चलो बुलावा आया हैं माता ने बुलाया हैं... शायद आप सभी भी आज कल यहीं गाना गुन गुना रहें होगे। क्योंकि नवरात्रि आने वाले हैं।नवरात्रि का पवित्र त्योहार भारत में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता हैं, क्योंकि देवी दुर्गा भारत में हिन्दू धर्म के सबसे पूजनीय देवी में से एक हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की हर अलग अलग दिन पूजा अर्चना की जाती है।नवरात्रि के पावन दिनों में भक्त भी मां दुर्गा के दर्शन करने के लिए फेमस और पवित्र मंदिरों में पूजा अर्चना करने जाते हैं। ऐसे में अगर आप भी नवरात्रि में माता का दर्शन करना चाहते हैं तो आप भी भारत के इन पवित्र मंदिरों में जा सकते हैं।
वैष्णो देवी, जम्मू और कश्मीर
वैष्णो देवी मंदिर जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है और मां माता वैष्णो देवी को समर्पित है। वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 13 किलोमीटर ट्रैक चढ़नी पड़ती है। नवरात्रि के समय वैष्णो देवी मंदिर में भक्तो का जमावड़ा देखने को मिलता हैं।यह मंदिर त्रिकुटा पर्वत पे स्थित हैं।भैरो नाथ- जो एक तांत्रिक थे, उन्होंने माता को मारने के लिए त्रिकुटा पर्वत तक पीछा किया।देवी क़रीब नौ महीने तक इस पर्वत के एक गुफ़ा में छिपी रही।वैष्णो देवी ने काली का रूप धारण करके भैरो नाथ का सिर काट दिया और जिस गुफा में माता ने शरण ली थी वो हिन्दू धर्म के लिए पवित्र स्थान बन गया। यहां पूरे साल भक्तों का जमावड़ा देखने को मिल जाता हैं।यह यात्रा कटरा से शुरू होती हैं। सबसे पहले आपको कटरा से लगभग एक किलोमीटर आगे बाणगंगा नामक एक नदी मिलेगी। यहां ऐसी मान्यता हैं कि यह वही स्थान हैं जहां देवी मां ने अपनी प्यास बुझाई थीं और यहाँ से 6 किमी की दूरी पर अर्धकुवारी का पवित्र गुफा है, जहां माना जाता है कि देवी ने 9 महीने तक ध्यान किया था।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता
कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और हुगली नदी के किनारे स्थित है।यहां साल भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता हैं।यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर मां की असीम कृपा बनी रहती है यहीं कारण हैं कि नवरात्रि के पर्व पर यहां भक्त दर्शन करने आते हैं।रानी रश्मोनी ने वर्ष 1847 में इस मंदिर परिसर का निर्माण करवाया था। इस जगह को ले कर मान्यता हैं कि जब माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे थे तो उनके दाएं पैर की कुछ उंगलियां इसी जगह पर गिरी थी।कहा जाता है कि यहां मां के दर्शनमात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं।
कामाख्या मंदिर, असम
कामाख्या मंदिर असम के गुवाहटी से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर नीलांचल पर्वत पर स्थित है।कामाख्या मंदिर में देवी की योनि की मूर्ति की पूजा की जाती है।कामाख्या देवी मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है।कामाख्या मंदिर से कुछ दूरी पर उमानंद भैरव का मंदिर है। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में टापू पर स्थित है।नवरात्रि के समय मंदिर में भक्तो का जमावड़ा देखने को मिलता हैं।
माँ ज्वाला जी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
मां ज्वाला जी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी से क़रीब 30 किमी दक्षिण में स्थित हैं। मां ज्वालाजी मंदिर भारत में सबसे लोकप्रिय दुर्गा मंदिरों में से एक है।इस मंदिर जोता वाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां की ज्वाला स्वाभाविक रूप से लगातार जलती रहती हैं।इसके लिए किसी ईंधन या सहायता की आवश्यकता नहीं होती है।ज्वालाजी मंदिर में प्राकृतिक ज्वालाएं हैं जिन्हें नौ देवी-महाकाली, उन्पूर्णा, चंडी, हिंगलाज, बिंद्या बसनी, महा लक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी के रूप में पूजा जाता है।
करनी माता मंदिर, बीकानेर राजस्थान
करणी माता मन्दिर बीकानेर में स्थित हैं।यह मंदिर करणी माता को समर्पित है।करणी माता मंदिर की अनूठी विशेषता मंदिर में रहने वाले चूहों की आबादी है। यहां की ऐसी मान्यता हैं कि देवी के भक्तों की आत्मा चूहों में बदल गई है और इसलिए उनकी देखभाल करने के लिए जानी जाती हैं।यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि करणी माता लोगों की रक्षा करने वाली देवी दुर्गा का अवतार हैं।नवरात्रि के समय मंदिर में भक्तो का जमावड़ा देखने को मिलता हैं।
देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर,उत्तर प्रदेश
देवी पाटन मंदिर बलरामपुर उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।मंदिर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बलरामपुर जिले के तुलसीपुर कस्बे में है।देवी पाटन की गिनती माता के 51 शक्ति पीठों में से होती है।मान्यता के मुताबिक, यहां देवी सती का बायां स्कंध पट सहित (वस्त्र के साथ) गिरा था।यह मंदिर काफी प्राचीन बताया जाता है।देश के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां दर्शन करने आते हैं।
बनशंकरी मंदिर, कर्नाटक
यह मंदिर कर्नाटक के बादामी शहर में स्थित हैं।कहा जाता है कि इसकी मूल संरचना कल्याण बनशंकरी के चालुक्यों द्वारा बनाई गई थी जिन्होंने देवी की कुलदेवी के रूप में पूजा की थी।यह मंदिर बहुत ख़ूबसूरत है जिसे द्रविड़ शैली में बनाया गया था।कहा जाता है कि यहां मां के दर्शनमात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं।
नैना देवी मंदिर, नैनीताल उत्तराखंड
नैना देवी मंदिर नैनीताल में एक झील के किनारे स्थित है।देवी का ये मंदिर शक्तिपीठ में शामिल होने की वजह से यहां देवी से जुड़े कई चमत्कार भी देखने को मिलते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ रहती है कि लोगों को लंबी-लंबी लाइन में लगना पड़ता है। कहा जाता हैं कि जब भगवान शिव सती के जले हुए शरीर को ले जा रहे थे तो उनकी नजर उस स्थान पर पड़ी जहां यह मंदिर स्थित है। इसलिए इस मंदिर का नाम नैना (आंखें) देवी पड़ा।नवरात्रि के समय मंदिर में भक्तो का जमावड़ा देखने को मिलता हैं।
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