हिमालय पर्वत श्रृंखला की गोद में बने ये मंदिर घुमक्कड़ों को भी करते हैं आकर्षित

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जब भी छुट्टियों के बारे में बात की जाती है, तो उत्तर भारत अपनी पहाड़ियों, झरनों, स्मारकों, प्रकृति भंडार और मनोरम व्यंजनों के कारण देश का सबसे अधिक पसंद किया जाने वाले हिस्से के तौर पर उभरता है। दिलचस्प बात यह है कि उत्तर भारत भी आध्यात्मिकता की तलाश करने वालों के लिए सबसे पसंदीदा जगह है। त्योहारों के मौसम के साथ, आनंद और शांति का एहसास करने के लिए पहाड़ों की गोद में स्थित ये मंदिर सही हैं। उत्तर भारत ऐसे अनगिनत मंदिरों का घर है, जो अपनी लुभावनी वास्तुकला, आकर्षक इतिहास, प्रबल आस्था और अविश्वसनीय रहस्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। यदि आप भी किसी ऐसी ट्रिप पर जाना चाहते हैं जहाँ आपको सुंदर नजारों के साथ साथ अध्यात्म से भी जुड़ाव महसूस हो, हमने आपके लिए उत्तर भारत के कुछ विश्व प्रसिद्ध मंदिरों की सूची लेकर आए हैं, जहाँ आपको अवश्य जाना चाहिए।

1. तुंगनाथ मंदिर

रुद्रप्रयाग जिले में पहाड़ों के बीच स्थित, तुंगनाथ मंदिर 3680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर पंच केदारों में से एक है और माना जाता है कि ये लगभग 1000 वर्ष पुराने प्राचीन युग से संबंधित है। इस मंदिर की नींव पांडव भाइयों में तीसरे अर्जुन ने रखी थी। तुंगनाथ मंदिर उत्तर भारतीय शैली की वास्तुकला के इस्तेमाल से बनाया गया था और मंदिर के चारों ओर अन्य देवताओं के एक दर्जन मंदिर भी हैं।

इस मंदिर की विशेषता पर्वत श्रृंखलाओं और धार्मिक महत्व के बीच इसका स्थान है जो पिछले पांच वर्षों में दुनिया भर से लाखों हिंदू तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती रही है। तुंगनाथ मंदिर एडवेंचर प्रेमियों के लिए भी एक शानदार जगह है क्योंकि मंदिर तक पहुँचने के लिए अच्छा ट्रेकिंग अनुभव मिलता है।

2. रुद्रनाथ मंदिर

भगवान शिव के भक्तों के दिल में रुद्रनाथ का विशेष महत्व है। 'पंच केदार' (रुद्रनाथ, केदारनाथ, तुंगनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर) में से रुद्रनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है। ये मंदिर गढ़वाल के ऊँचे हिमालय पर्वत से घिरा हुआ है और 3600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि ये महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर 8वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था।

मंदाकिनी और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित रुद्रप्रयाग मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने भगवान रुद्र के रूप में उभरकर नारद को इस स्थान पर आशीर्वाद दिया था, जो उस समय संगीत की कला में महारत हासिल करने के लिए भगवान की आराधना कर रहे थे।

3. नीलकंठ महादेव मंदिर

ऋषिकेश कई चीजों के लिए जाना जाता है जिनमें से एक नीलकंठ महादेव मंदिर है। ऋषिकेश से 32 किमी. की दूरी पर स्थित ये मंदिर एक पवित्र तीर्थ स्थान है। ये मंदिर मणिकूट, ब्रह्मकूट और विष्णुकूट की घाटियों के बीच 1330 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मंदिर पंकजा और मधुमती नदियों के संगम पर घने जंगलों और नर-नारायण की मजबूत पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। श्रावण और शिवरात्रि के महीनों के दौरान, बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं और भगवान शिव की भक्ति करते हैं।

इस मंदिर का रास्ता भी बेहद रोमांचक है। यही वजह है कि कई लोग मंदिर तक जाने के लिए ट्रेकिंग करना पसंद करते हैं। मंदिर के भीतर पानी का एक प्राकृतिक झरना है जहाँ भक्त आमतौर पर स्नान करते हैं। भगवान शिव का ये प्राचीन मंदिर न केवल उस रहस्यमयी कहानियों के लिए उल्लेखनीय है बल्कि इस मंदिर की पहचान पहाड़ों और घाटियों के सुंदर नजारों के लिए भी है।

4. मध्यमहेश्वर मंदिर

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में ऊँची चोटियों की तलहटी में बसा मध्यमहेश्वर एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है। पंच केदारों में से एक, मध्यमहेश्वर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और पौराणिक कथाओं और लोककथाओं के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाकाव्य महाभारत युद्ध के बाद, पांडव अपने पापों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की पूजा करना चाहते थे। पास आते पांडवों को देखकर, भगवान शिव उन्हें समझाने के लिए एक बैल में बदल गए। लेकिन पांच पांडव भाइयों में से एक भीम ने भगवान को पहचान लिया और उनका लगातार पीछा किया। भीम से बचने के लिए भगवान शिव ने उनके शरीर को पाँच भागों में विभाजित कर दिया। कहा जाता है कि भगवान का मध्य-धड़ मध्यमहेश्वर में प्रकट हुआ था। मंदिर तक पहुँचने के लिए, भक्तों को 24 किमी. लंबी पैदल यात्रा करनी होती है।

5. केदारनाथ मंदिर

3,580 मीटर की ऊँचाई पर भव्य रूप से खड़ा और शक्तिशाली गढ़वाल हिमालय से घिरा, केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित, केदारनाथ मंदिर पाडल पेट्रा स्थलम (दुनिया के सबसे शक्तिशाली शिव मंदिरों) के 275 मंदिरों में से एक है और पंच केदारों में सबसे महत्वपूर्ण भी है। सामने बहने वाली मंदाकिनी नदी, बर्फीले ऊंचे पहाड़ों के बीच, केदारनाथ मंदिर में हर साल लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। माना जाता है कि वर्तमान केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने कराया था। केदारनाथ मंदिर तक केवल एक ट्रेक के माध्यम से गौरीकुंड से पहुँचा जा सकता है और इसलिए, केदारनाथ मंदिर ट्रेक-प्रेमियों के लिए भी एक पसंदीदा जगह है। चारों ओर हिमालय के मनोरम दृश्य, सुहावना मौसम और शुद्ध वातावरण सभी को खूब पसंद आता है।

6. यमुनोत्री मंदिर

गढ़वाल हिमालय के पश्चिमी किनारे पर, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में, यमुनोत्री पवित्र स्थान है। समुद्र तल से लगभग 3,293 मीटर ऊपर, यमुनोत्री अपनी विशाल पर्वत चोटियों और यमुना के बहते पानी के साथ खड़ा है। भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी यमुना, यमुनोत्री से निकलती है, जो इसे उत्तराखंड में छोटा चार धाम यात्रा में तीर्थ स्थलों में से एक बनाती है। यमुनोत्री धाम शुरू से पर्यटकों के बीच लोकप्रिय रहा है। इस जगह की खुबसूरती

7. कल्पेश्वर मंदिर

कल्पेश्वर मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कल्पेश्वर मंदिर पंच केदारों में से एक है और पंच केदारों में ये पाँचवें नंबर पर है। कल्पेश्वर मंदिर समुद्र तल से 2,200 मीटर की ऊँचाई पर है। कल्पेश्वर एकमात्र पंच केदार मंदिर है जो साल भर खुला रहता है। ये एक छोटा सा मंदिर है जिसे पत्थर की गुफा में बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के बाल कल्पेश्वर में प्रकट हुए थे। इस मंदिर में भगवान शिव की 'जटा' की पूजा की जाती है। इसलिए, भगवान शिव को 'जत्थेदार' या 'जतेश्वर' भी कहा जाता है। कल्पेश्वर मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय शैली का बेजोड़ नमूना है।

कल्पेश्वर मंदिर की यात्रा कार और बाइक से की जा सकती है। ऋषिकेश से लारी गांव तक की सड़क बहुत अच्छी है लेकिन कहीं-कहीं सड़क आधी कच्ची भी है जो बारिश के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाती है। लारी गाँव से कल्पेश्वर मंदिर जाने के लिए लगभग 2 किमी. की पैदल यात्रा करनी होती है।

8. हेमकुंड साहिब

ये सुंदर गुरुद्वारा, जिसे गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी के नाम से भी जाना जाता है, सप्तशृंगी ग्लेशियर के आधार पर प्राचीन हेमकुंड (लोकपाल) झील के किनारे लगभग 4,329 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सबसे प्रतिष्ठित सिख तीर्थस्थलों में से एक, हेमकुंड साहिब हर साल हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। ये पवित्र ग्रंथ साहिब में दर्ज है कि सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह, अपने पहले जन्म में हेमकुंड झील के शांत किनारे आया करते थे। सात बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा, गुरुद्वारा की सुरम्य प्राकृतिक सेटिंग और ट्रेक मार्ग, जिसमें फूलों की घाटी भी शामिल है, इसे ट्रेकर्स और पर्यटकों के लिए भी एक लोकप्रिय स्थल बनाते हैं। घांघरिया से चुनौतीपूर्ण ट्रेक के जरिए आप राजसी झील तक पहुँच सकते हैं। हिमगंगा के नाम से जानी जाने वाली एक छोटी सी धारा हेमकुंड झील से निकलती है। गुरुद्वारा सर्दियों के दौरान बर्फ से ढका रहता है और लेकिन गर्मियों में, ये गुरुद्वारा तीर्थयात्रा के लिए मई से खुल जाता है।

9. अमरनाथ

अमरनाथ जी या अमरनाथ मंदिर, पहलगाम से लगभग 29 किलोमीटर की दूरी और लगभग 3,888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। गुफा के अंदर एक शिव लिंगम है, जिसे दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा सबसे पवित्र माना जाता है। चंदनवारी से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के नाम से प्रसिद्ध तीर्थ यात्रा को करने जून से अगस्त तक भक्त बड़ी संख्या में आते हैं। इसे हिंदू धर्म में सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। अमरनाथ मंदिर में आशीर्वाद लेने के अलावा, इसके आसपास के दृश्य भी बेहद मनमोहक हैं।

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