
क्या आप भारत के आखिरी गांव के बारे में जानते हैं? आप सोच रहे होंगे कि यहां मैं माणा या चितकुल की बात होने जा रही है लेकिन ऐसा नहीं है। आज बात होगी भारत म्यांमार की सीमा पर बसे एक छोटे और प्यारे से शहर मोरेह के बारे में। मोरेह भारत और म्यांमार की सीमा पर बसा एक शहर है। तेंगनाउपाल जिले का ये शहर मणिपुर का सबसे अंतिम शहर है। यहाँ मुख्य रूप से कुकी, तमिल, नेपाली, पंजाबी से ताल्लुक रखने वाले लोग रहते हैं। यहां की आधिकारिक भाषा मेइटी और कुकी है।यहां अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग रहते हैं इसलिए यहां आपको संस्कृति और परंपराओं का मिला-जुला रूप देखने को मिलेगा। देश के आखिरी शहर होने की वजह से मोरेह पर्यटकों के लिए घुमक्कड़ी के लिए मनपसंद ठिकाना बन चुका है।
ऐसा अक्सर कहा जाता है कि किसी जगह को अच्छी तरह से जानने के लिए सबसे अच्छा तरीका होता है वहां का खाना। मोरेह के लिए भी यह बात सौ आने सच है। यदि आपको नॉन वेजेटेरियन खाना पसंद हैं तो मोरेह का यह शहर आपके लिए जन्नत से कम नहीं होगा। यहां लगभग हर जगह चिकन और पोर्क से बने ऐसे व्यंजन मिलते हैं कि आप अपनी उंगलियां चाटते रह जाएंगे। यहां का खाना बेहद लज़ीज़ और स्वादिष्ट है।
अगर आप मीट चिकन नहीं खाते हैं तब भी घबराइए मत। मोरेह में इसकी भी पूरी व्यवस्था है। मणिपुरी खाने का सबसे मुख्य हिस्सा है यहां मिलने वाला चावल। शाकाहारी खाना खाने वालों के लिए इस चावल को बर्मीज मसालों के साथ बनाया जाता है। यहां खाना बनाने की विधि सरल और सुलझी हुई है। अगर आपका कभी मोरेह आना हो तो यहां का बर्मीस चाय की पत्तों से बना सलाद का ज़ायका लेना मत भूलिएगा।
2. इमिग्रेशन गेट 1 और 2

इमिग्रेशन गेट भारत से म्यांमार जाने के लिए सबसे आसान तरीकों में से एक है। सोचने में यह जितना रोमांचक लगता है, देश के उस पार की दुनिया उतने ही अलग-अलग तरह के रंगों से भरी मिलेगी। इमिग्रेशन गेट नंबर 1 म्यांमार में दाखिल होने के लिए आपका सबसे सीधा रास्ता है। भारत की सीमा पर पहुंच कर अपना आइडेंटिटी प्रूफ दिखा कर आप बड़े ही आराम से म्यांमार में चलते हुए प्रवेश कर सकते हैं। यदि आप गेट 1 से जा रहे हैं तो आपकी भेंट सबसे पहले म्यांमार के बेहद सुंदर पैगोडा से होगी। देखने में यह पैगोडा इतने खूबसूरत हैं कि आप इन्हें देखते रह जाएंगे।
ये मोनास्ट्रीज सालों से चले आ रहे बर्मीज रीति-रिवाज और संस्कृति का जीता जागता उदाहरण है। इनकी बनावट से साफ पता चलता है कि यहां के लोगों ने कैसे अपनी संस्कृति को संजो कर रखा है? और यदि आप दूसरे गेट से म्यांमार में शामिल होने जा रहे हैं तो यहां के रंग-बिरंगे बाज़ार आपके स्वागत में तैयार खड़े मिलेंगे। म्यांमार के पारंपरिक बाज़ार का नाम नमथलों बाज़ार है। यहां से आप तरह-तरह के बुर्मीस संस्कृति से जुड़े सामान खरीद सकते हैं। दोनों ही इमिग्रेशन दरवाजों पर आपको रिक्शा बड़ी ही आसानी से मिल जाएंगे। इसलिए यदि आप पैदल चलने के बहुत ज़्यादा शौकीन नहीं भी हैं, तो घबराइए नहीं।
3. लोकल चाय का स्वाद

ऐसा अक्सर कहते हैं कि अगर आप पहाड़ों पर हैं और आपने चाय-मैगी नहीं खाई तो आपने एक बहुत ज़रूरी अनुभव मिस कर दिया। भारत देश में चाय के लिए लोगों में अलग ही तरह का प्यार देखने को मिलेगा। यहां चाय बस चाय नहीं है इमोशन और एहसास है। यदि आप कभी मणिपुर आना हो और खास तौर पर मोरेह आएं तो यहां की मशहूर लाल चाय का ज़ायका लेना ना भूलें। यह आपको बड़ी ही आसानी से हर जगह मिल जाएगी।
4. लोकल लोगों से बातचीत

आप जहां भी चले जाएं आपको हर जगह कुछ ना कुछ ऐसा ज़रूर मिलेगा। जिसे आप अपनी यादों के पिटारे में हमेशा रखना चाहेंगे। आखिर घुमक्कड़ी का सबसे ख़ास तोहफा यही तो है। ऐसा ही कुछ अनुभव आपको मणिपुरी लोगों के साथ बातें करके मिलेगा। यहां के लोग बेहद सुलझे हुए हैं। इनका रहन-सहन से लेकर इनके खाने पीने के तरीकों तक हर चीज में आपको सरलता और इनका अपनी संस्कृति के तरफ प्यार देखने को मिलेगा। हालांकि इनसे बात करने पर आपको पता चलेगा कि यह लोग अपने गांव और अपने राज्य के बारे में कितनी अच्छी तरीके से जानते हैं। मोरेह में सबसे सस्ता रहने का ठिकाना चाहिए हो या इतिहास से जुड़े सवाल। यहां के लोग हर तरह से आपकी मदद करने के लिए तैयार खड़े मिलेंगे।
5. लोकल लोगों के साथ खेल का मजा
मणिपुर राज्य अपने आप में तरह-तरह के खेलों का गढ़ है और मोरेह भी कुछ कम नहीं हैं। हर सप्ताह के अंत में यहां के लोग विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं जिसमें अनेक खेल खेले जाते हैं। फुटबॉल यहां का सबसे लोकप्रिय खेल है। आप चाहें तो आराम से इन खेलों में हिस्सा ले सकते हैं या बैठ कर इनका आनंद उठा सकते हैं।
6. वुड आर्ट


मोरेह को मणिपुर की बाकी जगहों से जो चीज अलग बनाती है वो है यहां की लकड़ी और उस पर की गई नक्काशी। मोरेह में मिलने वाली वुड आर्ट पूरे मणिपुर तो क्या पूरे देश में फेमस है। इसके लिए यहां एक पूरा अलग बाज़ार है जहां तरह-तरह की लकड़ियां बेची जाती हैं। अगर आप आर्ट और क्राफ्ट में रुचि रखते हैं तो मोरेह का यह बाज़ार आपको ज़रूर पसंद आएगा।
7. बाज़ार
लोकल सड़क किनारे के बाज़ार एक जगह के लिए आइने जैसे होते हैं। क्या ख़ास है, क्या लेना चाहिए, आपके इन सारे सवालों का जवाब आपको यहां के बाजारों में मिल जाएगा। कपड़ों से लेकर बर्तन तक, मोरेह के बाज़ार में आपको सब कुछ एक छत के नीचे देखने को मिल जाएगा। कभी मोरेह आना हो तो भारत-म्यांमार फ्रेंडशिप गेट के पास वाली हाट देखना मत भूलिएगा।
8. तमिल समुदाय

मोरेह का तमिल समुदाय भारत की अनेकता में एकता का सबसे अच्छा उदहारण है। करीब 200 साल से तमिल समुदाय के लोग यहां के लोकल मणिपुरी लोगों के साथ खुशी-खुशी रहते आए हैं। सभी लोग आपस में एक समृद्ध परिवार की तरह रहते हैं। इमिग्रेशन गेट 1 के पास द्रविड़ियन आर्किटेक्चर का मंदिर है। यह मंदिर देखने में बहुत ही सुन्दर और रंग-बिरंगा है। यूं ही घूमते हुए यहां चले आइए आपको मोरेह का तमिल समुदाय देखने के लिए मिल जाएगा।
9. मोरेह की गलियां

किसी भी नई जगह को जानने के लिए सबसे अच्छा तरीका है उस जगह को पैदल नाप डालिए। मोरेह बहुत ही शांत शहर है। यहां हरियाली कदम-कदम पर आपका स्वागत करने तैयार खड़ी है। सड़क के दोनों तरफ भरपूर पेड़-पौधे हैं जो मोरेह की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। अपना कैमरा उठाइए और मोरेह की खूबसूरती देखने निकाल जाइए। यकीन मानिए आपका यह फैसला गलत नहीं होगा।
10. मंदिर और चर्च

मोरेह शहर केवल खाने-पीने में ही नहीं सभ्यता के क्षेत्र में कहीं पीछे नहीं है। यहां आपको तमिल और मणिपुरी परंपरा की दोस्ती देखने मिलेगी। जहां एक तरफ आपको तमिल संस्कृति से प्रेरित मंदिर देखने मिलेगा वहीं दूसरी तरफ चर्च का आकर्षक आर्किटेक्चर आपका ध्यान अपनी ओर खींच लेगा।
इन बातों का रखें ख्याल:
1. म्यांमार में आप केवल तामू तक ही जा सकते हैं। इसके आगे जाने के लिए आपको वीज़ा की जरूरत पड़ेगी।
2. कोशिश कीजिए कि आप दिन के समय ही म्यांमार घूमने निकलें।
3. मोरेह से म्यांमार के लिए प्रॉपर बसें चलती हैं। तो यदि आपके पास पासपोर्ट और वीज़ा है तो आप आराम से म्यांमार घूमने जा सकते हैं।
4. तामू में भारतीय करेंसी चलती है इसलिए आपको करेंसी बदलने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।
5. मोरेह को अच्छी तरह से देखने के लिए एक दिन काफी है। यहां ठहरने के लिए शायद आपको बहुत अच्छे होटल या गेस्ट हाउस ना मिलें। इसलिए मेरा सुझाव है कि आप ठहरने के लिए इंफाल को चुनें।