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हरिद्वार से बड़ी बहन पिछले 2 साल से घर पर बुला रही थी, लेकिन नौकरी का सिलसिला ऐसा की जल्दी छुट्टी न मिलती हर बार बहाने बताकर बच जाते थे।
इस बार बहन ने साफ अल्फ़ाज़ में बोल दिया कि अगर घर आओगे तो ही बात करूँगी।
फिर क्या था हम निकल पड़े सोलन (हिमाचल प्रदेश) से हरिद्वार के लिये सुबह 10 बजे अपनी बाइक से (अकेले इसलिए निकले ताकि अकेले सफर करने का भी अनुभव हो जाये क्योंकि जीवन मे जो लोग आज आपके साथ हैं हमेशा आपके साथ न होंगे)
सोलन से चंडीगढ़ पहुँचा तो गलती से दिल्ली के हाइवे पर चला गया और जब करनाल पहुँचा तब अहसास हुआ कि गलत रास्ते पर चला आया हूँ। बहुत ही ज्यादा उदासी हुई फिर याद आया मेरा एक पुराना मित्र रहता है करनाल में तो उससे मिलता हुआ चलूं। उससे मुलाक़ात करने के बाद थोड़ी देर में फिर यमुनानगर होकर हरिद्वार के लिए निकला, रास्ते मे रुड़की पहुँच कर जो नज़ारा देखा ऐसा लगा सारी थकान रास्ते की पल भर में गायब हो गई, सुर्यास्त का इतना शानदार नज़ारा देखा जैसे सूर्य गंगा में ही छिप गया हो।
खैर जो रास्ता 260 किमी का था और 3 बजे अपने गंतव्य तक पहुँच जाना था वो 370 किमी का हो गया और पहुँचे शाम को 5:30 पर। घर पर थोड़ी देर आराम करने के बाद वहां से अपने फ़ैज़ भाई के साथ हरिद्वार की सैर करने निकले और हर की पैड़ी होते हुए गंगा किनारे ही विवेकानंद पार्क में शिव जी के दर्शन किये और फिर वापस घर पहुच गये।
एक थकान भर दिन शाम आते आते काफी रोमांचित कर गया।
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आज सुबह मैं और फ़ैज़ कार से शिवपुरी (ऋषिकेश) को निकले, हम हाइवे से न जाकर जंगलो के बीच चीला डैम, राजाजी नेशनल पार्क घूमते हुए गए, क्या ही शानदार नज़ारा चीला डैम का बहुत ही खूबसूरत वादियों में बना डैम जहाँ बहुत सारे टूरिस्ट परिवार के साथ आकर अपना वक़्त गुजारते और मजे करते। हम भी थोड़ी देर रुक कर कुछ फोटोज क्लिक किये और शिवपुरी को निकल गए रिवर राफ्टिंग करने के लिए।
शिवपुरी पहुँच कर मैंने फ़ैज़ को बोला राफ्टिंग के लिए लेकिन वो बहुत ही ज्यादा डरता था राफ्टिंग से तो मैंने अकेले अपने लिए बुकिंग कराई, मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे उसी दिन राफ्टिंग करने का मौका मिल गया नहीं तो एडवांस बुकिंग इतनी होती है कि अगले दिन का ही नम्बर मिलता है।
फिर मैंने जिससे बुकिंग कराई थी वो मुझे शिवपुरी से 5 किलोमीटर आगे लेकर गया राफ्टिंग पॉइंट पर जहाँ से राफ्टिंग स्टार्ट होनी थी।
मैने 9 किलोमीटर वाली राफ्टिंग चुनी थी आपके पास 16 किलोमीटर की राफ्टिंग का भी विकल्प रहेगा अगर आप ऋषिकेश जाकर राफ्टिंग करना चाहते हैं।
पॉइंट पर पहुँच कर मुझे सेफ्टी के बारे में बताया गया और सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट पहनने को बोला।
ये मेरे जीवन कि पहली रिवर राफ्टिंग थी, मुझे पानी से डर भी बहुत लगता था, मैं सिर्फ पानी के आने दर को निकालने के लिए ही राफ्टिंग करना चाहता था, मैं बहुत ज्यादा रोमांचित था थोड़ा डर भी लग रहा था।
मेरे साथ राफ्टिंग बोट पर एक दिल्ली की फैमिली भी थी जिसमे अंकल आंटी और उनकी दो बेटियां थी।
उनसे हाय हेलो होने के बाद पायलट ने हम सबके वॉलेट और फ़ोन्स अपने पास बैग में रख लिए और सबको राफ्टिंग की बेसिक शिक्षा दी फिर हम तैयार थे राफ्टिंग के लिए।
थोड़ी दूर चलने के बाद जो अहसास हुआ जैसे न जाने किस दुनिया मे हूँ, ठंढे पानी की लहरों में आगे बढ़ते हुए हम और अंकल पूरे भीग चुके थे क्योंकि हम दोनों ही आगे बैठे थे। मैं पूरा भीग चुका था तो सोचा क्यों न मैं पानी मे ही कूद जाता हूं
हालाकिं मुझे तैरना बिल्कुल नही आता है लेकिन सेफ्टी बेल्ट और पायलट पर भरोसा करके और बोट से एक लंबी बेल्ट पकड़ कर नदी में कूद गया। थोड़ी देर नदी में रहने के बाद म वापस बोट पर आ गया ऐसा लग जैसा दूसरा जन्म हुआ हो।
हमारी राफ्टिंग लक्ष्मनझूला पर खत्म हुई, मैं पूरी तरह से भीग चुका था इसलिए मैंने मार्केट से लोअर और टीशर्ट खरीद कर कपड़े बदले।
पूरा दिन तो ऐसे ही खत्म हो गया हम वापस हरिद्वार आ गए। प्लान तो ये था कि अगले दिन मसूरी जाएंगे लेकिन मुझे ऋषिकेश ही इतना प्यारा लगा कि मैंने मसूरी जाना कैंसल कर दिया और अगले दिन फिर ऋषिकेश जाने का प्लान बनाया।
आज मैंने और फ़ैज़ ने बाइक से ऋषिकेश घूमने का प्लान बनाया क्योंकि जो मजा बाइक का है वो मजा कार से नही आता अजर पार्किंग की दिक्कत अलग, खैर हम लोग निकल पड़े सुबह 10 बजे घर से ऋषिकेश के लिए, एक घंटे के सफर के बाद हम लक्ष्मण झूला पहुँचे जो गंगा नही के एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ता है और ऋषिकेश की पहचान भी है ये झूला। इस झूले के बारे में कहा जाता है कि ये झूला लक्ष्मण जी ने गंगा नदी को पार करवाने के लिए बनवाया था। थोड़ी देर झूले पर आनंद लेने के बाद हम ऋषिकेश के प्रसिद्ध फ्रीडम कैफे गए जो कि लक्ष्मण झूला से बस 2 मिंट की दूरी पर है। अंदर पहुँचते ही एक अलग ही फीलिंग अलग सी आत्मीयता का अनुभव हुआ, गंगा किनारे बने इस कैफे का इंटीरियर काफी प्रभावित करने वाला था, यहां पर स्वाद के साथ बेहतरीन नज़ारे भी मिलते है आपको।
मैं आपको यहां की मसाला चाय पीने के लिए जरूर बोलूंगा जो कि यहां की कैफे स्पेशियल भी है।
फिर हम राम झूला होते हुए त्रिवेणी घाट पहुँचे जहा पर लोग योगा कर रहे थे, मैं आपको बताना ही भूल गया कि ऋषिकेश को सिटी ऑफ योगा भी कहते हैं।
त्रिवेणी घाट पर बहुत ही ज्यादा सुकून था हमने यहां थोड़ी देर बैठ कर आराम किया। फिर हम वापस घर को चले गए। अगले दिन की सुबह मैं बहुत ही ताजगी के साथ वापस अपने सोलन लौट गया।
जिंदगी की भाग दौड़ और भीड़ भाड़ से हट कर कुछ दिन ऋषिकेश में बहुत ही आराम से गुजारे जा सकते हैं।