राजस्थान के स्वाद और संस्कृति का अद्भुत संगम है राधा री ढाणी, भोपाल से महज़ 20 किमी है दूर

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Photo of राजस्थान के स्वाद और संस्कृति का अद्भुत संगम है राधा री ढाणी, भोपाल से महज़ 20 किमी है दूर by Yayawar_monk
Day 1

राजस्थान अपनी अलहदा संस्कृति, रंग-बिरंगे नृत्य और सुस्वादु भोजन के लिए जग प्रसिद्ध है। राजस्थानी थाली की अपनी विशेषता है और दाल-बाटी-चूरमा शायद ही किसी भोजन रसिक को लुभाते न हों। यदि आपको भी राजस्थान की संस्कृति और भोजन भाता हो और आप मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल या उसके आसपास रहते हैं तो आपको फिर भोजन के लिए राजस्थान जाने की ज़रूरत नहीं है। राजस्थानी स्वाद और संस्कृति का संगम भोपाल शहर से सिर्फ़ 1 घंटे की दूरी पर उपलब्ध है। हम बात कर रहे हैं राधा री ढाणी के बारे में।

राजस्थान की संस्कृति का संगम
राधा री ढाणी एक फन पार्क है। यह सीहोर रोड पर भोपाल शहर से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। सप्ताहांत पर परिवार सहित समय गुज़ारने के लिए यह स्थान एक अच्छा विकल्प है। विशेष बात यह कि यहां पर काम करने वाले सभी लोग राजस्थान से आए हैं, ताकि पर्यटकों को राजस्थान के असली स्वाद और संस्कृति के बारे में पता चल सके।
 यहां आप क्या-क्या पाएंगे और किस प्रकार आप यहां भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं, इसकी पूरी जानकारी निम्नलिखित है-

जानने योग्य बातें
राधा री ढाणी में यदि आप घूमने जाना चाहते हैं तो यहां का टिकट इस प्रकार है-
वयस्क- 500 रुपए
बच्चे- 350 रुपए

इस टिकट में क्या-क्या शामिल है?
राजस्थानी भोजन थाली अनलिमिटेट
स्नैक्स (जलजीरा, बाजरे की रोटी आदि।)
कालबेलिया नृत्य प्रस्तुति
रस्सी पर चलकर दिखाए जाने वाले खेल
डिस्को बार
बच्चों के लिए झूले

यहां पर एक स्वीमिंग पूल भी मौजूद है, जिसमें कुछ स्लाइड्स हैं। यदि आप साथ ही पूल का मज़ा भी लेना चाहते हैं तो इसका टिकट 200 रुपए प्रतिव्यक्ति है।

ढोल बजाकर स्वागत
टिकट लेने के उपरांत जैसे ही आप ढाणी में प्रवेश करते हैं तो ढोल बजाकर सभी मेहमानों का स्वागत किया जाता है। उसके बाद थोड़ी ही आगे जलजीरा और ठंडे पानी का सेवन आप कर सकते हैं।
इसके बाद कालबेलिया नृत्य, हैरतअंगेज़ खेल और डिस्को में आप समय व्यतीत कर सकते हैं। यहां आप सशुल्क राजस्थानी पाेशाक पहनकर तस्वीर भी खिंचवा सकते हैं।

भोजन में क्या?
भोजन पूर्णत: पारम्परिक तरीक़े से ज़मीन पर बैठकर करवाया जाता है। आपके सामने एक सुंदर पटिए पर पूरा भोजन लगाया जाता है। फिर पारम्परिक तरीक़े से साफा बांधकर आपको सप्रेम भोजन करवाया जाता है। यहां काम करने वाले सभी सम्मानीय गण आपको सेठजी और सेठाणी जी कहकर संबोधित करते हैं।
भोजन हर मौसम में बदलता रहता है। हम जब ग्रीष्म ऋतु में पहुंचे तब भोजन में घी रोटी, दाल, बाटी, चूरमा, बेसन गट्‌टे की सब्ज़ी, पनीर की सब्ज़ी, लहसुन की चटनी, मिक्स अचार, मीठे में मालपुआ, पापड़, सलाद, बाजरे का खिचड़ा, मिक्स वेज और छाछ परोसा गया था। भोजन इतना स्वादिष्ठ होता है कि पेट भर जाता है किंतु मन नहीं भर पाता।

कैसे पहुंचे?
भाेपाल से यह सीहोर रोड पर 20 किमी की दूरी पर स्थित है। आप अपने दो पहिया वाहन या चार पहिया वाहन से भी जा सकते हैं। आप चाहें तो यहां रात भी रुक सकते हैं और राजस्थानी थीम पर पर्यटकों के ठहरने के लिए कमरे यहां मौजूद हैं।

भीतर का दृश्य

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भीतरी दृश्य

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भोजन की थाली

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इस तरह के साफे पहनाकर भोजन करवाया जाता है।

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