1947 में जहाँ एक तरफ देश में आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा था वहीं दूसरी तरफ पंजाब का कुछ हिस्सा पाकिस्तान की सीमा में चला गया। इनमें एक जगह ऐसी थी जो सिख समुदाय के लिए बेहद ख़ास थी। मान्यताओं के अनुसार करतारपुर साहिब गुरुद्वारा वो जगह है जहाँ सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपनी ज़िन्दगी के आखिरी 18 साल बिताए थे। कहा जाता है कि गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए और फिर यहीं रह गए। उनकी मौत के बाद मुस्लिमों और सिखों में झगड़ा हुआ। दोनों का कहना था कि गुरु नानक उनके धर्म गुरु हैं। इसके चलते गुरु नानक की मौत के बाद बचे हुए फूलों को दो हिस्सों में बांट दिया गया जिसे बाद में करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का निर्माण हुआ।
सालों से भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मनमुटाव की वजह से भारतीयों के लिए इस गुरुद्वारे में जाना मुमकिन नहीं था लेकिन नवंबर 2019 में आखिरकार दोनों देशों की सहमति से एक कॉरिडोर बनाया गया। जिसको इस्तेमाल करके भारतीय लोग भी पाकिस्तान के इस गुरुद्वारे में जा सकते है। 42 एकड़ में बना ये विशाल गुरुद्वारा सचमुच में बेहद खूबसूरत दिखता है। यहाँ तक पहुँचने के लिए बॉर्डर से 4.5 किमी. रास्ता तय करना होता है जिसे करतारपुर कॉरिडोर नाम दिया गया है। लेकिन करतारपुर जाने से पहले कुछ बातें जो जान लेना जरूरी हैं।
1. वीज़ा और परमिट
करतारपुर कॉरिडोर बना ही इसलिए है जिससे सभी भारतीय बिना वीज़ा लिए गुरुद्वारे तक जा सकें लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप यूं ही चलते हुए बॉर्डर पार कर सकते हैं। यहाँ जाने के लिए आपको इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथराइजेशन (ईटीए) की ज़रूरत होती है। इस ईटीए को आप जाने से 14 दिन पहले भर सकते हैं। फार्म भरने के कुछ दिन बाद आपको ग्रह मंत्रालय से फोन आता है जिसमें आपसे कुछ ज़रूरी जानकारी ली जाती है। इसके बाद आपको अपने लोकल पुलिस स्टेशन में जाकर एक डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होता है कि आप केवल घूमने के लिए करतारपुर जाना चाहते हैं और साथ में अपने दो करीबियों के आईडी प्रूफ़ देने होते हैं। इसके बाद आपके पास एक मैसेज आएगा जिसमें एक लिंक दिया जाता है जिससे आप अपना ईटीए डाउनलोड कर सकते हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये ईटीए केवल उसी एक दिन के लिए मान्य होगा जिस तारीख़ को आपने अपने फॉर्म में भरी होगी।
2. ज़रूरी कागज़ात
करतारपुर जाने के लिए सबसे जरूरी है आपका पासपोर्ट। अगर आपके पास पासपोर्ट नहीं है तो आप यहाँ आने का सोच भी नहीं सकते क्योंकि बिना पासपोर्ट के आप अप्लाई नहीं कर पाएंगे। अप्लाई करते समय आपको पासपोर्ट को स्कैन करके फॉर्म में भरना होता है। इसके अलावा आपके पास अपनी एक स्कैन की हुई फ़ोटो भी होनी चाहिए। जब आप करतारपुर पहुँच गए होंगे तब आपके पास पासपोर्ट और ईटीए का प्रिंट होना बहुत ज़रूरी है।
3. पासपोर्ट पर स्टैम्प
वैसे तो ये गुरुद्वारा है लेकिन यहाँ मुस्लिम धर्म के लोग भी आ सकते हैं। लोगों को लगता है अगर पासपोर्ट पर एक बार पाकिस्तान का स्टैम्प लग गया फिर और किसी देश का वीज़ा मिलना नामुमकिन है लेकिन ऐसा नहीं है। जानकारी के लिए बता दें करतारपुर जाने के लिए आपके पासपोर्ट पर किसी भी तरह का कोई स्टैम्प नहीं लगाया जाता है। इसके लिए बिल्कुल परेशान नहीं होना चाहिए लेकिन पासपोर्ट होना ज़रूरी है। गुरुद्वारे में आने वाले सभी लोगों की केवल एक चाहत है और वो है आपस में मिलना। यहाँ एक तरफ़ लोगों ने भाईचारे का स्टैम्प लगा दिया है लेकिन हम अब भी ये सोचते हैं कि कहीं पाकिस्तान की स्टैम्प न लग जाए।
4. खर्च
करतारपुर के लिए हर श्रद्धालु को 20 डॉलर यानी 1400 रूपए देने होते हैं। अच्छा होगा आप करेंसी भारत से ही बदलवा कर जाएँ। अगर आप करतारपुर जाकर करेंसी बदलवाते हैं तो आपको लगभग 1800 रुपए देने होंगे। वैसे इस फ़ीस को लेकर काफ़ी चर्चा चलती रहती है लेकिन अगर आप कॉरिडोर की बनावट देखेंगे। तब आपको ये पैसे बेकार बिल्कुल नहीं लगेंगे। गुरुद्वारे में म्यूज़ियम, लाइब्रेरी, लॉकर, इमिग्रेशन के लिए जगह जैसी सुविधाएं भी हैं। जिसके रखरखाव में लगने वाला ज़्यादातर खर्च इसी फ़ीस से जमा किया जाता है।
5. कितना सेफ है ये?
पाकिस्तान का ज़िक्र आते ही जो सबसे पहला सवाल मन में आता है वो है सुरक्षा । करतारपुर साहिब पाकिस्तान सीमा में आता है इसलिए ये सवाल आना बिल्कुल सही भी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये जगह एकदम सेफ है और यहाँ आने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षा का ख़ास ध्यान रखा जाता है। यहाँ हर थोड़ी दूरी पर आर्मी और पुलिस के जवान खड़े मिलेंगे। जिससे आपकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं होगी।
6. कहाँ खाएं?
गुरुद्वारे में हों और खाना कहाँ खाएं जैसा सवाल पूछना बिल्कुल ग़लत होगा। यहाँ पूरे दिन लंगर चलता है जहाँ दिन में लगभग हर समय खाना खाने की पूरी व्यवस्था है। यहाँ आमतौर पर दाल, चावल, रोटी के साथ एक सब्ज़ी और फल दिए जाते हैं। अगर आप लंगर में नहीं खाना चाहते तो गुरुद्वारे के पास एक बाज़ार भी है। बाज़ार में कुछ 15 दुकानें जहाँ खाने-पीने का बढ़िया इंतजाम है।
7. सबसे सही समय
ये कॉरिडोर पूरे साल खुला रहता है। इसका मतलब है कि आप साल के किसी भी समय करतारपुर जा सकते हैं। वेबसाइट पर भी कोई निश्चित समय नहीं दिया हुआ है लेकिन अगर गुरुद्वारे की बात करें तो ठंड में सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक और गर्मियों में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक है। ये समय भारतीयों के लिए है। इस समय के पहले आप पाकिस्तानी सीमा में नहीं जा सकते हैं लेकिन वापस आप कभी भी आ सकते हैं।
8. आसपास के इलाकों की सैर
अगर आप करतारपुर जा रहें हैं तो आपको इसके अलावा पाकिस्तान के किसी भी और इलाके में जाने की अनुमति नहीं होती है। बॉर्डर से लेकर गुरुद्वारे तक के रास्ते में दोनों तरफ़ बैरिकेडिंग लगी हुई है और आपको केवल इसी रास्ते पर चलना होता है। इसके अलावा आपको किसी भी गाँव या बाज़ार में जाने की अनुमति नहीं होती है।
9. कैसे पहुँचे?
करतारपुर जाने के लिए आपको सबसे पहले अमृतसर आना होगा। अमृतसर देश के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ पहुँचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। अमृतसर से आपको डेरा बाबा नानक आना होगा। अमृतसर से लगभग 50 किमी. दूर इस जगह पर आने के लिए आप बस या ट्रेन किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप बस से आना चाहते हैं तो अमृतसर से हर आधे घंटे में डेरा बाबा नानक के लिए बसें चलती हैं।
अगर आप ट्रेन से आने का सोच रहें हैं तो आपके पास 4 विकल्प हैं। इनमें एक ट्रेन अमृतसर जंक्शन से मिल जाएगी और बाकी तीन ट्रेनों के लिए आपको वेरका स्टेशन आना होगा। डेरा बाबा नानक स्टेशन से आप टैक्सी लेकर बॉर्डर तक पहुँच सकते हैं। अगर आप अपनी गाड़ी से आ रहें हैं तो बॉर्डर पर गाड़ी पार्क करने के लिए भी जगह है। बॉर्डर पार गुरुद्वारे तक जाने के लिए बसें चलती हैं जिससे आप आराम से गुरुद्वारा पहुँच सकते हैं।
10. इन बातों का रखें ध्यान
करतारपुर जाने का सबसे अच्छा हिस्सा यही है कि यहाँ बहुत ज़्यादा नियम नहीं हैं। हर व्यक्ति को 7 किलो तक सामान ले जाने की अनुमति है जिसमें आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से सामान ले जा सकते हैं। अगर आप कैमरा साथ रख रहें हैं तो उसमे भी कोई दिक्कत नहीं होगी। अगर आप कुछ दान करना चाहते हैं तो वो भी कर सकते हैं। आवेदन करते समय वेबसाइट पर उन चीज़ों की सूची है जिन्हें आप अपने साथ नहीं ला सकते हैं। इसलिए उस सूची को ध्यान से देख लेना चाहिए।
करतारपुर साहिब कॉरिडोर का मखमली एहसास आपको हमेशा याद रह जाएगा। इसलिए यहाँ एक बार ज़रूर जाना चाहिए।
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