कहा जाता है रामायण की रचना वाल्मीकि जी ने अमृतसर से 11 किलोमीटर दूर राम तीर्थ में की थी।रामायण के बारे में सब जानते है। रामायण का एक दर्दनायक हिस्सा है, भगवान राम और सीता माता का विजोग। राज्यधर्म का पालन करते होए भगवान राम ने गर्भवती माता सीता का त्याग करने का निर्णय लिया।
इस समय माता सीता राम तीर्थ में भगवान वाल्मीकि जी के आश्रम में रहे, तब लव का जन्म भी हुआ। कहा जाता है एक बार माता सीता ने नहाने जाना था, वाल्मीकि जी को लव का ध्यान रखने के लिए कहा, मुनि जी ने हां में सिर हिला दिया। मुनि लिखने में वस्त थे, यह देख कर सीता माता जी लव को साथ में ले गए, वाल्मीकि मुनि को इस बात का पता नहीं था। जब मुनि जी ने लिखने के बाद देखा, लव को न देख कर उन्हे अपने आप पर खेद आया, वहा पास के घास से लव जैसा बालक बनाया उसमें जान डाल दी। जब सीता माता आए, लव को माता सीता के साथ देख कर अशर्चित रह गए। माता सीता जी ने लव कुश को पाला, वाल्मीकि जी ने लव कुश को शिक्षा दी, तीर अंदाजी सिखाई। कुछ मान्यता के अनुसार माता सीता जी ने लव कुश दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था।
राम तीर्थ बहुत प्राचीन स्थल है। लव कुश ने इसी जगह पर अश्वमेव युद्ध किया था, भगवान राम ,लक्ष्मण जी के साथ ।यहां पर काफी मंदिर है। एक बावनी भी है, यहा पर माता सीता जी एशनान किया करते थे। माना जाता है जिस औरत के बच्चा नहीं होता, वो इस बावनी के पानी के साथ एशनान करे। राम तीर्थ के साथ एक गुरुद्वारा साहिब भी है। यहां पर बहुत बड़ा सरोवर भी है। वाल्मीकि जी के मंदिर में वाल्मीकि जी की 8 फूट सोने की मूर्ति है। मंदिर का हाल काफी बड़ा और सुंदर है। लोग सरोवर की परकर्मा करते है। वाल्मीकि जी का मंदिर सरोवर में बना हुआ है। राम तीर्थ बहुत साफ सुथरा प्राचीन स्थल है।
आप भी आए और देखे इस प्राचीन स्थल को।
धन्यवाद।