लद्दाख का शानदार लैंडस्केप हर घुमक्कड़ को अपनी ओर आकर्षित करता है। लद्दाखी संस्कृति के बारे में नजदीक से जानने के लिए दूर-दूर से लोगों का आना जाना लगा रहता है। लद्दाख में घूमने के लिए आपके पास दो विकल्प हैं। या तो आप कोई गाड़ी रेंट करके उससे लद्दाख घूम सकते हैं और या आप इस दूसरे तरीके से घूम सकते हैं। दूसरे तरीके में आपकी घुमक्कड़ी ट्रेक पर निर्भर रहेगी जिसमें आपको अलग अलग स्थानीय गाँवों से होकर गुजरना होगा। बेशक ट्रेक करके घूमने में आपको ज्यादा समय लगेगा और हो सकता है आप बहुत दूर भी जा पाएँ। लेकिन लद्दाख की गई हर ट्रेक में आपको रोमांच का पक्का वादा मिलता है। जो किसी भी घुमक्कड़ के लिए बेहद जरूरी होता है। यदि आप ये सोच रहे हैं कि लद्दाख के सभी ट्रेक अनुभवी लोग ही कर सकते हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। शाम घाटी ट्रेक लद्दाख का वो जादुई ट्रेक है जो करने में भी आसान है और जिसकी खूबसूरती देखकर आप खुशी से झूम उठेंगे।
शाम घाटी ट्रेक
बेबी ट्रेक के नाम से भी फेमस शाम घाटी ट्रेक लद्दाख के सबसे आसान और छोटे ट्रेक में से है। यदि आप उन लोगों में से हैं जिन्हें ट्रेकिंग का ज्यादा अनुभव नहीं है तब भी आप इस ट्रेक को आराम से कर सकते हैं। शाम घाटी ट्रेक लद्दाख के शाम हिस्से से होकर गुजरता है जो लद्दाख का निचला भाग है। अच्छी बात ये भी है कि इस ट्रेक को करने के लिए आपको किसी तय समय का इंतेज़ार नहीं करना होता है। आप साल के किसी भी समय शाम घाटी ट्रेक करने जा सकते है। ये ट्रेक लद्दाख के ग्रामीण क्षेत्रों को देखने का भी बढ़िया तरीका है। आप चाहें तो अपने परिवार के साथ की इस ट्रेक पर आ सकते हैं। शाम घाटी को आज की स्थिति में लाने का श्रेय घाटी से होकर बहने वाली पानी की धारा को जाता है। जिसने इस घाटी का रूप ही बदल दिया। शाम घाटी में आज जितना भी आवासीय क्षेत्र हैं वो इस धारा के कारण ही हैं। 3,900 मीटर की ऊँचाई तक ले जाने वाले इस ट्रेक से आपको बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा। लद्दाखी कल्चर और मठ, ग्रामीण जीवन की झलक जैसी चीजें इस ट्रेक को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देती हैं।
ऐसे करें शुरुआत
इस ट्रेक को शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले लिकर आना होता है। लिकर वो जगह है जिसको शाम घाटी ट्रेक का शुरुआती प्वॉइंट माना जाता है। लिकर आने के लिए आपको लेह पहुँचना होता है। लेह से लिकर आप आसानी से ड्राइव करके आ सकते हैं। लेह आने के लिए आप फ्लाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं या वाया रोड ड्राइव करके आ सकते हैं। यदि आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो लेह एयरपोर्ट आपके लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर जैसे बड़े शहरों से लेह के लिए आसानी से फ्लाइट मिल जाती है। लेह आने के बाद आप प्राइवेट टैक्सी लेकर लिकर आ सकते हैं। लिकर में पहला दिन आपको आराम करके बिताना चाहिए। क्योंकि हमारे शरीर को इतनी ऊँचाई की आदत नहीं होती है इसलिए आराम करना और अपने आप को माहौल के हिसाब से ढालने के लिए समय देना बहुत महत्वपूर्ण है जाता है। इस दिन आप लिकर मोनास्ट्री घूम सकते हैं।
पहला दिन: लिकर से यांगथांग
इस ट्रेक की अच्छी बात ये है कि आपको इसमें किसी भी तरह की कोई जल्दबाजी या हड़बड़ी करने की जरूरत नहीं होती है। आप आराम से अपना समय लेकर ट्रेक कर सकते हैं। ट्रेक की शुरुआत आपको सुबह 10 से 11 बजे के बीच करनी चाहिए। पहले दिन का सफर आगे के रास्ते की तुलना में काफी आसान होगा। लेकिन यदि आप गर्मियों में इस ट्रेक को करने का मन बना रहे हैं तो आपको उमस और तेज़ धूप का सामना करना पड़ सकता है। ट्रेक की शुरुआत लिकर हाई स्कूल से होती है। स्कूल से कुछ 500 मीटर चलने के बाद रोड से उतरकर आप सीधे घाटी की और बढ़ने लगते हैं। आगे बढ़ने पर आपका स्वागत एक छोटी नहर से होगा जिसको पार करने के बाद आप घाटी के दूसरे हिस्से में पहुँच जाएँगे। ट्रेक के इस भाग में आपको बौद्ध स्तूप के साथ-साथ जौं और सरसों के खेत मिलेंगे। वहीं लैवेंडर के फूलों की भीनी खुशबू आपकी सारी थकान दूर कर देगी।
आगे बढ़ने पर आपका पहला मुख्य लैंडमार्क आएगा। फोब ला दर्रा लगभग 3,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ठंडी हवा का मजा लेने के लिए आप कुछ देर यहाँ ठहरकर आराम कर सकते हैं। इस जगह से आपको लद्दाख के कुछ बेहद हसीन नजारे दिखाई देंगे जिनकी खूबसूरती आप भुला नहीं पाएँगे। इस पास से गुजरते हुए आपको सावधान रहने की खास जरूरत है। यहाँ अक्सर फिसलन वैसे हालत होते हैं और सावधानी ना रखना आपको भरी पड़ सकता है। फोब ला दर्रा को पार करने के बाद सुमदा गाँव आएगा। इस गाँव में भी आप कुछ देर ठहरकर आराम कर सकते हैं। स्थानीय लोगों से बातें कर सकते हैं आए चाय पी सकते हैं। कुछ देर फ्रेश होने के बाद अब आपको आगे बढ़ जाना चाहिए। कुछ दूर चलने के बाद एक छोटी धारा मिलेगी जिसको पार करके आपका दूसरा मुख्य लैंडमार्क आएगा। चागत्से पास करीब 3,700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो यहाँ आपको स्नो लेपर्ड और कुछ अन्य जानवर भी दिखाई दे सकते हैं। यांगथांग गाँव इस पास से मात्र 30 मिनट की दूरी पर है।
दूसरा दिन: यांगथांग से हेमिस शुकपचान
यांगथांग लद्दाख का छोटा-सा गाँव है जिसमें मात्र 10 से 15 घर हैं। ये गाँव छोटा जरूर है लेकिन इसकी खूबसूरती के आगे बड़े-बड़े शहर फैल हो जाएँगे। यांथांग में समय बिताने के लिए आप शाम को टहलने जा सकते हैं, लोगों से बातचीत कर सकते हैं और गाँव की मोनास्ट्री को देखने भी जा सकते हैं। अगले दिन की शुरुआत आपको थोड़ी जल्दी करनी चाहिए। आप अपने दूसरे दिन की चढ़ाई सुबह 9 बजे कर सकते हैं। ये दिन भी पहले दिन की तरह आसान होगा। यांगथांग से कुछ दूर चलने के बाद उले नदी मिलेगी। इस नदी पर आप स्थानीय वाटर मिल देख सकते हैं। नदी को पार करने के बाद आप ज़रमनचांग ला पास की चढ़ाई शुरू कर सकते हैं। इस पास से आप सीधे हेमिस शुकपचान गाँव आएँगे। गाँव का प्राकृतिक सौंदर्य आपका मन खुश कर देगा। इस गाँव में तमाम होमस्टे हैं जहाँ आप रात में ठहर सकते हैं। सबसे होमस्टे के कमरे साफ-सुथरे हैं इसलिए आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
तीसरा दिन: हेमिस शुकपचान से टेमिसगाम
हेमिस शुकपचान से टेमिसगाम का रास्ता आपको इस ट्रिप के कुछ सबसे खूबसूरत नजारों से रूबरू होने का मौका देगा। यदि आप अगस्त के महीने में इस ट्रेक पर जाते हैं तब ये इलाका फूलों की चादर से ढका हुआ मिलता है। इस समय यहाँ का मौसम और नजारे दोनों ही आपकी ट्रिप की शोभा बढ़ाने का काम करते हैं। आपका अगला पड़ाव थोड़ा मुश्किल हो सकता है। मेबतक ला पास की चढ़ाई थकान भरी हो सकती है। आज का दिन आपकी ट्रेक का सबसे मुश्किल हिस्सा होगा। मेबतक ला पास को पार करने के बाद आपको ज्यादा परेशानी नहीं आएगी। अगर आपके पास समय है तो आप आंग गाँव में भी कुछ देर रुक सकते हैं। नीचे आने के बाद आप टैक्सी लेकर लेह आ सकते हैं।
इन बातों का रखें खास ख्याल:
1. यदि आप गर्मियों में शाम घाटी ट्रेक करने जा रहें हैं तो अपने टिकट और होटल की बुकिंग पहले कर लेने चाहिए।
2. ट्रेक को पूरा करने के लिए आपको कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। आप अपना समय लेकर ट्रेक पूरा कर सकते हैं।
3. सभी होमस्टे की कीमतों में खाने का खर्च भी जुड़ा होता है। इसलिए आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।
4. ट्रेक करते समय अपने साथ पानी और खाने का कुछ सामान जरूर रखना चाहिए।
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