लद्दाख जाते वक्त मूसलाधार बारिश और किसान आंदोलन से हुआ आमना सामना

Tripoto
Photo of लद्दाख जाते वक्त मूसलाधार बारिश और किसान आंदोलन से हुआ आमना सामना by Gaddibaaz

तीसरा दिन - ग्वालियर से पानीपत 436 किलोमीटर

आज हम लोग लद्दाख के और करीब पहुंचने वाले थे और प्लान यह था कि देश की राजधानी दिल्ली को पार करते हुए हम पहुंच जाएं पानीपत |

मैंने और मम्मी ने ग्वालियर के मशहूर पोहे खा कर अपने दिन की शुरुआत की और ग्वालियर से निकलने के बाद अपने दिन का जो पहला स्टॉप था वह हमने लिया चंबल नदी पर बने ब्रिज के पास |चंबल नदी पर बना ब्रिज और उसके आसपास के बीहड़ का दृश्य बहुत अद्भुत था। चंबल के बीहड़ हमने सिर्फ फिल्मों में देखे हैं लेकिन आज बिल्कुल करीब से उसको देखने का मजा अनोखा था| बीहड़ों के बीचो बीच एक बहुत पुराना किला बना हुआ था जिसके मैंने अपने द्रोण से कुछ शॉट लिए जो आप इस वीडियो में देख सकते हैं।

दिल्ली पहुंचने के लिए हमें आगरा होते हुए जाना था और आगरा से दिल्ली जाने के दो रास्ते हैं |आप चाहे तो यमुना एक्सप्रेस वे से जा सकते हैं या फिर जो पुराना हाईवे है श्रीनगर कन्याकुमारी हाईवे उससे भी जा सकते हैं | ज्यादातर लोग एक्सप्रेस वे से ही जाते हैं लेकिन मैंने पुराने हाईवे को चुना कारण उसका यह था कि मैं एक्सप्रेस वे पर पहले जा चुका था और उस रास्ते पर सुविधाएं काफी कम है अच्छे रेस्टोरेंट्स देसी ढाबे खास करके वहां नहीं मिलते और जो मिलते हैं वह काफी महंगे और उस हाईवे के किनारे सुस्ताने के लिए घने पेड़ भी नहीं मिलते। लेकिन यह सारी दिक्कतें पुराने हाईवे पर नहीं आती है तो मैंने पुराने हाईवे चुना जो कि काफी अच्छा था सिक्स लेन रोड था और दिल्ली पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगा।

दिल्ली को क्रॉस करने के लिए भी ज्यादातर लोग पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करते हैं लेकिन दिल्ली देश की राजधानी है जिसको मैंने आज तक करीब से नहीं देखा था इसीलिए मैं सीधा दिल्ली के अंदर चला गया लेकिन यह गलती मुझे बहुत भारी पड़ी |

फरीदाबाद पार करते ही बहुत तेज बारिश शुरू हो गई और दिल्ली के अंदर भी हमें एक बहुत ही बड़े ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा। जैसे तैसे हम दिल्ली हरियाणा बॉर्डर तक पहुंचे लेकिन वहां पहुंचकर पता चला कि जो मेन हाईवे था वह किसान आंदोलन की वजह से जाम था। यह खबर हम न्यूज़ पर काफी दिनों से देख रहे थे।लेकिन पता नहीं क्यों उस दिन दिल्ली पार करते वक्त यह ख्याल दिमाग में नहीं आया उसके बाद हमें हरियाणा के छोटे-छोटे गांव के बीच से डायवर्जन लेकर जाना पड़ा।जिसमें काफी वक्त लग गया । जब हमने मेन हाईवे को कनेक्ट किया तो वहां भी किसान आंदोलन चल रहा था और साथ में बहुत तेज बारिश भी हो रही थी और अंधेरा भी काफी हो गया था। आखिरकार हम एक पेट्रोल पंप पर रुक गए और बारिश के रुकने का इंतजार करने लगे जो रात को 9:00 बजे तक नहीं रुकी और हमें इस तेज बारिश में ही आगे बढ़ना पड़ा।

बड़ी मुश्किल से रात को 10:00 बजे पानीपत पहुंचे | पानीपत में जिस होटल को मैं बुक करना चाह रहा था वह बुक नहीं हो पाया क्योंकि किसान आंदोलन की वजह से सरकार ने इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया था और इसी वजह से हमें होटल तक पहुंचने के डायरेक्शंस भी नहीं मिल रहे थे|आखिरकार रात को 10:30 बजे बड़ी मुश्किल से हम लोग होटल तक पहुंचे।

आज की जो रोड ट्रिप थी वह बड़ी एडवेंचरस थी। रोड ट्रिप का यही मजा होता है हर तरह की चीजें आपको देखने मिलती हैं |कभी आप उस का मजा लेते हैं कभी कभी परेशान हो जाते हैं |आज मैं और मम्मी हम दोनों ही थक के चूर हो चुके थे और होटल पहुंचते ही बहुत ही गहरी नींद में सो गए |

कल का दिन हमारे लिए बहुत ही बड़ा होने वाला था क्योंकि संभवत कल हम जम्मू और कश्मीर की सीमा में प्रवेश करने वाले थे