ट्रेन, बस और पैदल: 15 दिन में राजस्थान के 7 शहरों को कुछ इस तरह से किया एक्सप्लोर

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Photo of ट्रेन, बस और पैदल: 15 दिन में राजस्थान के 7 शहरों को कुछ इस तरह से किया एक्सप्लोर by Rishabh Dev

राजस्थान भारत के सबसे शानदार राज्यों में से है। देश और दुनिया भर से सैलानी इस प्रदेश के अलग-अलग शहरों को घूमने के लिए आते हैं। मैं राजस्थान के कुछ शहरों को पहले देख चुका था। इस बार राजस्थान की एक लंबी यात्रा का प्लान बनाया। एक दिन अपना बैगपैक उठाया और लगभग 15 दिन तक राजस्थान के अलग-अलग शहरों में घूमता रहा। मैंने ट्रेन, बस और पैदल चलते हुए राजस्थान के इन शहरों को एक्सप्लोर किया। राजस्थान में घूमने का एक अलग ही मजा और सुकून है।

दिन 1

जयपुर

मेरी यात्रा की शुरूआत होती है झाँसी से। झाँसी उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा शहर है। दिन 2 बजे मैं जयपुर के लिए ट्रेन पकड़ता हूँ। दिन की यात्रा मुझे बोरिंग लगती है। रात की यात्रा में समय का पता नहीं चलता है। आपको बस नींद की आग़ोश में जाना है और फिर जब आपकी आँख खुलेगी तब आप या तो मंज़िल पर पहुँच गए होंगे या मंज़िल के क़रीब होंगे। लगभग 9 घंटे काटने के बाद मैं रात के 11 बजे जयपुर पहुँचा। मैंने तीसरी बार जयपुर की धरती पर कदम रखा। इस तरह से मेरी राजस्थान की यात्रा शुरू हो गई।

दिन 2-3

जोधपुर

जयपुर में इस बार मुझे घूमना नहीं था, बस रेलवे स्टेशन पर इंतज़ार करना था। लगभग 2 बजे ट्रेन आई और मैं जोधपुर के लिए निकल पड़ा। सुबह 8 बजे मैं जोधपुर पहुँच गया। मैंने क़िले के पास में ही एक सस्ता सा कमरा ले लिया। तैयार होकर थोड़ी देर बाद मेहरानगढ़ क़िले को देखने के लिए निकल पड़ा। मेहरानगढ़ क़िले का टिकट लेकर हम क़िले को देखने के लिए निकल पड़े। क़िले में एक विशाल म्यूज़ियम और शीश महल समेत कई सुंदर महल हैं। लगभग 2 घंटे लगे इस क़िले को देखने में। क़िले को देखने के बाद पुराने जोधपुर की तरफ़ निकल पड़े।

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हम नौचुकिया इलाक़े में चल रहे थे। जोधपुर का ये वो इलाक़ा है जिसका ज़्यादातर हिस्सा नीला है। इसका मतलब यही है कि ब्लू सिटी में सब कुछ नीला नहीं है। इसके बाद हम ऑटो लेकर उम्मेद भवन पैलेस गए। यहाँ हमने फिर से टिकट लिया और म्यूज़ियम को देखने चल दिए। उम्मेद भवन पैलेस म्यूज़ियम छोटा-सा है क्योंकि इसका ज़्यादातर हिस्सा तो हेरिटेज होटल और रॉयल निवास में तब्दील किया गया। अगले दिन जोधपुर में हमने जसवंत थड़ा, मंडोर गार्डन और घंटा घर देखा।

दिन 4-5

बीकानेर

अगले दिन सुबह-सुबह जोधपुर को खम्मा घणी करने के बाद हम रेलवे स्टेशन निकल पड़े। ट्रेन आई और हमने अपनी सीट पकड़ ली। लगभग 12 बजे हम राजस्थान के एक और शहर में पहुँच गए, बीकानेर। बीकानेर में हमने सबसे पहले एक कमरा लिया और तैयार होकर जूनागढ़ क़िले को देखने के लिए निकल पड़े। जूनागढ़ क़िला काफ़ी विशाल है। क़िले को देखने में हमें काफ़ी समय लग गया। क़िले के परिसर में ही प्राचीना म्यूज़ियम भी है। हमने उस म्यूज़ियम को भी देखा।

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अगले दिन हमने जूनागढ़ क़िले के पास एक दुकान से स्कूटी रेंट पर ली। उसके बाद जौनिया वाला महाराज की दुकान पर जाकर कचौड़ी खाई और बृज महाराज की दुकान पर स्वादिष्ट जलेबी का स्वाद लिया। इसके बाद बीकानेर से 30 किमी हम स्कूटी से देशोनोक पहुँचे। वहां हमने प्राचीन करणी माता का मंदिर देखा। इस मंदिर में आपको कदम-कदम पर चूहे दिखेंगे क्योंकि चूहों की पूजा होती है। बीकानेर आने के बाद हम रामपुरिया हवेली गए। ये हवेली बीकानेर की एक अलग पहचान बन गई है। हम लालगढ़ और लक्ष्मी निवास पैलेस भी गए लेकिन वो हेरीटेज होटल में तब्दील हो गए हैं।

दिन 6-8

जैसलमेर

जैसलमेर को स्वर्ण नगरी के नाम से भी जाना जाता है। हम सुबह 4 बजे जैसलमेर पहुँच गए और क़िले के पास ही एक सस्ता-सा होटल भी ले लिया। जैसलमेर आने के बाद पहले कुछ घंटे आराम किया और फिर तैयार होकर जैसलमेर को देखने के लिए निकल पड़े। हम सबसे पहले जैसलमेर क़िले को देखने के लिए गए। क़िले के अंदर जैन मंदिर और राजा-रानी का महल देखा। इसके बाद हम पटवा हवेली को देखने के लिए गए। शाम के समय हम गढ़ीसर लेक गए। यहाँ हमने शानदार लाइट एंड साउंड शो देखा।

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अगले दिन हमने एक दुकान से स्कूटी रेंट की और जैसलमेर शहर से निकल पड़े। सबसे पहले हम बड़ी बाग़ गए और उसके बाद फतेह सागर पहुँचे। फतेह सागर में झील जैसा कुछ भी नहीं था। इसके बाद लुद्रवा के जैन मंदिर को भी देखा। ऐसे ही घूमते-घूमते हम सम सैंड ड्यूंस पहुँच गए। यहाँ हम एक डेज़र्ट कैंप में रूके। शाम के समय हमने शानदार जीप सफ़ारी, कैमल राइड और सूर्यास्त को देखा। शाम के समय कैंप में कल्चरल कार्यक्रम भी हुआ। जैसलमेर में तीसरे दिन हम बस शहर को देखते रहे और फिर शाम को बस पकड़कर एक और शहर की तरफ़ बढ़ गए।

दिन 9

माउंट आबू

हम रात के 2 बजे आबू रोड पहुँच गए। हमने बस स्टैंड के पास में एक कमरा लिया और सो गए। अगले दिन सुबह-सुबह बस स्टैंड पर पहुँचे और माउंट आबू के लिए निकल पड़े। माउंट आबू राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है। हमने एक शेयर्ड गाड़ी बुक कर ली जिससे सबसे पहले हम नक्की लेक गए। उसके बाद गुरू शिखर पीक, पीस पार्क समेत कई जगहों पर गए। आख़िर में हम पहुँचे दिलवाड़ा जैन मंदिर। दिलवाड़ा मंदिर राजस्थान के सबसे शानदार जैन मंदिरों में से एक है। इस जगह को देखने के बाद वापस बस स्टैंड आ गए। हमने पहले माउंट आबू के लिए बस पकड़ी और फिर वहाँ से उदयपुर के लिए। अब हम झीलों के शहर उदयपुर की यात्रा पर जाने वाले थे।

दिन 10-12

उदयपुर

रात के 10 बजे हम उदयपुर पहुँच गए। हमने उदय पोल के पास में एक बढ़िया-से होटल में अच्छा कमरा ले लिया। रात के समय तो हमने आराम किया और अगले दिन की तैयारी में लग गए। अगले दिन सबसे पहले हम सिटी पैलेस को देखन के लिए गए। उसके बाद पिछोला लेक को एक घाट से देखा। इसके अलावा बागोर की हवेली और गणगौर घाट देखा। झीलों के शहर उदयपुर की आबोहवा ही शानदार है। मैं तो यहीं कहूँगा की वाइब है भाई वाइब।

अगले दिन हमने एक स्कूटी रेंट पर ली। सबसे पहले हम सज्जनगढ़ क़िले को देखने के लिए गए। सज्जनगढ़ क़िला एक पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ से उदयपुर का एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। इसके बाद हमने बाहबली हिल्स का रूख गया। पहाड़ी तक पहुँचने के लिये एक छोटा-सा ट्रेन करना पड़ता है। इसके बाद हम सहेलियों की बावड़ा और गुलाब को देखने भी गए। अगले दिन हम फिर से सिटी पैलेस के पास में थे। हमने यहाँ प्राचीन जगदीश मंदिर को देखा। यहाँ का स्ट्रीट फ़ूड भी चखा। इसके बाद हम पहुँच गए फतेह सागर लेक। हमने यहाँ महाराणा प्रताप का स्मारक देखा और लेक में बोट पर भी बैठे। इस तरह से हमारा उदयपुर की यात्रा पूरी हुई।

दिन 13-14

पुष्कर

एक बार फिर से अपनी नींद को ख़राब किया और रेलवे स्टेशन पहुँच गए। थोड़ी देर इंतज़ार किया और फिर ट्रेन आ गई। कुछ देर में ट्रेन चल पड़ी। लगभग 11 बजे ट्रेन अजमेर पहुँच गई। हम अजमेर बस स्टैंड पहुँचे। वहाँ हमें बाहर ही पुष्कर के लिए बस मिल गई। आधे घंटे की यात्रा के बाद मैं तीर्थराज पुष्कर पहुँच गया। यहाँ मैंने एक सस्ता सा कमरा ले लिया। तैयार होकर पुष्कर को देखने के लिए निकल पड़ा। सबसे पहले गया ब्रम्हा मंदिर को देखने के लिए। पूरी दुनिया में ब्रम्हा का मंदिर पुष्कर में ही है।

इसके बाद रबड़ी के साथ मालपुआ का स्वाद भी लिया। इसके बाद पुष्कर लेक को देखने के लिए निकल पड़ा। पुष्कर झील लगभग 52 घाटों से घिरी हुई है। अगले दिन हमने पहाड़ी पर स्थित सावित्री मंदिर को देखा और फिर शहर में एक प्राचीन रंगजी महल भी है, उसको भी देखा। शाम को हम वापस अजमेर लौट आए। हम अजमेर शरीफ़ भी गए। एक बार फिर से अजमेर में हमारा भीड़ से वास्ता हुआ। इस तरह से हमारी लगभग 15 दिन की यात्रा पूरी हुई। जयपुर से शुरू हुई ये यात्रा अजमेर में जाकर ख़त्म हुई। राजस्थान के अलग-अलग शहरों को घूमते हुए कब 15 दिन निकल गए पता ही नहीं चला।

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