वो कहते हैं ना दुनिया में कुछ रिश्ते ऐसे हैं जो हमें ईश्वर की तरफ़ से नहीं मिलते बल्कि उन्हें हम ख़ुद अपनी ज़िंदग़ी के लिए चुनते हैं।उन्हीं में से एक रिश्ता है दोस्ती का।दोस्ती इंसान के जीवन का वह पहला रिश्ता है, जो वह खुद से बनाता है और उसी दोस्तो के संग हम जीवन के कई रंग देखते हैं। उन्हीं रंगों में से एक रंग दुनिया देखने का भी होता हैं। वैसे तो हम अपने परिवार, पार्टनर के संग घूमने जाते हैं पर जो मज़ा दोस्तों के संग ट्रिप पर जाने का होता हैं उसके क्या ही कहने। दोस्तों के संग ट्रिप पे जानें पर एक ही दिक्कत आती हैं वो हैं बचत क्योंकि ट्रिप का मतलब खूब सारा खर्चा और आधे से ज्यादा ट्रिप इसी वजह से कैंसल हों जाते हैं।दरअसल, वीकेंड आते ही ज्यादातर लोग शॉर्ट ट्रिप की योजना बना लेते हैं उन्हीं में से हम भी थे महीने के आख़िरी में हम ने भी एक ट्रिप प्लान किया। जिस जगह को हमने इंस्टाग्राम के रील्स में बार बार देखा था तो हमने भी सोचा एक बार उसका दीदार ही क्यों ना किया जाए।मैं, ऋषभ और अनिरुद्ध जब से इंट्राग्राम पे ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के वीडियो देखा था बस तब से यहां जाने का प्लान बना रहे थे , कहने को तो दोस्तों के गोवा के प्लान कैंसल होते हैं पर मैं आपको बता दूं दोस्तों के हर जगह के प्लान कैंसल होते हैं।ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के प्लान हमारे पांच बार कैंसल होने के बाद बने थे।
ओंकारेश्वर मंदिर
ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथी ज्योर्तिलिंग मानी जाती है यह मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी के बीच मनधाता पर्वत व शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। कहां जाता हैं इस मंदिर का निर्माण सन 1063 में राजा उदयादित्य ने चार पत्थरों को स्थापित कर के करवाया था।इसके पश्चात सन 1195 में राजा भारत सिंह चौहान ने इस स्थान को पुनर्निमित करवाया।ओंकारेश्वर में दो ज्योतिर्लिंग स्थापित है।आपको बता दें कि ओंकारेश्वर मान्धाता पर्वत और शिवपुरी के मध्य में स्थित है जबकि दक्षिणी तट पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग अवस्थित है।ऐसा कहा जाता है कि ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से समस्त पाप भस्म हो जाते हैं।
यात्रा का पहला दिन
ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा हमने मंदसौर से शुरु की थी। महीने का आखिरी हफ्ता होने की वजह से हमने इस ट्रिप को बचत में करने का फैंसला लिया। इसलिए हमने मन्दसौर से इंदौर तक के लिए रोड़वेज बस लेने फैसला लिया। मन्दसौर से इंदौर तक के रोड़वेज बस का किराया 250 रूपए था। सुबह सुबह करीब 6 बजे उठ कर हमने सबसे पहले बस पकड़ा और निकल पड़े भोले बाबा के दरबार की तरफ।रात को अचानक से ट्रिप प्लान होने की वजह से हमारे पास उतने कैश नही थे पर थैंक्स टू मोदी जी दुनिया अब डिजिटल हो गई हैं,बस के कडंक्टर ने फ़ोन पे लेने के लिए हां बोल दिया और हमें बस से नहीं उतारा नहीं तो हमारा ट्रिप शुरू होने से पहले ही खत्म हों जाता। करीबन दस बजे हम इंदौर पहुंच गए। वहां पहुंच के हमने पहले इंदौर के फेमस पोहे का नाश्ता किया जो की मात्र दस रूपए का था। नाश्ता के बाद हमने ओंकारेश्वर के लिए बस लिया। इंदौर से ओंकारेश्वर की दूरी लगभग 80 किलोमीटर थी और उसका किराया 70 रूपए था।जब आप इंदौर से ओंकारेश्वर जाते हैं तो आपको रास्ते का व्यू बहुत ही शानदार दिखेगा।
करीब 11:30 बजे हम ओंकारेश्वर पहुचे।रूम ढूंढने से पहले हमें अपने भूख को शांत करना था तो बस स्टैंड से निकलते ही हम पहुंचे एक होटल में खाना खाने । खाना खाते हमने पता चला की इनका एक होटल शिवम् गेस्ट हाउस भी हैं जिनके रूम का किराया उन्होंने हमनें 600-1500 तक बताया जो की मन्दिर के बहुत करीब था।हमने उनसे डबल बेड का एक रूम बहुत तोल मोल करने के बाद 700 रूपए का लिया।वैसे आपको यहां सिंगल रूम 250 तक आराम से मिल जायेगे।थोड़ी देर आराम करने के बाद करीब तीन बजे हम मंदिर के दर्शन के लिए निकले, सबसे पहले हमनें मामलेश्वर मंदिर के दर्शन किए फिर आस पास के मंदिर और फिर पहुंचे ओंकारेश्वर मंदिर।दर्शन करने के बाद हम ने नाव की सवारी करने का फैंसला लिया। वैसे हम आपको बता दें यहां नाव की सवारी मंहगी हैं जिसके लिए आपको यहां तोल मोल करना पड़ेगा। बहुत बहस करने के बाद 100 रूपए प्रति व्यक्ति उसने हमें नाव की सवारी करवाई।ओंकारेश्वर मन्दिर के आस पास खाने की थोड़ी सी समस्या हैं। यहां बहुत गालियां घूमने के बाद हमें एक खाने का होटल मिला।जिसका रेट काफी उचित था, हमने रात का खाना खाया जिसका खर्चा हमें मात्रा 600 रूपए पड़ा।खाना खाने के बाद हम अपने रूम आ गए सोने।
यात्रा का दूसरा दिन
दूसरे दिन की शुरुवात हमारी होटल की चाय से हुए। चाय पीते पीते लोकल लोगों से बात करते हुए हमें पाता चला की जीरो प्वाइंट करके यहां एक जगह हैं जहां से शानदार मनोरम दृश्य दिखाता हैं।पर उसके लिए हमने 3 किलोमीटर का ट्रैक करना होगा। सुबह सुबह हमने जूते पहनें और निकल पड़े वो सुंदर नज़ारा देखने जिसका जिक्र गांव वालो ने किया था। वहां पहुंच के हमने देखा की हाइट पे गोले आकर का एक स्पॉट हैं जहां से कुछ नजारे दिख रहें थे हम तीनो के आलावा वहां एक कुत्ता था बस। उस जगह को देख के ऐसा लग रहा था मानों यहां बरसों से कोई नहीं आया हमें वो जगह बिल्कुल भी पसंद नही आई। कुछ दूर आगे आने के बाद हमनें डैम का नज़ारा देखा और फिर वापस रूम की ओर आ गए।
वापस जाने के लिए हमने वहीं रास्ता अपनाया पहले ओंकारेश्वर मंदिर से इंदौर फिर इंदौर से मंदसौर। यहां थोड़ी खाने की समस्या हैं इसलिए हमने इंदौर में खाने का फ़ैसला लिया।ओंकारेश्वर में आपको खाने के बहुत कम ऑप्शन मिलेंगे।
इस ट्रिप का कुल बचत
वैसे ये हमारा पहला बचत ट्रिप था तीनों के मिला के लगभग 6000 रूपए खर्च हुए जिसमें बस के आने जानें और होटल रूम,खाने सब के खर्चें मिले हुए हैं। तो हमनें प्रति व्यक्ति 2000 लगे ओंकारेश्वर मंदिर घूमने के।आप चाहें तो अगर आप अपने वाहन से जाते हैं तो खर्चे और भी कम हो जायेगे। हमें तो रूम थोड़े महंगे मिल गए थे पर हमनें गलियों में घूमने के दौरान देखा की 250 तक के भी रूम यहां आराम से मिल जाते हैं।मंदिर दर्शन करने के लिए आपको कोई भी इंट्री फीस नहीं देनी पड़ेगी।
जानने योग्य बातें
. लोकल लोगों से बात करते हुए हमें पता चला कि यहां पर भगवान शिव नर्मदा नदी के किनारे ॐ के आकार वाली पहाड़ पर विराजमान हैं।जब नाव का सफ़र हमनें किया तो हमनें इस बात का ध्यान नहीं दिया था।
.होटल के मालिक से बात करते हुए उसने हमें बताया की ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिग को लेकर कई मान्यताएं हैं जिसमें सबसे बड़ी मान्यता ये है कि भगवान भोलेनाथ तीनों लोक का भ्रमण करके प्रतिदिन इसी मंदिर में रात को सोने के लिए आते हैं। इस बात ने हमें बहुत आचंभित किया।
.ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं और यहां भगवान शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ विराजमान हैं।
. शिवरात्रि के समय यहां बहुत बड़ा मेला लगता हैं।
. इस जगह को घूमने के लिए कम से कम आपको 3 दिन चाहिए।
. यहां आपको खाने के बहुत कम ऑप्शन मिलेंगे साथ ही अच्छा होगा आप अपने संग वाहन ले आए क्योंकि यहां वाहन की भी बहुत समस्या हैं।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। यदि आपको यह लेख अच्छा लगे तो अपने सुंदर विचार और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें।