लद्दाख की ये 10 अनजानी जगहें आपके सफर को यादगार बना सकती हैं

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Photo of लद्दाख की ये 10 अनजानी जगहें आपके सफर को यादगार बना सकती हैं by Musafir Rishabh

हर किसी के जिंदगी में कभी न कभी एक ऐसी मुलाकात होती हैं जिसे आप कभी भूलना नहीं चाहते हैं। फिर वो मुलाकात किसी शख्स से हो या फिर किसी जगह से। यकीन मानिए उस समय आप ठहर कर शायद ये सोचने लगें कि क्या मैंने थोड़ी जल्दी कर दी? क्या मुझको कुछ देर और रुक जाना चाहिए था? और यदि आप किसी पहाड़ की गोद में बसे किसी छोटे से गाँव से घूम कर शहर की चकाचौंध में वापस लौट आएँ हैं तब तो लंबे समय तक ये ख्याल मन में आते ही रहते हैं।

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मेरे साथ भी ऐसा होता है और शायद आपके साथ भी ऐसा होता होगा। इन यात्राओं की यही तो खूबसूरती है कि सफर खत्म होने के बाद भी ये हमसे कई दिनों तक चिपका रहता है। अगर आप भी ऐसी ही कुछ जगहों पर जाना चाहते हैं तो आपका लद्दाख जाना चाहिए। मैं उस लद्दाख की बात नहीं कर रहा हूँ जहाँ बड़े होटल हैं, घर हैं और अच्छी सड़कें हैं। लद्दाख की खूबसूरती तो उन जगहों से हैं जहाँ कम लोग जाते हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। आइए आपको लद्दाख की ऐसी ही कुछ जगहों से रूबरू कराते हैं।

1. जांस्कर घाटी

लद्दाख की जांस्कर घाटी एडवेंचर प्रेमियों की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। इसे यहाँ का एडवेंचर हॉटस्पॉट भी कहा जाता है। अगर आपको रिवर राफ्टिंग करने का शौक है तो जांस्कर नदी में राफ्टिंग करना आपके मन को लुभा जाएगा। 155 किलोमीटर लंबी जांस्कर नदी रेमाला से शुरू होकर सिंधु नदी के संगम में मिल जाती है। इसका पानी हल्के नीले रंग का है और बेहद ठंडा है।

झील देखने में इतनी खूबसूरत है कि मानो आसमान का एक टुकड़ा लाकर धरती पर रख दिया गया हो। ठंड में बर्फ से लदे पहाड़ गर्मी में ऐसे हरियाली बिखेरते हैं कि आँखें खुली की खुली रह जाती हैं। सच में कुदरत का गजब करिश्मा है जांस्कर। ठंड के मौसम में जांस्कर झील का पानी जम जाता है जिस पर फिर आप ट्रेकिंग भी कर सकते हैं। दिसंबर-जनवरी में होने वाली भारत के सबसे फेमस ट्रेक में से एक है चादर ट्रेक। 70 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक की शुरूआत जांस्कर झील से ही होती है।

2. तुरतुक

आपने शायद हिमाचल के मलाना गाँव का नाम तो सुना होगा। अगर नहीं सुना तो बता दें कि मलाना भारत की सीमा का आखिरी गाँव है। ऐसा ही कुछ तुरतुक के साथ भी है। तुरतुक लद्दाख में भारत की सीमा में आखिरी गाँव है। तुरतुक भारत की लक्ष्मण रेखा के समान है। पाकिस्तान की सीमा से 12 किलोमीटर दूरी पर बसा ये गाँव यहाँ के लोगों की वजह से जाना जाता है। पुराणों के मुताबिक यहाँ के लोग बेहद खूबसूरत होते थे। यहाँ के लोग दिखने में जितने सुंदर हैं उससे सुंदर है उनका मन। तुरतुक लद्दाख के बल्ती क्षेत्र में बसा हुआ है। बल्ती का अधिकतर हिस्सा पाकिस्तान में आता है। ये जगह दुनिया भर में अपने खास किस्म की खुमानी के लिए भी फेमस है।

3. उलेतोकपो

लेह से 60 किलोमीटर दूर बसा ये गाँव कैंपिंग के लिए पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। हो भी क्यों न? सिंधु नदी के तट पर टेंट में रहना किसको रास नहीं आएगा। लद्दाख में हर साल जाने ही कितने घूमने के लिए आते हैं। पर कुछ ही लोग हैं जो इस अनछुए नगीने तक पहुँच पाते हैं। शहर की भीड़ भाड़ से दूर इस जगह पर आपको सिंधु नदी का झरझर बहते पानी की आवाज आएगी। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो आपका यहाँ कुछ स्थानीय पक्षियों से भी सामना हो सकता है। यदि आप टेंट में न रहकर किसी गेस्ट हाऊस में रहना चाहते हैं तो घबराइए नहीं यहाँ उसका भी विकल्प मौजूद हैं।

4. बासगो

लेह की खूबसूरती देख कर यदि आप अचरज में हैं तो रुकिए। लद्दाख की इस धरती ने लेह के आगे भी बहुत सारी खूबसूरती छिपा रखी है। लेह से 36 किलोमीटर आगे एक गाँव है, बासगो। पुराने जमाने में ये गांव लद्दाख के बेहद समृद्ध गांवो में से एक था। उस समय इसकी विरासत के चलते यहाँ का स्थानीय कैपिटल कहा जाता था। अब इसे समय की मार कहिए या रख रखाव की कमी बासगो गाँव में अब केवल एक मोनेस्ट्री और एक शाही महल ही बचा है। ये दोनों ही जगहें ऊँचे चट्टान पर स्थित हैं जो इनको और खास बनाता है।

मोनेस्ट्री में आपको तीन मंदिर देखने को मिलेंगे। जिसे बुद्धा ऑफ द फ्यूचर के नाम से भी जानते हैं। यहाँ की दीवार पर सुंदर-सुंदर रंगीन चित्र बने हुए हैं। जिससे पता चलता है कि यहां पुराने जमाने में लोग चित्रकारी में खास रुचि रखते थे। यहां आपको कुछ तांबे से बनी मूर्तियां भी देखने को मिलेंगी। यहां के पहाड़ बंजर हैं जिससे महल को दूर से पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। हालांकि पहाड़ के ऊपर जाने पर नीचे बसे शहर का सुंदर नजारा दिखाई देता है।

5. सुमूर

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नुब्रा नदी के किनारे बसे इस छोटे से गांव की जितनी तारीफ की जाए कम है। इसकी वजह है यहाँ का समस्टनलिंग गोंपा। ये गोंपा 1841 में बनाया गया था। समस्तनलिंग गोंपा यहाँ पर मिलने वाले सभी गोंपा में सबसे नया है। गोंपा सुन्दर चमकदार रंगों के चित्रों से सजा हुआ है जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है। खास बात ये है कि गोंपा पहाड़ों की गोद में बसा है। यदि आपको पहाड़ों की बीच जाना अच्छा लगता है तो सूमुर गाँव आपके मन को जरूर भाएगा।

6. पनामिक

पनामिक नुब्रा घाटी का सबसे महत्वूर्ण और पसंद की जाने वाली जगह है। यदि आप दिस्कित के रास्ते पनामिक जा रहें हैं आपको वहाँ से 55 किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा। पनामिक की सबसे खास बात जो इसे दूसरों से अलग बनाती है वो है यहाँ मिलने वाले मिलने वाले सल्फर के झरने। यहाँ के झरने पूरी तरह से औषधीय हैं। यदि आपको ऊँचाई की वजह से परेशानी हो रही है तो ये झरने आपकी थकान मिटाने के लिए कारगर साबित होंगे।

यहाँ से सियाचन ग्लेशियर की दूरी ज्यादा नहीं है। ग्लेशियर से कुछ किलोमीटर पहले गर्म झरने का मिलना अपने आप में ही कुदरत का करिश्मा ही है। पनामिक नुब्रा घाटी की वो आखरी जगह है जहाँ तक लोगों को जाने की अनुमति है। इसके आगे सिर्फ इंडियन आर्मी ही जा सकती है इसलिए आप आगे जाने की कोशिश न करें।

7. रूमत्से

श्रेय: इंडिया हाइक्स।

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रूमत्से लेह-मनाली हाईवे पर पड़ने वाला काम आबादी वाली छोटी-सी जगह है। छोटी होने की वजह से लोग अक्सर इस जगह को पहचानने और खोजने में धोखा जा जाते हैं। मोरिरी झील से रूमत्से गाँव की दूरी करीब 165 किलोमीटर है। झील तक पहुँचने के लिए आपको 9 दिन की लंबी ट्रेकिंग करनी होगी। इसके अलावा यहाँ पहुँचने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है। झील के चारो तरफ हरा-भरा मैदान दिखाई देता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि समूचे लद्दाख में सबसे ज्यादा हरियाली आपको यहीं देखने को मिलेगी। इस जगह पर लोग सीढ़ीनुमा खेती करते हैं। लद्दाख का ज्यादातर हिस्सा बंजर है इसलिए यहाँ मिट्टी के संरक्षण पर भी खास ध्यान दिया जाता है और पहाड़ों को भी नुकसान न हो। इस बात का खास ध्यान रखा जाता है।

8. उपशी

रूमत्से की ही तरह उपशी भी लेह-मनाली हाईवे पर ही एक गाँव है। उपशी चंगथांगी प्रकार की बकरियों का घर है। ये वही बकरियाँ हैं जिनके मोटे बालों से पश्मीना शॉल बनाया जाता है। उपशी के 55 किलोमीटर की दूरी में आपको लद्दाख की कुछ फेमस मोनेस्ट्री देखने को मिल जाएँगी। जिनमें से कुछ स्टोक, हेमिस, थिक्से और शे गोंपा मोनेस्ट्रीज हैं। उपशी में रहने की अच्छी व्यवस्था है। यहाँ बजट होटल से लेकर गेस्ट हाऊस तक आपको सब मिल जाएगा। यदि आप चाहें तो आप टेंट लगा कर कैंपिंग भी कर सकते हैं।

9. चंगथांग

चंगथांग को भारत का तिब्बत कहा जाता है। इस गाँव का बच्चा-बच्चा बौद्ध धर्म को मानता है। ये गाँव चीनी बाॅर्डर के बेहद नजदीक है। चंगथांग का कुछ हिस्सा भारत में है और कुछ चीन की सीमा में है। बंजर होने की वजह से आपको यहाँ दूर-दूर तक पेड़-पौधे नहीं मिलेंगे। रूमट्से की तरह यहाँ भी आपको हरियाली देखने को नहीं मिलेंगी। 15,400 फीट ऊँचाई पर स्थित ये जगह लद्दाख की बाकी जगहों की तुलना में कुछ ज्यादा ठंडी है। इस वजह से यहाँ गर्मियों में भी गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ती है।

चंगथांग में आपको चंगपा बंजारे यानी चांगपा नोमैड्स देखने को मिल जाएँगे। ये लोग अपने पर्यावरण का बेहद ध्यान रखते हैं। यहाँ चंगथांग वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी भी है। जिसमें भेड़िए, स्नो लैपर्ड, बारहसिंघा जैसे जानवर देखने को मिल जाएँगे। लद्दाख की सबसे फेमस पैंगोंग झील चंगथांग में ही है। यदि आप चंगथांग आ चुके हैं तो आपको पता होगा कि थ्री ईडियट्स की क्लाइमेक्स सीन इसी जगह का है। उस मूवी के बाद ये जगह बहुत ज्यादा फेमस हो गई है।

10. हमिस

लेह से करीब 40 किलोमीटर दूर पर बसा हमिस के लद्दाख की खारू तहसील में आता है। माना जाता है प्रभु ईशु मसीह ने अपनी जिंदगी के कुछ साल यहाँ गुजारे थे। शायद इसलिए यहाँ ईसाई धर्म को भी काफी माना जाता है। यहाँ पर एक फेमस मोनेस्ट्री भी है, नमज्ञाल मोनेस्ट्री। ये मोनास्ट्री देखने में बहुत सुंदर है। बस यही नहीं हमिस में भारत का दूसरा सबसे बड़ा नेशनल पार्क भी है। 1981 में बना हमिस नेशनल पार्क नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के बाद दूसरा सबसे बड़ा नेशनल पार्क है।

इस पार्क तक पहुँचने के लिए आपको ट्रेक करना पड़ेगा। ये पार्क जून से लेकर अक्टूबर तक टूरिस्टों के लिए खुला रहता है। सर्दियों में ये जगह बर्फ से पूरी तरह ढंक जाती है। इसलिए सर्दियों में यहाँ आने का सोचें भी न। जुलाई में हमिस में एक फेस्टिवल होता है। इस फेस्टिवल को यहाँ के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। उस समय हमिस कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लगने लगता है। दो दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल में सबसे खास होता है, छाम नृत्य। स्थानीय लोग पारंपरिक कपड़े पहन कर डांस करते हैं। ये दृश्य देखने में इतना मनमोहक लगता है कि इसे घंटों देखा जा सकता है।

क्या आप लद्दाख की इन जगहों की यात्रा पर गए हैं? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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