Seven wonder park

Tripoto
11th Aug 2020
Photo of Seven wonder park by Yadav Vishal
Day 1

सलाम, नमस्ते, केम छू दोस्तो। कैरीमिनाती के अंदाज़ में पुछू तो"कैसे हो आप लोग 😆"?

दुनिया के सात अजूबो से कौन वाकिफ नहीं है...हर किसी की चाहत होती है कि, वह इन अजूबो की सैर करें। हालांकि इस ख्वाइश को पूरा करने के लिए अच्छी खासी रकम चाहिए होती है..जो शायद  हर किसी के पास ना हो। लेकिन

अब फ़िक्र की बात नहीं है..जी हां अगर आप दुनिया के सात अजूबो को घूमना चाहते है तो आ जाओ कोटा शहर।

वैसे मैं आपको बता दूं कोटा मेरा कर्म शहर हैं  😅और यहां मै जॉब के लिए आया था। पर जब मुझे इस पार्क के बारे में पता चला तो मैं खुद को यहां आने से  रोक नहीं पाया तो चलिए आपको इस पार्क के बारे में और फोटो की सहायता से यहां का दीदार कराते हैं।

चम्बल नदी के किनारे राजस्थान के एतिहासिक कोटा शहर की विश्व के सेवन वंडर्स पार्क से नई पहचान बन गई है। पार्क की खूबसूरत लोकेशन की वजह से ही अब इस की ओर और फिल्मकारों का ध्यान आकर्षित हुआ है। पार्क में फिल्म "बद्रीनाथ की दुल्हनियां" की शूटिंग की गई जो खासी लोकप्रिय हुई। आप कहीं नई जगह घूमने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो चले आइये कोटा, एक ऐसे अनूठे पार्क को देखने जहाँ विश्व के सात आश्चर्यों की अनुकृति एक ही स्थान पर सुंदरता के साथ देखने को मिलती है।

शहर के मध्य बने किशोर सागर के किनारे पानी में पार्क की झिलमिलाते प्रतिबिम्ब की आभा से उभरता खूबसूरत नज़ारा देखते ही बनता है। कोटा में इस अद्भुत पर्यटन स्थल का विकास पूर्व मंत्री शांति कुमार धारीवाल की कल्पना का साकार रूप है। शाम होते-होते यह पार्क देखने वालों की चहल कदमी से आबाद हो जाता है। पार्क के नज़ारों एवम् खूबसूरती को कैद करने के लिए मोबाईल चमक उठते हैं। पार्क में हरे भरे लॉन एवम् पैदल चलने के लिए सुन्दर परिपथ बनाये गए हैं।

 कॉलेसियम

पार्क में प्रवेश करने पर नज़र ठहरती है एक बड़ी सी गोल संरचना पर जिसे "कॉलेसियम" कहते हैं। यह रोम में बने विशाल खेल स्टेडियम की अनुकृति है। इसे रोम में 1970 के दशक में बनवाया गया था जिसमें 50 हज़ार लोगों के लिए जगह थी।

 पिरामिड

जब आगे बढ़ते हैं तो मिस्र में काहिरा के उप नगर गीजा तीन पिरामिडों में एक ''ग्रेट पिरामिड" जो विश्व के सात आश्चर्यों में है की प्रतिकृति बनाई गई है। इसे मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के रूप में 2560 ईसा पूर्व बनवाया था। करीब 450 फ़ीट ऊँचे एवम् 43 सीढ़ियों वाले पिरामिड को बनाने में 23 वर्ष का समय लगा। पिरामिड का आधार 13 एकड़ क्षेत्रफल में बना है।

 ताजमहल

समीप ही बनाया गया है दुनिया में प्रेम की निशानी के रूप में प्रसिद्ध भारत में आगरा स्थित "ताजमहल" का नमूना। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने इसे अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। सफेद संगममर से बने खूबसूरत स्मारक का निर्माण कार्य 1632 ई. में शुरू किया गया जिसे पूरा करने में 15 वर्ष लगे। इस विश्व प्रसिद्ध भवन के पीछे यमुना नदी बहती है एवं चारों तरफ आकर्षक उद्यान एवम् फव्वारे इसे और भी नयनाभिराम बना देते हैं।

 स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी

इसी के पास नज़र आता है न्यूयार्क के "स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी" की सुंदर मूर्ति का साकार रूप। यह मूर्ति न्यूयार्क के हार्बर टापू पर ताम्बे से बनी है। मूर्ति 151 फ़ीट ऊँची है तथा चौकी एवम् आधार को मिला कर 305 फ़ीट है। मूर्ति के ताज तक पहुचने के लिए 354 सीढ़ियां बनाई गई हैं। मूर्ति एक हाथ को ऊंचा कर जलती मशाल लिए है तथा दूसरे हाथ में किताब लिए है। मूर्ति अमेरिकन क्रान्ति के समय दोस्ती की यादगार के रूप में फ्रांस ने 1886 ई. में अमेरिका को दी थी। प्रतिमा का कुल वजन 225 टन है। ताज में 7 कीलें लगी हैं। प्रत्येक कील की लम्बाई 9 फ़ीट एवम् वजन 86 किलो है। इसका पूरा नाम "लिबर्टी एनलाइटिंनिंग द वर्ल्ड अर्थात् स्वतंत्र संसार को शिक्षा प्रदान करती है" है।

 पीसा की मीनार

यहीँ से सामने नज़र आती है लम्बाई लिए इटली की झुकी हुई "पीसा की मीनार" जो रात्रि में रौशनी में अत्यंत सुंदर लगती है। इटली में जहां यह मीनार बनी है सात मंजिल की है। जमीं से जिस तरफ झुकी है 55.86 मीटर तथा ऊपर की तरफ से 56.70 मीटर है। दीवारों की चौड़ाई आधार पर 4.09 मीटर एवम् टॉप पर 2.48 मीटर है। इसका वजन 14,500 मेट्रिक टन है। मीनार का निर्माण 14 अगस्त 1173 ई. में प्रारम्भ हुआ एवम् 199 वर्ष में तीन चरणों में पूरा हुआ।

 क्राइस्ट द रिडीमर

आगे चलने पर एक और क्राइस्ट द रिडीमर एवम् दूसरी ओर एफिल टावर की अनुकृति दिखाई पड़ती है। क्राइस्ट द रिडीमर (उद्धार करने वाले) की प्रतिमा ब्राज़ील में एक पहाड़ी के ऊपर बनाई गई है। सीमेंट एवम् पत्थर से बनी यह मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है। मूर्ति की ऊंचाई 130 फ़ीट है एवम् इसे 1922 से 1931 ई. के मध्य बनवाया गया।

एफिल टावर

पार्क में 130 वर्ष पुराने पेरिस के एफिल टावर की नींव 26 जनवरी 2887 को शोदे मार्स ने रखी थी। लोहे से बना होने से इसे "आयरन लेडी" कहा जाता है। एफिल टावर को 300 मीटर ऊँचा होने से दुनिया की सबसे ऊँची रचना का ख़िताब प्राप्त है। इसके निर्माण में 7 हज़ार 300 टन लोहे का उपयोग किया गया है। 

किशोर सागर की खूबसूरत झील का निर्माण 14वीं सदी में बूंदी के राजकुमार धीर देव ने कराया था। किशोर सागर का सम्पूर्ण परिक्षेत्र आज "शान-ए-कोटा" बन गया है। इस परिक्षेत्र में कई धार्मिक स्थल भी आस्था के केंद्र हैं। बिजली की रौशनी में जगमगाता किशोर सागर का सीन पेरिस से कम नहीं लगता। इसे कोटा का मेरीन ड्राइव भी कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

कैसे पहुंचे कोटा

कोटा जयपुर के पास स्थित है...इसका सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जोकि कोटा से 245 किमी की दूरी पर स्थित है। कोटा जंक्शन यहां का मुख्य रेलवे स्टेशन है..इस स्टेशन से यहां आने वाले पर्यटकों को मुख्य शहरों की ट्रेन से आसानी से उपलब्ध है। कोटा हाइवे यहां के मुख्य शहरो से जुड़ा हुआ है..आइये जानते है कोटा की मुख्य शहरों से दूरी

दिल्ली से कोटा-519 किलोमीटर

जयपुर से कोटा- 251किलोमीटर

उदयपुर से कोटा-283 किलोमीटर

आगरा से कोटा- 449 किलोमीटर

अहमदाबाद से कोटा-514 किलोमीटर

नॉएडा से कोटा - 527 किलोमीटर

मथुरा से कोटा- 433 किलोमीटर

कोटा जाने का उचित समय

यूं तो पर्यटक कोटा पूरे वर्ष जा सकते हैं...लेकिन घूमने का अनुकूल समय अक्टूबर से मार्च तक है।

पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।

Photo of kota rajsthan by Yadav Vishal
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