सन 1740 में निर्मित तूरजी का झालरा जोधपुर के महाराजा अभयसिंह की महारानी तंवर (तूर रानी) ने बनवाया था जिसके कारण उसका नाम तुरजी का झालरा पड़ा महारानी ने जल संरक्षण के साथ इस झालरे को बहुत सुंदर तरीके से निर्माण करवाया था. उस दौरान झालरे की गहराई इतनी रखी गई की महिला आराम से सीढ़ियों से उतर कर पानी भरकर ऊपर आ सके. आज ऐतिहासिक तूवर जी के झालरे को जल संरक्षण के तौर पर मिसाल के रूप में देखा जाता है
जल सरंक्षण के साथ पर्यटकों की पसंद:-
तूरजी का झालरा वैसे तो जल संरक्षण और स्टोरेज को लेकर बनाया गया था. लेकिन आज यह दुनिया भर में स्टेप वेल के नाम से मशहूर है. हर साल लाखों पर्यटक इस सस्टैप वेल में आकर अपना फोटोशूट करवाते हैं. तूरजी का झालरा की प्रभावशाली डिजाइन कई पर्यटकों को आकर्षित करती है अगर आप जोधपुर घुमने आ रहे हैं तो यह जाना न भूले
प्रवेश निशुल्क है
जोधपुर रेलवे स्टेशन से 1.8 किमी दूर है