अपने रोज़ मरा के बिजी शेड्यूल में से अपने फ़ैमिली और फ्रेंड्स के साथ यदि आप किसी मज़ेदार जगह पर क्वालिटी टाइम बिताना चाहते हैं तो मूवी या मॉल की जगह इन खुबसूरत पार्क में जाने की प्लानिंग करें।वैसे पार्क हम सभी को बचपन से काफी पसंद होते हैं क्यों कि हम सभी आखिरकार उसी में खेलकर बड़े हुए हैं। वैसे अगर पार्क की बात की जाए तो आंखों के सामने हरियाली से भरे एक मैदान की तस्वीर उभरकर सामने आती है और यहां बैठे बैठे कब सुबह से शाम हो जाती हैं हमको पता ही नहीं चलता हैं।लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे पार्क के बारे में बताएंगे जो अपने नए कॉन्सेप्ट के लिए पूरे इंडिया में जाने जाते हैं। तो अगली बार जब आप इन शहरों में घूमने जाएं तो इन पार्कों में घूमना ना भूलें।
प्राकृतिक सुंदरता एवं संसाधनों से भरपूर जनपद नैनीताल हिमालय पर्वत श्रंखला में एक चमकदार गहने की तरह है।कई सारी खूबसूरत झीलों से सुसज्जित यह जिला भारत में ‘झीलों के जिले’ के रूप में मशहूर है।वैसे तो यहां देखने को बहुत कुछ हैं पर इको केव गार्डन नैनीताल के टॉप पर्यटन स्थल में से एक है। यह अपने भूमिगत गुफाएं के लिए काफी प्रचलित हैं।इन गुफाओं की खास बात यह है कि इन्हें जानवरों के आकार में बनाया गया है, जैसे कि, पैंथर गुफा, टाइगर, चमगादड़ , वानर और फ्लाइंग फॉक्स गुफा। यह एक ऐसी जगह है जहां पहुंचकर अडवेंचर पसंद करने वालों को काफी मजा आएगा। ये सभी गुफाएँ प्राकृतिक हैं और इनकी देख-रेख स्थानीय प्रशासन के द्वारा की जाती है।साथ ही साथ इसके अंदर एक म्यूजिकल फाउंटेन भी है।जो कि सर्वप्रथम नैनीताल में लगाया गया था। इसके अलावा काफी अडवेंचर एक्टिविटी करने को हैं यहां।
एंट्री फीस:
इको केव गार्डन में एंट्री करने के लिए, वयस्कों से 60 रूपये और बच्चों से 25 रूपये का शुल्क लिया जाता है। यदि आप अंदर कैमरा ले जाने के इच्छुक है तो उसके लिए अतिरिक्त 25 रूपये देने होंगे।ईको केव गार्डन सुबह 9:30 बजे खुलता है और शाम 5:30 बजे बंद हो जाता है।
कैसे पहुंचे?
इको केव गार्डन का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है।इको केव गार्डन वहां से लगभग 80-100 किलोमीटर दूर है। वहां उतरने के बाद आप ऑटो या कैब के माध्यम से यहां तक बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जो ईको केव गार्डन से 35-40 किमी की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन उतरने के बाद आप ऑटो या कैब के माध्यम से यहां तक बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं।
अपने स्थान और सुविधा के आधार पर, आप सड़क मार्ग से भी नैनीताल की यात्रा की योजना बना सकते हैं। इसके लिए आप बस, कैब या अपने वाहन से यात्रा करने पर विचार कर सकते हैं।
वैसे लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है।वैसे अगर बात लखनऊ घूमने की आती है तो लोगों के दिमाग में बस इमामबाड़ा, रेजीडेंसी,हज़रतगंज ,चौक आदि जगह आती हैं।जिन्हें देखने हर साल हजारों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। पर यहां एक पार्क भी हैं जो बाकी पार्क की तुलना में थोड़ा अलग हैं।इस पार्क में आप अन्यों पार्कों की तरह पेड़ पौधे नहीं बल्कि कई कलाकृतियों और स्मारकोण को देख सकते हैं।इस पार्क में सबसे ज्यादा जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है वह है, यहां पत्थर से बने हुए 40 हाथीया।
इस पार्क का निर्माण गुलाबी पत्थरों से हुआ है।विशेष रूप से राजस्थान से लाए गए लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग इस पार्क में किया गया है। गोमती नदी के प्रवेश द्वार के जरिए जब आप इस पार्क में पहुंचेंगे तो आपको एंट्री करते ही एक बहुत विशाल परिसर के केन्द्र दिखाई देगा।जहाँ आप 112 फुट ऊँचे स्तूप को देख सकते हैं। यह पार्क अनगिनत स्तंभ, हाथियों की संरचनाओं तथा कुछ अन्य संरचनाओं से घिरा हुआ है।पार्क के अंदर स्तूप मौजूद है।जोकि गुंबद के आकार में बने हुए दो स्तूप है।दोनों स्तूप ऊँचाई पर बने है और अंदर से आपस में जुड़े हुए है।स्तूप के अंदर जाने का एक विशाल द्वार है, स्तूप के अंदर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, छत्रपति साहूजी महाराज, ज्योतिबा फूले, काशीराम, और मायावती की प्रतिमाएँ लगी है। अधिकतर प्रतिमाएँ सफेद पत्थर की बनी है और प्रतिमाओं के नीचे ही व्यक्तिगत जानकारी भी दी गई है। इस पार्क का वातावरण काफी शांत है और रात में जब पूरा पार्क रंगीन प्रकाश से प्रकाशित होता है, तो यह और अधिक भव्य दिखाई पड़ता है।,जो रात की रौशनी और में बेहद ही खूबसूरत लगते है।
एंट्री फीस:
पार्क में घूमने की टिकट का शुल्क मात्र 10 रूपये प्रति व्यक्ति है।
कैसे पहुंचे?
अम्बेडकर पार्क का निकटतम हवाई अड्डा चौधरी चरण एयरपोर्ट हैं।वहां उतरने के बाद आप ऑटो या कैब के माध्यम से यहां तक बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं।
यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन चारबाग और लखनऊ जंक्शन है।वहां उतरने के बाद आप ऑटो या कैब के माध्यम से यहां तक बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं।
अपने स्थान और सुविधा के आधार पर, आप सड़क मार्ग से भी लखनऊ की यात्रा की योजना बना सकते हैं। इसके लिए आप बस, कैब या अपने वाहन से यात्रा करने पर विचार कर सकते हैं।लखनऊ देश के सभी राजमार्गो से जुड़ा हुआ है।
राजस्थान के शिक्षा नगरी कोटा में एक ऐसा पार्क हैं जो अपनी ख़ास खासियत के लिए पूरे विश्व फेमस है। तो अगर आप कहीं नई जगह घूमने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो चले आइये कोटा शहर, एक ऐसे अनूठे पार्क को देखने जहाँ विश्व के सात आश्चर्यों की अनुकृति एक ही स्थान पर सुंदरता के साथ देखने को मिलती है।लाखों की तादाद में सैलानी यहां खूबसूरत कलाकृतियां, वैभव व गौरवशाली इतिहास से रूबरू होते और ऐतिहासिक धरोहरों को निहारते हैं।विश्व के इन सभी लोकप्रिय आश्चर्यों को एक ही स्थान पर कोटा शहर में एक पार्क में देखना सुखद लगता है।इसकी ये खासियत इसको बाकी पार्कों से अलग बनाती हैं।विश्व की इस पार्क में अनेक फिल्मों की शूटिंग की जा चुकी है। हर शाम को 7.00 बजे यहां म्यूजिकल फाउंटेन शो आयोजित होता हैं।
एंट्री फीस:
भारतीय पर्यटकों के घूमने के लिए 20 रूपये प्रति व्यक्ति और विदेशी पर्यटकों के लिए 40 रूपये प्रति व्यक्ति एंट्री फीस है।
कैसे पहुंचे?
कोटा शहर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो कि कोटा से लगभग 245 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से आप टैक्सी,बस,ट्रेन या कैब से पार्क आसानी से पहुंच सकते हैं।
पार्क से सबसे निकटतम रेलवे जंक्शन कोटा रेलवे जंक्शन है जो सेवन वंडर्स पार्क से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।वहां उतरने के बाद आप ऑटो या कैब के माध्यम से यहां तक बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं।
सेवन वंडर्स पार्क कोटा की यात्रा सड़क मार्ग से यात्रा करना काफी आरामदायक साबित हो सकता है क्योंकि यह सिटी अच्छी तरह रोड नेटवर्क द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, इंदौर, कोटा और अहमदाबाद से अच्छी तरह से जुड़ा है।
भारत का पहला नियोजित शहर चंडीगढ़,पंजाब के हिमालय की शिवालिक रेंज में स्थित है।वैसे तो इस शहर में काफी कुछ हैं देखने को पर हम आज आपको एक ऐसे पार्क के बारे में आपको बताएंगे जो अपनी खास खासियत के लिए पूरे देश में काफ़ी फेमस है।
यह गार्डन कला का एक शानदार नमूना है। इस उद्यान में वेस्ट सामग्रियों से बनी उत्तम आकृतियां देखने को मिलती हैं। चालीस एकड़ में फैला यह गार्डन आज के समय में ना सिर्फ रिसाइकिलिंग के महत्व को दर्शाता है, बल्कि इको-टूरिज्म का भी एक बहुत बड़ा उदाहरण है। यह वास्तव में एक मूर्तिकला उद्यान है। इस पार्क में इन मूर्तियों के अलावा, कुछ वॉटरफॉल, क्रिएटिव वॉल, स्विंग्स, एक बड़ा एक्वेरियम , रचनात्मक दीवारें, संकीर्ण द्वार, झूले, ऊंचे पेड़, एक विशाल मछलीघर और कंक्रीट के आर्च हैं जो प्राचीन रोमन एक्वाडक्ट्स से मिलते जुलते हैं।
एंट्री फीस:
रॉक गार्डन में एंट्री करने के लिए, वयस्कों से 30 रूपये और बच्चों से 10 रूपये का शुल्क लिया जाता है।
कैसे पहुंचे?
भारत के हर हिस्से से हवाई, रेल और सड़क मार्ग से चंडीगढ़ आसानी से पहुंचा जा सकता है। जहां पहुंचकर आप ऑटो या कैब के माध्यम से यहां तक बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं।
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