सुनते हैं कि सुन्दरता गोधूलि बेला में अल्हड़ता लिए हरिद्वार घूमने निकलती है और रात के नीरवता में गंगा किनारे गुनगुनाती हुयी मचलती है...
वैसे भी यायावर मन को आखिर कितने दिनों तक कहीं रोका जा सकता है... दिल के कोने में सोयी हुयी आवारगी ने अंगडाई ली और मन मचल उठा कहीं भटकने को तो बस पकड़ी और सुबह सवेरे ही हरिद्वार के द्वार आ लगे ... और दिनभर हरिद्वार में घुमक्कड़ी की.. सुबह मातृशक्ति गए... निर्मल गंगा के लिए अभियान चलाने वाले स्वामी निगमानंद जी शायद याद हों आपको, जिन्होंने अपनी जान गंगा के निर्मल करने व खनन के विरोध अभियान के लिए दे दी. स्वामियों व सन्यासियों के इस देश में उनके गुरु जी से मिलना अच्छा लगा ... फिर वहाँ से हम लोग राजाजी नेशनल पार्क चले गए ...जंगलों की तरफ.... वापसी में अकस्मात आ गयी बरसात में भीगने का आनंद भी मिला..करीब आधे घंटे सावन के फुहार में अन्दर तक भीगते नहर किनारे हम लोग खड़े रहे ....