सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार...ये कहावत पुरखों के जमाने से मशहूर है। एक जमाने में सागरद्वीप जाना जोखिम से भरा था लेकिन अब ये एकदम सहज हो गया है! मकर संक्रांति के अवसर पर यहां पुण्य स्नान करने लोगों का हुजूम जुटता है। गंगासागर मेला कुंभ मेले के बाद दूसरा सबसे फेमस मेला है। कोलकाता से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण 24 परगना जिले स्थित सागर द्वीप न केवल श्रद्धालुओं को बल्कि घुमक्कड़ों को भी बहुत ही रास आता है। यहां की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि एडवेंचर के शौक़ीन लोग आना चाहते हैं। हम जानते हैं कि सभी नदियां सागर में जाकर मिलती हैं। यही वो जगह है जहां सागर और नदी का संगम देखने को मिलता है। तभी इसे गंगासागर या सागरद्वीप कहा जाता है।
आध्यात्मिक रूप से इसका इतना महत्व है कि कहा जाता है, गंगासागर में डुबकी लगाने से 10 अश्वमेघ यज्ञ के अलावा 1 हजार गाय दान करने का पुण्य प्राप्त होता है। यहां के टूरिस्ट आकर्षणों की बात करने से पहले 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लगने वाले गंगासागर मेले का आध्यात्मिक महत्व जान लेते हैं। पुराणों में लिखा मिलता है कि कपिल मुनि के श्राप के कारण ही राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों की तत्काल मृत्यु हो गई थी। राजा सगर के वंशज राजा भगीरथ अपने पुरखों की मुक्ति के लिए कठिन तपस्या से गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफल रहे। उन 60 हजार मृत आत्माओं को मुक्त करती हुई गंगा इसी जगह सागर में समाहित हो गई। माना जाता है कि गंगासागर में पुण्य स्नान से पाप कटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म के अनुसार, पूरे वर्ष भर की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. बताया जाता है कि देवी-देवता जो देवशयनी एकादशी में सुप्त अवस्था में चले जाते हैं। इसके बाद भगवान सूर्य के मकर राशि में आने पर इसी दिन से देवताओं का दिन की शुरुआत होती है। इसमें पुण्यार्थी व साधु-संत गंगा में डुबकी लगाने के बाद सूर्यदेवता को अर्घ्य देते हैं। पुण्यार्थी यहां तील, चावल व तेल दान करते हैं। यहां समुद्र देवता को नारियल अर्पित किया जाता है। वहीं गाय दान करने की भी परंपरा बहुत पुरानी है। आप भी अगर गंगासागर मेले में जाकर पुण्य स्नान करने का मन बना रहे हैं तो आपको बता दें कि मकर संक्रांति (14 जनवरी) से एक सप्ताह पहले ही गंगासागर मेले का शुभांरभ हो जाता है।
घुमक्कड़ों के लिए क्या है खास?
गंगासागर की भौगोलिक विशेषता एडवेंचर पसंद टूरिस्टों को रोमांचक लग सकती है। अमूमन तीर्थ करने आए लोग सागर में डुबकी लगाकर और कपिल मुनी के दर्शन कर लौट जाते हैं। लेकिन आप ऐसा बिल्कुल ना करें। इस जगह को एक्सप्लोर करें और जीवनभर के लिए अनुभूति सहेजकर ले जाएं! हम आपको बताते हैं कि सागरद्वीप पर कहाँ जाएं, क्या देखें?
मेला अपने आप में बेहद रोमांचक लगता है, जहां लाखों की संख्या में दुनियाभर से लोग जमा होते हैं। कुम्भ की तरह ही विभिन्न टेंटों में नागा साधुओं को योग-ध्यान करते देखा जा सकता है। विदेशी सैलानी भी नदी और सागर के इस संगम पर आकर डुबकी लगाने की इच्छा रखते हैं। दिनभर पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन का सिलसिला चलता रहता है। यहां गंगा आरती मुख्य आकर्षण के तौर पर देखा जाता है। आसपास के मंदिरों की लाइटिंग भी देखने लायक होती है। कुल मिलाकर मेला आपको एक रोमांचकारी अनुभव देता है।
कपिल मुनि मंदिर
गंगासागर आने पर कपिल मुनि मंदिर जाना तो बनता ही है। सागर में पवित्र डुबकी के बाद पुण्यार्थी पूजा करने कपिल मुनी के मंदिर जाते हैं। बताया जाता है कि 1960 के दशक में 4 अन्य मंदिरों के साथ कपिल मुनी का मंदिर तूफान में बुरी तरह नष्ट हो गया था। जिसके बाद कपिल मुनि के मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। साल 1973 में गंगासागर में पुनः मंदिर का निर्माण किया गया। बता दें कि मंदिर में बीच में कपिल मुनी की मूर्ति और इस मूर्ति के एक तरफ राजा भगीरथ को गोद में लिए हुए गंगा जी की मूर्ति व दूसरी तरफ राजा सगर व हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है।
ओंकारनाथ मंदिर
बहुत कम लोग इस मंदिर को देखने पहुँचते हैं। लिहाजा पेड़ों के बीच स्थित भगवान ओंकारनाथ का ये मंदिर बेहद शांत और रमणीय है। यहां जाकर कुछ पल रिलैक्स होकर बिता सकते हैं। इस मंदिर को भगवान ओंकार के उपदेशों को याद करने के लिए समर्पित किया गया है। सागर किनारे मौजूद इस मंदिर को देखने आप जरूर पहुंचें।
सागर लाइट हाउस
समुद्रतट के पास ही एक लाइट हाउस मौजूद है। यह लाइट हाउस आपको आसपास का सुंदर दृश्य दिखाता है। इसे टूरिस्टों के लिए हमेशा खुला रखा जाता है। आप यहाँ से तटीय क्षेत्र को न केवल निहार सकते हैं बल्कि तस्वीरें भी ले सकते हैं। फोटोग्राफी पसंद करने वाले लोगों के लिए ये लोकप्रिय जगहों में शुमार है। बता दें कि लाइट हाउस पर्यटकों के उपयोग के लिए खुले सागर मरीन पार्क का एक हिस्सा है। सागर तट पर सूर्योदय और सूर्यास्त देखना बेहतरीन अनुभव हो सकता है।
भारत सेवा आश्रम
भारत सेवा आश्रम गंगासागर में स्थित एक छोटा सा आश्रम है जहां लोगों के लिए रहने की व्यवस्था है। यह एक ट्रस्ट संचालित सेवा है जिसे जाकर देखने से आपको पता चलेगा कि इस दुर्गम जगह की यात्रा में जन सामान्य के लिए किफायती इंतजाम कैसे किए गए हैं। गंगासागर में ठहरने के लिए यह आश्रम लम्बे समय से एक विश्वसनीय जगहों में शुमार किया जाता है। आश्रम में एक मंदिर भी बनाया गया है जहां लोग पूजा करने आते हैं।
एक्सप्लोर करने को है बहुत कुछ!
काकद्विप से जैसे ही आप स्टीमर से नदी पार कर हरवुड पॉइंट पहुंचेंगे नदी की विशालता से स्तब्ध रह जाएंगे। स्टीमर से लगभग 45 मिनट की यात्रा के बाद आप सागर द्वीप के कचुबेरिया घाट पहुंचेंगे। जैसे ही आप यहां दाखिल होंगे, लगेगा कि जैसे दक्षिण भारत में आ गए हों। इसके बाद बस से लगभग एक घंटे तक यात्रा के बाद गंगासागर पहुँचते हैं। ये यात्रा अपने आप में बेहद रोमांचकारी है। सागरद्वीप तट आध्यात्म और रोमांच का अनोखा मेल है।
गंगा का डेल्टा वाला इस इलाके में एक्सप्लोर करने के लिए बहुत कुछ है। यहां सुंदरवन द्वीप के साथ ही सिल्वर रेत और शांत समुद्र अनोखा अनुभव देता है। अन्य समुद्री तट की तरह यहां भी दुकानों में समुद्री जीवों की हड्डियों से बने सामान बिकते मिलते हैं। साहसी टूरिस्टों के लिए यहां घूमना संभव हो पाता है, नहीं तो लोग निर्जन जगहों पर जाने से बचते हैं। घूमने के लिए यहां परिवहन की कोई समस्या नहीं है। यहां टैक्सी के अलावा ऑटो व रिक्शा भी बड़ी आसानी से उपलब्ध है। लेकिन टैक्सी में सफर करते समय एक बात ध्यान रखें कि हां टैक्सी का किराया तय नहीं किया हुआ है। इसलिए ड्राइवर से मीटर पर जाने को कहें।
यात्रा का बेहतरीन समय
वैसे तो आप मकर संक्रांति के वक्त गंगासागर जा सकते हैं। क्योंकि इस दौरान वहां भव्य मेले का आयोजन होता है। इसके अलावा आप नवंबर से फरवरी महीने तक कभी वहां जा सकते हैं। वहां घूमने के लिए ठंड का मौसम की सबसे बेस्ट रहता है। क्योंकि सर्दी के मौसम में यहां घूमना आनंददायी होता है।
कहां ठहरें?
गंगासागर में मेले के दिनों में लोगों के ठहरने के लिए सरकारी तौर पर पर्याप्त व्यवस्था रहती है। इसके अलावा आप होटल, धर्मशाला या फिर आश्रम में भी ठहर सकते हैं।
कोलकाता से ऐसे पहुंचे गंगासागर!
सड़क द्वारा –
कोलकाता से गंगासागर तक सड़क मार्ग से जाने के लिए पहले धर्मतल्ला से हरवुड प्वाइंट तक काकद्वीप के लिए बस ले सकते हैं। यहां तक जाने में 3 घंटे लगेंगे। यहां से नाव के माध्यम से मुरीगंगा नदी को पार कर कचुबेरिया पहुंचेंगे। कचुबेरिया से बस आपको एक घंटे में गंगासागर तक पहुंचा देगी।
ट्रेन द्वारा –
आप ट्रेन से कोलकाता आ सकते हैं उसके बाद गंगासागर तक पहुंचने में 4-5 घंटे का समय लग जाता है। गंगासागर तक जाने के लिए आपको टैक्सी, बस के साथ नाव की यात्रा करनी होगी। क्योंकि वहां तक के लिए डायरेक्ट ट्रेन सेवा नहीं है।
फ्लाइट द्वारा –
आप कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डे तक उड़ान भरकर आ सकते हैं जो सागर द्वीप से करीब 129 किलोमीटर दूर है। यह एयरपोर्ट कई शहरों के साथ जुड़ा है और यहां के लिए नियमित उड़ानें मिल जाती हैं।
यात्रा में ये सावधानी बरतेंः
गंगासागर एक समुद्री इलाका है, लिहाजा थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यहां सांप-कीड़े से बचें रहें और अंधेरे में कहीं भी यातायात ना करें। रात में सोने के समय मच्छरदानी जरूर लगाएं। साथ में टॉर्च या इमरजेंसी लाइट ले जाना मत भूलें।
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