सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार'

Tripoto
28th Jun 2019
Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi

"सबसे पहले बता दूँ कि खज्जियार हिमाचल प्रदेश के चम्बा ज़िले में पड़ता है। ये मिनी स्विजरलैंड ऑफ़ इंडिया के नाम से मशहूर एक हिल स्टेशन हैं" जो समुद्र तल से 6,500 फीट की ऊँचाई पर है।

चीड़ और देवदार के जंगलों में बसा खज्जियार की खूबसूरती आखों में बस गयी है। डलहौजी में एक दिन रुकने के बाद हम चार दोस्तों की टोली निकल पड़ी खज्जियार की तरफ। डलहौजी को पीछे छोड़ जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे, खज्जियार की खूबसूरती और सुकून भरी हवा का एहसास होना शुरू हो गया था।

टैक्सी ड्राइवर ने हमें खज्जियार झील के पास उतारा और हमें वहीं पास में होटल या गेस्ट हाउस लेने का सुझाव दिया। टैक्सी से अपना अपना बैग उठा जब हम दुनियाभर में मशहूर खज्जियार झील वाले खुले मैदान में पहुँचें, तो कुछ पल के लिए हम चारों ठहर से गए।

Day 1
Photo of खाज्जिअर, Himachal Pradesh, India by Sandarshika Awasthi

चारों तरफ इतनी हरियाली शायद ही हमने कभी देखी हो। मैदान की घास से लेकर देवदार के पहाड़ बहुत आकर्षित कर रहे थे। हम फटाफट होटल लेने की तरफ बढ़े ताकि जल्द से जल्द बैग रख इस प्राकृतिक सुंदरता को और ज़्यादा महसूस कर सकें।

28 जून 2019 को हम खज्जियार पहुँचे थे जो टूरिज्म का सीजन होता है। खज्जियार झील के पास कई होटल हैं, लेकिन उस दिन कुछ खाली नहीं थे, और जो खाली थे वो बजट से ज्यादा थे। एक होटल मालिक ने हमें बताया कि पास के गाँव में सस्ते होटल मिल जाएँगे। झील के पास वाले होटलों में जहाँ एक कमरे का किराया एक रात के लिए किराया ढाई हज़ार था। वहीं गाँव वाले होटल का किराया हज़ार रुपये से शुरू था। हमने एक दोस्त को होटल देखने के लिए भेज दिया।( गाँव शब्द सुनते ही मेरे अंदर एक अजीब सी उत्सुकता हुई क्योंकि मैं अब तक किसी गाँव में रुकी नहीं थी। जब 4-5 साल की रहीं होंगी तब अपने गाँव गई थी। बस गांव की धुंधली सी तस्वीर मेरे दिमाग में बसी थी।)

Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi

कुछ देर बाद हमारा दोस्त आता है, वो होटल की लोकेशन और गाँव की तारीफ करता है। अब उस जगह को देखने की उत्सुकता और बढ़ गई। थोड़ी देर बाद होटल की कैब हम चारों को लेने आती है और यहाँ से शुरू होता है असली खज्जियार का सफ़र।

जिस गाँव की बात कर रही हूँ उसका नाम है 'रोहता'। हम जैसे ही रोहता गाँव की तरफ बढ़े, वैसे ही कच्चा रास्ता शुरू हो गया। मिट्टी की कच्ची सड़क 2 मीटर ही चौड़ी थी, साथ में उबड़-खाबड़ भी। सड़क के एक तरफ जंगल था तो दूसरी तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ थे। रास्ता थोड़ा डरावना था, लेकिन कैब वाले भैया के कॉन्फिडेंस को देखकर हमारा भी डर खत्म हो गया।

अब हम होटल में जाने के लिए जैसे ही गाड़ी से उतरे, बाहर की खूबसूरती में एक पल के लिए खो गए। मैं हरियाली, पहाड़ और ठंडी हवा को महसूस कर रही थी। कुछ देर बाद होटल के अंदर आने कमरे में गए और वहाँ एक खिड़की ने हम सबका ध्यान ध्यान खींचा उस खिड़की से खज्जियार की खूबसूरती कुछ अलग ही नज़र आ रही थी।

बस फिर थोड़ी देर आराम किया और निकल गए आसपास के गाँव की सैर करने। जैसा मैंने पहले बताया कि जिस गाँव में हम रुके थे उसका नाम रोहता है। इसके आसपास पुखरी, बुल्हारी जैसे गाँव हैं। एक लोकल आदमी ने हमें बताया कि पुखरी गाँव में एप्पल गार्डन हैं। वहाँ तक जाने का रास्ता काफी एडवेंचर्स है, तो बस फिर क्या था अंधेरा होने से पहले हम चल पड़े पुखरी गाँव की ओर!

उबड़-खाबड़ रास्ता था वो, तकरीबन 1 किलोमीटर तक हम आधे मीटर वाले पगडंडी के रास्ते पर चले, रास्ता नहीं चढ़ाई थी वो! कुछ ही दूरी चलने के बाद हमारी सांस फूलने लगी। ऐसा लगा मानो हमारा शरीर ट्रेक के लिए बना ही नहीं है। बिल्कुल खड़ी चढ़ाई थी, और एक तरफ गहरी खाई थी, पैर फिसलता तो सीधे नीचे जाते। लेकिन किसी तरह वो कठिन रास्ता पार कर हम बीच जंगल में आ गए, जहाँ रास्ता पहले की तुलना में कम कठिन था।

Photo of पुखरी, Himachal Pradesh, India by Sandarshika Awasthi

लेकिन इस रास्ते में एक अजीब बात थी, जो हम चारों ने महसूस की। जंगल में कई टूटे पेड़ थे और हर एक टूटे हुए पेड़ में किसी ना किसी जानवर का अख़्स नज़र आया। सिर्फ कटे हुए गिरे हुए पेड़ों में ऐसा था। जंगल में अंधेरा था तो फ़ोटो साफ नहीं आ पा. और एप्पल गार्डन भी पहुँचना था और वापिस भी समय से आना भी था, इसलिए हम जल्द ही आगे बढ़ गए।

Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi

इस बीच एक अनोखी चीज़ देखने को मिली, वो थे घोड़े। इस वक़्त हम पुखरी गाँव पहुँच चुके थे। यहाँ से खज्जियार झील जाने के लिए घोड़े मिल जाते हैं लेकिन इस बार घोड़ें नहीं, घोड़ों के नाम पर सबका ध्यान था। किसी का नाम कृष था तो किसी का सुल्तान, और तो और मैक्सवेल नाम का घोड़ा भी था। शायद घोड़ा मालिक क्रिकेटर मैक्सवेल का फैन होगा। इसके बाद मैंने धोनी, सचिन और विराट नाम के घोड़ें ढूंढे, लेकिन मिले नहीं, शायद उस गाँव में कोई उनका फैन नहीं होगा।

Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi

इसके बाद हम एक अंकल की मदद से सीधे एप्पल गार्डन पहुँचे।अपनी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत सूर्यास्त वहीं देखा और जब तक सूरज डूबा नहीं, तब तक उसे देखते रही और सूर्यास्त के कुछ देर तक वहाँ ताकती रही।

Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi

इसके अलावा एप्पल गार्डन में कई तरह के सेब के पेड़ थे, हालांकि वो पके तो नहीं थे, लेकिन हमने पेड़ पर लगे कच्चे सेब ज़रूर देख लिए। ग्रीन एप्पल, गोल्डन और रॉयल एप्पल इस गार्डन के मुख्य आकर्षण हैं। वहीं पेड़ से तोड़ कर आलूबुखारा खाने का अपना ही मज़ा है।

Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi
Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi

इस दौरान एप्पल गार्डन के अंकल ने एक रोचक बात बताई। इसी के पास एक मिस्टिक विलेज, ये गाँव मैप में है ही नहीं। इस गाँव में जाने का मौका तो नहीं मिला लेकिन दूर से ज़रूर देखने को मिल गया। इस गाँव में 10 से 12 घर हैं और गाँव की ज़िन्दगी जीने के लिए टूरिस्ट यहाँ रुकने आते हैं। खज्जियार से 3 किलोमीटर के ट्रेक के बाद ये गाँव पड़ता है।

एप्पल गार्डन में अंकल से बात करते-करते अब अंधेरा हो चला था। होटल लौटने का समय हो चुका था, लेकिन मन नहीं था। अंकल ने भी बोला कि अब आप लोग चले जाओ, रात में जंगल से जाना खतरनाक हो सकता है। पुखरी गाँव के एप्पल गार्डन से हमारा होटल करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर था। 7 बज चुके थे और इस बार हम चार लोग अंधेरे जंगल में थे, फ़ोन की फ़्लैश लाइट ही हमारा सहारा थी।

Photo of सुकून और एडवेंचर का अद्भुत संगम 'खज्जियार' by Sandarshika Awasthi

जंगल में कभी डर लगता कि कोई जानवर ना आ जाए, तो कभी हम चौड़ में चलते कि कुछ नहीं होगा। रात को बिना सेफ्टी के जंगल में हर किसी को डर लगेगा ही। हमें भी लग रहा था, जुगनू की आवाज़ भी डरा रही थी, लेकिन डरते डाराते, हँसी मज़ाक करते हम आखिर अपने होटल पहुँच ही गए।

Day 2

अगली सुबह पैराग्लाइडिंग करने गए, लेकिन ख़राब मौसम की वजह से पैराग्लाइडिंग बंद थी। जब ट्रिप प्लान कर रहे थे तब पैराग्लाइडिंग को लेकर बहुत डिस्कशन किया था, लेकिन वो अधूरा ही रह गया। इसके बाद खज्जियार झील गए और हरी-भरी घास पर घंटों बिताए। सुकून भरा समय था। दूर-दूर तक घने पेड़ के अलावा कुछ और नज़र नहीं आ रहा था। तनाव से दूर रहने के लिए खज्जियार लेक का मैदान दवाई की तरह काम करता है।

Photo of खजियार तालाब, Khajjiar, Himachal Pradesh, India by Sandarshika Awasthi

इसके बाद चंबा होते हुए पठानकोट तक बस और फिर ट्रैन से वापिस दिल्ली लौटे। अगर आप एंडवेंचर, गेम्स और सुकून का मज़ा साथ में उठाना चाहते हैं तो उसके लिए खज्जियार सबसे अच्छा ऑपशन है।

कैसे जाएँ ?

दिल्ली से डलहौजी के लिए सीधे बस जाती है,एक दिन डलहौजी में रुकने के बाद खज्जियार जा सकते हैं। डलहौजी से बस, टैक्सी मिल जाएँगी।

दिल्ली से पहले पठानकोट ट्रेन से जा सकते हैं, फिर पठानकोट के लिए डलहौजी तक बस से जा सकते हैं। इसके बाद खज्जियार के लिए बस टैक्सी से जा सकते हैं

कहाँ ठहरे ?

अगर आप डलहौजी जा रहे हैं तो किसी भी होटल में रुक सकते हैं। हर होटल के पास का व्यू शानदार है, लेकिन खज्जियार में किसी गाँव में जा कर रुकें। एक तो गाँव में रहना सस्ता होगा, साथ ही एक्सप्लोर करने को भी ज़्यादा चीज़ें होंगी।

कहाँ-कहाँ घूमें ?

डलहौजी में पंचपूला और डैनकुंड ट्रैक पर जा सकते हैं

खज्जियार: खज्जियार झील,कालाटॉप, मिस्टिक गांव (ये गांव नक्शे पर नहीं हैं)

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