वारा ऊपर चढ़ें और फिर ट्रैकिंग के पथ के अनुसार ऊपर चलते रहें। करीब डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद किले के एक द्वार तक चलते रहें और फिर वहाँ किले के गेट से ट्रैकिंग पथ के साथ चलते हुए आप आसानी से भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर पहुँच जायेंगे। आपको बता दें की ट्रेक करीब 3 किलोमीटर का है और ट्रेक का कठिनाई स्तर आसान से मध्यम दर्जे का ही है। बस दुरी की वजह से आपको करीब 1.5- 2 घंटे यहाँ पहुँचने में लग सकते हैं।

भूतेश्वर महादेव मंदिर फोटो क्रेडिट: The Humble World

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ट्रेक के लिए बरती जाने वाली सावधानियां

वैसे तो इस ट्रेक के लिए कोई खास सावधानियां आपको नहीं बरतनी पड़ेगी बस हाँ आम तौर पर पहाड़ी जंगलों से घिरे होने की वजह से आपको इस ट्रेक में मजबूत छड़ी जरूर अपने साथ रखनी चाहिए और हो सके तो ग्रुप में ही इस ट्रेक पर जाएँ। साथ ही आपको बता दें की इस पूरे ट्रेक के दौरान आपको कोई भी छोटी-बड़ी दूकान नहीं मिलने वाली तो उसके अनुसार खाने और पीने का सामान अपने साथ अवश्य रखें।

इसके अलावा चूँकि इस ट्रेक में पक्का रास्ता नहीं बना है तो ट्रेक को ट्रैकिंग के लिए उपयुक्त अच्छे जूते पहनकर ही करें क्योंकि कही-कहीं पथरीला रास्ता भी आपको मिलेगा।

जाने के लिए सबसे बेस्ट समय

जैसा कि हमने आपको बताया कि जयपुर ही क्या बल्कि राजस्थान में किसी भी ट्रेक पर जाने के लिए मानसून सबसे अच्छा समय माना जा सकता है क्योंकि बारिश के मौसम में अरावली पर्वतमालाओं की अपनी एक अलग ही खूबसूरती दिखाई देती है जिसे देखकर आप वास्तव में मंत्रमुग्ध हो जायेंगे। इसके अलावा आप सर्दी के मौसम में भी यहाँ जा सकते हैं बस इस मौसम में आपको हरियाली उतनी नहीं दिखने वाली तो प्राकृतिक नज़ारों का अनुभव आपका थोड़ा फीका हो जायेगा। गर्मियों में आप जाना चाहते हैं तो सुबह जल्दी इस ट्रेक पर जाने की कोशिश करें।

तो अगर आप जयपुर में या फिर जयपुर के पास हैं तो भूतेश्वर नाथ महादेव के दर्शन करने जरूर जाएँ। यकीन मानिये चारों ओर घनी हरियाली की चादर ओढ़ी अरावली पर्वतमालाओं के बीचों बीच एक विशाल पेड़ के बगल में स्थित इस प्राचीन मंदिर की पहली झलक भी आपकी यादों में हमेशा के लिए बस जायगी। साथ ही ट्रेक में भी आपको जयपुर में कभी ना देखे हुए खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारे देखने को मिलने वाले हैं। इसके लिए जितनी भी जानकारी हमारे पास थी उसे हमने आपसे साझा करने का इस लेख में प्रयास किया है। अगर आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें।

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