
दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर में स्थित है और पूर्वी हिमालय की तलहटी में स्थित है। दार्जिलिंग के जिलों की सीमाएं बांग्लादेश, भूटान और नेपाल जैसे देशों के साथ मिलती हैं। यह समुद्र तल से 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और विभिन्न बौद्ध मठों और हिमालय की शक्तिशाली चोटियों से घिरा हुआ है। यहां की वादियां बेहद मनमोहक हैं और यह एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। दार्जिलिंग सिर्फ चाय के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध नहीं है बल्कि अपनी खूबसूरती के कारण भी यह शहर दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां के ज्यादातर निवासी बौद्ध हैं और दार्जिलिंग में ज्यातार नेपाली एवं बंगाली भाषा बोली जाती है। दार्जिलिंग में घूमने की कई जगहें तो मौजूद हैं ही, साथ में यहां शॉपिंग करने का भी अच्छा विकल्प मौजूद है। यही कारण है कि हर महीने लाखों लोग दार्जिलिंग की सैर करने पहुंचते हैं।
दार्जिलिंग के बारे में रोचक तथ्य –
दार्जिलिंग की उत्पत्ति दो तिब्बती शब्दों दोरजे (Dorje) और लिंग (Ling) से हुई है। दोरजे वज्र (Thunderbolt) का प्रतीक है जबकि लिंग का अर्थ है क्षेत्र या स्थान (Area Or Spot)। इसलिए दार्जिलिंग आकाश में वज्रपात होने या तेज बिजली चमकने के लिए प्रसिद्ध है।
दार्जिलिंग का रंगित घाटी रोपवे (Rangit Valley Ropeway) एशिया का सबसे बड़ा रोपवे है। इस रोपवे से यात्रा करते समय आप खुद को बादलों के बीच पाएंगे और नीचे हरे भरे चाय के बागानों का नजारा भी आप रोपवे से देख सकते हैं जो काफी मनमोहक होता है।
दार्जिलिंग रेलवे अपने दो फुट संकीर्ण गेज ट्रैक के कारण “टॉय ट्रेन” के नाम से प्रसिद्ध है। टॉय ट्रेन की सवारी की सुविधा सिर्फ दार्जिलिंग में ही उपलब्ध है जिसके कारण यह विशेष माना जाता है।
टॉय ट्रेन बेहद धीमी गति से चलती है जिससे आप दार्जिलिंग की सुंदरता और प्राकृतिक दृश्यों को अच्छे से निहार सकते हैं। आपको बता दें कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को 1919 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया था।
दार्जिलिंग में टाइगर हिल से आप कंचनजंगा पर्वत के शीर्ष पर सूरज की पहली किरण से टकराने का विस्मयकारी दृश्य देख सकते हैं। उगते सूरज के खूबसूरत नजारे के साथ ही यह बर्फ के बदलते रंगों के लिए भी प्रसिद्ध है।
दार्जिलिंग में एक ऐतिहासिक वेधशाला पहाड़ी पर स्थित है और आप इस पहाड़ी की चोटी से नेपाल, भूटान, तिब्बत और सिक्किम की झलक भी देख सकते हैं।
चाय प्रेमियों के लिए दार्जिलिंग एक स्वर्ग है। यहां तक कि अगर आप चाय के शौकीन नहीं हैं, तो आप हैप्पी वैली टी एस्टेट जैसी विशाल चाय बागानों की सैर कर सकते हैं।
आप दार्जिलिंग के स्थानीय लोगों के साथ दोस्ताना व्यवहार करके यहां की सम्पदाओं के आसपास की असंख्य कहानियों और भूतों की कहानियों को सुन सकते हैं। खुशबूदार दार्जिलिंग चाय की एक चुस्की लेना लोग कभी नहीं भूलते।
दार्जिलिंग संस्कृतियों और धर्मों दोनों में बहुत विविध है। जिसके कारण यहां का बाजार बहुत विस्तृत है। आप दार्जिलिंग से स्थानीय हस्तकला, मौजूदा संस्कृतियों के विभिन्न कपड़े, बौद्ध कलाकृतियाँ, तिब्बती कालीन और बहुत कुछ खरीद सकते हैं। इसके अलावा दार्जिलिंग चाय और हिमालयन शहद भी बहुत प्रसिद्ध है
कितने दिनों के लिए दार्जिलिंग आएं
दार्जिलिंग में घूमने लायक कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं। इसलिए आपको कम से कम तीन दिन के टूर की योजना बनाकर ही यहां आना चाहिए। तीन दिनों में आप यहां के बहुत से स्थलों को देख सकते हैं। लेकिन यदि आप दार्जिलिंग की हिल्स बहुत अच्छे से घूमना और देखना चाहते हैं तो आपको पांच दिनों की प्लानिंग करके आना चाहिए। पहले दिन रात में आराम करने के बाद अगले दिन सुबह से आपकी घूमने की यात्रा शुरू हो जाती है।
पहले दिन का दार्जिलिंग टूर
पहले दिन के टूर में गाइड आपको मिरिक, पशुपति नगर यानि नेपाल की सीमा दिखाते हैं। जिसे घूमने में करीब चार से छह घंटे लगते हैं।

दूसरे दिन का दार्जिलिंग टूर
आमतौर पर दूसरे दिन का टूर सुबह चार बजे से साढ़े सात बजे के बीच शुरू होता है। जिसमें पर्यटकों को सिर्फ जीप से तीन स्थानों यानि टाइगर हिल, बतासिया लूप और यिगा चोलंग बौद्ध मठ दिखाया जाता है।

तीसरे दिन का दार्जिलिंग टूर
तीसरे दिन पर्यटकों को स्थानीय पर्यटन यात्रा करायी जाती है जिसमें लगभग आधा दिन लगता है। इस दौरान कुल सात प्वाइंट्स दिखाये जाते हैं जिसे आप सुबह साढ़े नौ बजे से बारह बजे और दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे के बीच देख सकते हैं। इस दौरान हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान और प्राणी उद्यान, रोपवे, तेनजिंग रॉक, रॉय विला, छोटा रंग से छोटा रंगनीत टी एस्टेट, तिब्बती शरणार्थी स्वयं सहायता केंद्र, लेबोंग स्टेडियम आदि दिखाया जाता है।

दार्जिलिंग यात्रा का चौथा दिन
आमतौर पर पर्यटकों को चौथे दिन पांच प्वाइंट दिखाये जाते हैं जिसे आप सुबह साढ़े नौ बजे से साढ़े बारह बजे और दोपहर दो बजे से पांच बजे के बीच देख सकते हैं। इस दौरान पर्यटकों को जापानी मंदिर, लाल कोठी, अवा आर्ट गैलरी, धीरधाम मंदिर, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय दिखाया जाता है।

पांचवें दिन का दार्जिलिंग टूर
अंतिम दिन आपको सुबह नौ बजे से बारह बजे और शाम को दो बजे से पांच बजे के बीच रॉक गार्डेन, गंगामाया पार्क का टूर कराया जाता है।
दार्जिलिंग में इन दृश्यों के अलावा भी बहुत कुछ देखने के लिए मौजूद है। आप अपने समय और सुविधा के अनुसार यहां की यात्रा की प्लानिंग कर सकते हैं।


दार्जिलिंग आने का सबसे अच्छा समय –
दार्जिलिंग घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के महीनों के बीच होता है। इस दौरान जब देश के अन्य भागों में खूब गर्मी पड़ती है तब दार्जिलिंग का तापमान 14 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इस दौरान यहां भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। यदि आपको खूब ठंड का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो नवंबर से दिसंबर के मध्य यहां आ सकते हैं। इन महीनों में यहां का तापमान 6 डिग्री सेल्सियस गिर जाता है और 1 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। बारिश के मौसम में यहां भारी वर्षा होती है और भूस्खलन भी होता है इसलिए इस दौरान पर्यटक यहां कम आते हैं। दिसंबर से जनवरी के बीच आप यहां हनीमून मनाने आ सकते हैं। यदि आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो फरवरी से जून के बीच कभी भी आ सकते हैं।

दार्जिलिंग कैसे जाये
दार्जिलिंग के आसपास के शहरों में हवाई जहाज, ट्रेन और बस से आने की सुविधा मौजूद है। इन स्थानों पर पहुंचने के बाद आप आसानी से दार्जिलिंग जा सकते हैं
हवाई जहाज से दार्जिलिंग कैसे जाये
दार्जिलिंग का निकटतम एयरपोर्ट बागडोगरा है जो यहां से 88 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से लगभग साढ़े तीन घंटे की यात्रा के बाद दार्जिलिंग पहुंचा जा सकता है। बागडोगरा एयरपोर्ट देश के मेट्रो शहरों के एयरपोर्ट से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा है। इसलिए आप प्लेन से यहां पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से दार्जिलिंग कैसे जाये –
न्यू जलपाईगुड़ी (NJP) यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है और दार्जिलिंग से लगभग 88 किलोमीटर की दूरी पर है। एनजेपी देश के सभी प्रमुख शहरों से भी जुड़ा हुआ है, इस जंक्शन पर उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए जाने वाली अधिकांश ट्रेनें रुकती हैं। इसके बाद आप यहां से ढाई से तीन घंटे में बस या टैक्सी द्वारा दार्जिलिंग पहुंच सकते हैं।
बस द्वारा दार्जिलिंग कैसे जाये –
दार्जिलिंग, मिरिक और कलिम्पोंग पहुंचने के लिए तेनजिंग नोर्गे बस टर्मिनस, सिलीगुड़ी से बस सेवाएं उपलब्ध हैं। यदि आप दार्जिलिंग बस से जाना चाहते हैं तो आपको पहले सिलीगुड़ी पहुंचना होगा। इसके बाद आप सीट शेयरिंग बसों या जीप से लगभग तीन से साढ़े तीन घंटों में दार्जिलिंग पहुंच सकते हैं।



