DAY 1
हर नए साल की तरह इस बार की ट्रिप के लिए मेने "अजमेर-पुष्कर" को चुना, वजह साफ़ थी कुछ अलग सा मन को शान्ति देने वाला ट्रिप करना था |
इस बार ये ट्रिप मेने अपने मम्मी पापा के साथ की थी , मेरी लिए फन और उनके लिए एक स्पिरिचुअल यात्रा का अनुभव।
पहला दिन और हम सुबह अजमेर पहुंच गए , हमने पहले ही रूम बुक कर रखा था , अगर आप ना भी कर पाए तो आपको वहा ढेर सारे होटल्स और धर्मशालाए आसानी से मिल जाएँगी , और वो भी बहुत सस्ते दाम में ।
अजमेर दरगाह में दोपहर में दर्शन के बाद हम वहाँ आस पास के बाजार में घूमने के लिए निकल गए , बाजार में खाने पीने से लेकर खरीदारी के लिए बहुत बड़ा बाजार है , जहाँ आपको हर तरह का सामान मिल जायेगा।
खाने के लिए हमने अजमेर का सबसे फेमस "महादेव का ढाबा" चुना , हमने इस ढाबे के बारे में बहुत सुना था और बेशक ये गलत नहीं था, राजस्थान के बारे में एक बात आप सबको पता होनी चाहिए के यहाँ का खाना स्वादिष्ट होने के साथ साथ सस्ता भी है , और यही बात राजस्थान को एक अलग पहचान देती है।
अब राजस्थान आये और गट्टे की सब्ज़ी न खाई तो क्या खाया , मन को लज़ीज़ करने वाली गट्टे की सब्ज़ी ने एक बार में ही मन मोह लिया था पर कहते है ना के पेट भर जाता ह पर आत्मा नहीं , तो हम बस खाते गए।
AROUND 3:00 PM...
अब पेट पूजा के बाद हम पास में ही "आनासागर लेक" की ओर निकल गए , पहली नज़र में ही लेक देखते बनता है , अस पास बैठने के लिए हरा भरा गार्डन और सामने की ओर कानो को सुकून देने वाला लेक जिसकी लहरें ओर पक्षियों का चहचहाना आत्मा को तृप्त कर देता है , मानो जैसे ज़िन्दगी कुछ पल के लिए थम सी जाती हो। हम कुछ देर वही आराम करने बैठ गए ओर प्रकर्ति का आनंद लेते रहे।
पास में ही "सुबाष उद्यान पार्क' के बारे में पता चला , तो वक़्त रहते हम वहाँ के लिए निकल पड़े , ये पार्क "नेताजी सुभाष चंद्र बोसे' को समर्पित है , यहाँ उनकी मूर्ति भी स्थापित है , इसी पार्क में शिव जी का भी एक मंदिर है जो देखते ही बनता है , मंदिर के ऊपरी हिस्से में शिव जी का नाग विराजमान है जैसे शिवजी के गले में लिपटा हुआ होता ह।
शाम होने लगी थी तो हम टहलते हुए दरगाह के पास अपने रूम में वापस आ गए , कुछ देर आराम करने के बाद हम एक बार फिर दरगाह में दर्शन के लिए निकल गए ओर रात में जगमगाती रौशनी देखते ही बनती थी , चांदनी रात में दरगाह के अंदर का नज़ारा कुछ अलग ही था।
ओर यहाँ हमारे पहले दिन का अंत होता है। अगले दिन हम पुष्कर के लिए निकलने वाले थे।
DAY 2
अगले दिन सुबह होते ही हम पुष्कर के लिए निकल पड़े , बस स्टैंड से हमने डायरेक्ट बस ली थी , जिसका किराया मात्र 16 रुपए था ओर वक़्त करीब 1 घंटा लगा था। वहा पहुचने के बाद ऐसे ही फील हुआ जैसे टीवी पे पुष्कर मेले को देखते बनता था, वही एहसास होने लगा था, चारो ओर देसी विदेशी लोग गाते हुए , मस्ती में एक दूसरे के साथ हस्ते हसाते हुए दर्शन को जाते हुए।
वहां जाके हम ने पहले पुष्कर के फेमस "ब्रह्मा मंदिर" में दर्शन किये, पुष्कर की छोटी - छोटी गलियों से होता हुआ रास्ता मंदिर को जाता है , जहाँ एक तरफ लोगो के घर ओर दूसरी ओर मिठाई की दुकाने बानी हुई है , पुष्कर के फेमस "माल पुहा" मुँह में डालते ही एक दम से चीनी की तरह घुल जाता है।
अब बात करे मंदिर की तो आप सब को ये जान कर विश्वास नहीं होगा के ये मंदिर पुरे भारत में इकलौता "BRAHMA जी " का मंदिर है ओर दूर दूर से लोग यहाँ इसी मंदिर को देखने आते है।
ओर इसी के साथ हमारी दूसरे दिन भी यात्रा का अंत होता है ओर शाम होते ही हम बस लेके वापस अजमेर आ जाते है और अगले दिन वापस अपने घर आगरा के लिए निकल जाते है।
सच में ये यात्रा किसी सौभाग्य से काम नहीं थी , और में सभी से ये कहना चाहूंगा के वक़्त रहते हमे अपने देश और इस्से जुडी संस्कृतिति को जान और देख पाए उतना अच्छा है , और हमे अपने वक़्त के अनुसार ये छोटी छोटी यात्राएं करनी ही चाहिए , ये ना हमे अपने देश के जोड़ती है बल्कि हमे अपनी देश की दारोहर से रूबरू होने के एहसास भी देती है, और कोशिश करे की ऐसी यात्राओं पे अपने माता पिता को साथ जरूर ले लाये , ताकि वो भी ये एहसास कर पाए |
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धन्यवाद।