बास्गोः लद्दाख की ये खूबसूरत जगह अब भी लोगों के लिए है गुमनाम

Tripoto
Photo of बास्गोः लद्दाख की ये खूबसूरत जगह अब भी लोगों के लिए है गुमनाम by Rishabh Dev

हर घुमक्कड़ की हसरत होती है कि वो भारत के सबसे खूबसूरत प्रदेशों में से एक लद्दाख की सैर जरूर करें। कोई बाइक से लद्दाख जाता है तो कोई गाड़ी से जाता है लेकिन जरूरी बात ये है कि आप लद्दाख को कैसे घूमते हैं? लद्दाख की उन जगहों पर जाते हैं जिनके बारे में सब जानते हैं या फिर किसी नई जगह पर जाते हैं। फेमस जगहों को भी घूमना चाहिए लेकिन उससे भी जरूरी है अनछुई जगहों पर जाना। लद्दाख में एक ऐसी ही जगह है जिसके बारे में कम लोगों को ही पता है। बास्गो लद्दाख की वो जगह है जो लोगों के लिए अब भी गुमनाम है।

Photo of बास्गोः लद्दाख की ये खूबसूरत जगह अब भी लोगों के लिए है गुमनाम 1/1 by Rishabh Dev

लद्दाख के बास्गो में कुल 150 घर हैं। समुद्र तल से 10,801 फुट की ऊँचाई पर स्थित ये कस्बा इंडस नदी के किनारे स्थित है। लद्दाख के लेह जिले में स्थित ये कस्बा लद्दाखी संस्कृति के लिए खासा महत्व रखता है। यहाँ पर कई ऐतहासिक जगहें हैं जिनको देखकर यहाँ की महत्ता को समझा जा सकता है। यहाँ की स्थानीय भाषा लद्दाखी और उर्दू है। यहाँ पर 11 से 13वीं शताब्दी के कई मंदिर हैं जिनको यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट बनाया गया है। आपके पास अगर अच्छा वक्त हो तो आप इन सबको देख सकते हैं।

इतिहास

मुगलों के आने से पहले 1680 तक जामयांग नामग्याल लद्दाख के राजा थे। उनके समय में बास्गो लद्दाख की राजधानी हुआ करती थी। बाद में मुगलों ने आक्रमण करके नामग्याल को गद्दी से हटा दिया। उन्होंने लद्दाख को दो भागों में बांट दिया, लोअर और अपर लद्दाख। लोअर लद्दाख में बास्गो और तेमिस्गम इलाके पर तकपाबुम का शासन था। वहीं अपर लद्दाख में शेय से लेह का इलाका आता था जिस पर तकबुमडे का राज था।

इसके बाद बास्गो का असली राजा भगन ने लड़ाई करके लद्दाख का राजा बन गया और लद्दाख को फिर से एक कर दिया। उसने अपने आपको नामग्याल नाम दिया। इसके बाद लद्दाख सालों से ऐसा ही रहा, खूबसूरत। उसी लद्दाख में बेहद खूबसूरत जगह है बास्गो। बास्गो खूबसूरत तो है ही इसके अलावा अपने इतिहास के लिए भी जाना जाता है। हर किसी को एक बार जरूर लद्दाख के इस छोटे-से कस्बे की यात्रा करनी चाहिए।

1- बास्गो मोनेस्ट्री

बास्गो मोनेस्ट्री में खंडहर बन चुका महल और मोनेस्ट्री दोनों आते हैं। इस मोनेस्ट्री में बुद्ध का बेहद खूबसूरत स्टैच्यू है। यहाँ के महल को 1680 में पहाड़ की ऊँची चोटी पर बनाया गया था। आप आज भी इस खंडहर महल को देख सकते हैं। ये महल बास्गो के इतिहास को बताता है। बास्गो मोनेस्ट्री को दोबारा स्थापित किया गया है। इसके अलावा इस गाँव के चारों तरफ एक टूटी-फूटी 300 मीटर की दीवार बनी हुई है। कभी ये दीवार बास्गो का सुरक्षा कवच हुआ करता था लेकिन आज ये कई जगह से टूटी हुई है। अगर आप बास्गो घूमने जाते हैं तो मोनेस्ट्री को देखने जरूर जाएं।

2- चंबा मैत्रेय

बास्गो में बुद्ध के कुछ जाने-माने मंदिर भी हैं। जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए। उनमें से ही एक है, चंबा मैत्रेय। ये मंदिर पहाड़ की एक ऊँची चोटी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कई सीढ़ियां चढनी होती हैं जो आपको यकीनन थका देंगी। जब आप पहाड़ की ऊँची चोटी पर पहुँचेंगे तो बास्गो के सबसे खूबसूरत नजारों के गवाह बन सकेंगे। मंदिर के अंदर 14 मीटर ऊँची मूर्ति है जो सोने की बनी हुई है। आपको दूर से मूर्ति का सिर नहीं दिखाई देगा। पास जाने पर आप चंबा मैत्रेया की पूरी मूर्ति को देख पाएंगे। कहते हैं कि मंदिर को 1490 में दराकस्पा बुमल्डे ने बनवाया था। बास्गो आएं तो इस कलरफुल मंदिर को देखना न भूलें।

3- सेरजिंग मंदिर

चंबा मैत्रेय को देखने के बाद आप सेरजिंग मंदिर को भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि ये मंदिर चंबा मैत्रय से भी पुराना है। सेरजिंग मंदिर पहाड़ी पर नीचे की तरफ स्थित है। इस मंदिर में भी एक बड़ी-सी मूर्ति है। ये मूर्ति तांबे की बनी हुई है। कहते हैं कि इस मंदिर को जामयांग नामग्याल ने बनवाना शुरू किया था लेकिन इसे उसे के बेटे ने पूरा किया था। मंदिर के अंदर तो सब कुछ अच्छा है ही इसके अलावा बाहर से बास्गो का खूबसूरत व्यू देखने का मिलता है। खुरदुरे पहाड़ों के बीच में हरियाली का दिख जाना सुकून देता है।

4- चमचुंग मंदिर

असल में बास्गो का ये मंदिर मस्जिद है। इसे मुस्लिम राजकुमार ग्याल खातून ने नमाज पढ़ने के लिए बनवाया था। बाद में जब उसने मुस्लिम से बुद्ध धर्म अपना लिया तो इस मस्जिद को बुद्ध का मंदिर बना दिया गया। चमचुंग मंदिर में बुद्ध की एक मूर्ति है जो काफी खूबसूरत है। आप बास्गो को तभी अच्छे से घूम पाएंगे जब आप तीनों मंदिरों को घूम पाएंगे। आपको अपनी बास्गो की यात्रा में इन तीनों मंदिरों में जरूर जाना चाहिए।

5- बास्गो में पैदल

कहते हैं कि किसी जगह को अपना बनाना है तो उस जगह को पैदल घूमें। मंदिर और मोनेस्ट्री को देखते हुए आपने काफी हद तक बास्गो को जान लेंगे। इसके अलावा आप बाकी जगहों पर भी पैदल जाएं। वैसे भी ये लद्दाख का छोटा-सा कस्बा है जिसे आप थोड़ी ही देर में ही कदमों से नाप लेंगे। बिना मंजिल के पैदल चलना सबसे खूबसूरत होता है। आपको तब बास्गो के पहाड़, हरियाली और प्यारे लोग नजर आएंगे। आप चलते हुए यहाँ के लोगों से थोड़ी गपशप भी कर सकते हैं। ये कर लिया तो समझिए कि हो गई आपकी घुमक्कड़ी।

कैसे पहुँचे?

बास्गो तक आप वाया रोड ही पहुँच सकते हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए कोई फ्लाइट या ट्रेन नहीं है। लेह से बास्गो सिर्फ 40 किमी. की दूरी पर है। बास्गो लामयारू और शाम वैली के रास्ते में निमू गांव के पास में स्थित है। इस गाँव से बास्गो की दूरी सिर्फ 6 किमी. की दूरी पर है। आप यहाँ तक खुद की गाड़ी या कैब से आ सकते हैं। इसके अलावा यहाँ के लिए टैक्सी भी चलती हैं। जिससे आप आराम से यहाँ तक पहुँच सकते हैं।

कब जाएं?

लद्दाख भारत की सबसे ठंडी जगहों में से एक है इसलिए सर्दियों में बास्गो जाने की गलती तो बिल्कुल न करें। आप यहाँ पर गर्मियों में अप्रैल से जून के बीच में आ सकते हैं। तब यहाँ का मौसम अच्छा होता है और ठंड भी आपको नहीं लगेगी। इसके अलावा आप सितंबर से अक्टूबर में भी यहाँ आ सकते हैं। उस समय आपको यहाँ थोड़ी-थोड़ी बर्फ मिलेगी। बाकी समय तो यहाँ के रास्ते बर्फ से ढंक जाते हैं। उस समय बास्गो आना नामुमकिन-सी बात है।

कहाँ ठहरें?

बास्गो में ठहरने की कोई जगह नहीं है। बास्गो लेह से 40 किमी. की दूरी पर है। यहाँ पर बिल्कुल सुबह-सुबह आइए और अच्छे-से घूमने के बाद वापस लौट जाइए। इसके अलावा आप नीमू गांव में भी ठहर सकते हैं जो यहाँ से 6 किमी. की दूरी पर है। बाकी अगर कुछ नहीं मिला तो फिर लेह ही सबसे अच्छा विकल्प है।

कुछ सुझावः

1. बास्गो के मंदिर सभी दिन खुले रहते हैं। मंदिर में जाने के लिए एंट्री टिकट भी है।

2. बास्गो पहाड़ों वाला इलाका है इसलिए आप मजबूत जूते पहनकर यहाँ पर आएं। फैंसी जूते पहनकर आए तो आपको दिक्क्त हो सकती है।

3. यहाँ पर एयरटेन और बीएसएनएल का बढ़िया नेटवर्क आता है। आपके पास इन दोनों की सिम है तो आपको किसी से बात करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

4. यहाँ पर फोटोग्राफी के लिए कहीं भी कोई रोक नहीं है। आप मंदिर के भीतर की भी फोटो ले सकते हैं।

क्या आपने लद्दाख के बास्गो की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

Tripoto हिंदी के इंस्टाग्राम से जुड़ें और फ़ीचर होने का मौक़ा पाएँ।

Further Reads