राजस्थान के हार में मोती जैसे चमकते शहर उदयपुर की ख्याति देश ही नहीं विदेश में भी है। इसे कई बार दुनिया के सबसे शानदार शहरों की सूची में रखा जा चुका है। इतिहास, संस्कृति, प्रकृति, महल, झीलें, पहाड़, सुरंग, कहानियाँ- क्या नहीं है अरावली की गोद में बसे इस सुरम्य शहर के पास!
इसी उदयपुर का सबसे बड़ा आकर्षण है- सिटी पैलेस। मेवाड़ की शौर्यगाथा को बांचता यह पैलेस आज भी अपने भव्यतम स्वरूप में रियासतकाल की याद दिलाता है। यह भारत के सुंदरतम पैलेस में शामिल है।
अब आते हैं काम की बात पर।
पिछले वर्ष तक सिटी पैलेस सभी महलों और क़िलों के समान सूर्यास्त के साथ पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता था। परंतु, अब नए परिवर्तनों के अनुसार सिटी पैलेस सुबह 9 से रात 9 बजे तक खुला रहेगा। हाल ही में मैं उदयपुर गया था और यकीन मानिए, यह जानकारी पाकर मेरी ख़ुशी का पारावार न रहा।
जैसे-जैसे सूरज ढलता है और रात गहराने लगती है, सिटी पैलेस जगमग रोशनी से भरपूर सौंदर्य की एक ओढ़नी धर लेता है। इसके पोर-पोर से राजस्थानी शान की कहानी सुनाई देने लगती है।
सिटी पैलेस के विषय में
गूगल करेंगे तो बहुत सी जानकारी मिल जाएगी। कुछ सुनी अनसुनी बातें यहाँ बता देता हूँ। किले या महलों के नाम अमूूमन किसी राजा, देव, ईश्वर या जगह आदि के नाम पर होते हैं जैसे सूर्यगढ़, मेहरानगढ़, आम्बेर किला, चित्तौड़गढ़; पर उदयपुर का यह आलीशान महल ‘सिटी पैलेस' के नाम से जगविख्यात है। इसका कारण यह है कि इस क़िले को किसी एक महाराणा ने नहीं बनाया है, बल्कि कई महाराणाओं ने पीढ़ियों तक इसे तैयार किया है। इसलिए इसे एक नाम नहीं दिया गया है।
आज इसे सिटी पैलेस के नाम से ही जाना जाता है।
इस सिटी पैलेस के दो हिस्से हैं। जिस हिस्से में पर्यटकों को जाने की इजाजत है वह भी वृहत्तर सिटी पैलेस का ही भाग है जिसे आज संग्रहालय में रूपांतरित कर दिया गया है, वहीं इस पैलेस के दूसरे भाग में उदयपुर का राजपरिवार निवास करता है। राजपरिवार के निवास स्थान को शंभू निवास कहते हैं।
सिटी पैलेस संग्रहालय
यह ऐतिहासिक रूप से समृद्ध संग्रहालय है और मेवाड़ के इतिहास के अनेक प्राचीन अवशेष यहाँ मौजूद हैं। सबसे आकर्षक वस्तुएँ जो मुझे लगीं वो थी मेवाड़ कुलगौरव महाराणा प्रताप की युद्ध पोशाक और तलवार। मेवाड़ के अनेक प्राचीन महाराणाओं की वस्तुओं का यहाँ अद्भुत संग्रह किया गया है। जनाना महल, काँच की बुर्ज, मोर चौक, बाड़ी महल, राय आंगन, सिल्वर गैलरी आदि स्थानों की तस्वीरें खींचते हुए तो मन भर ही नहीं सकता।
संग्रहालय इतना बड़ा है कि एक-एक चीज़ आप देखने-समझने लगें तो सुबह की शाम हो सकती है। बेहतर है कि संग्रहालय घूमने के लिए गाइड लें। गाइड आपको लगभग 2 घंटे में बहुत ही अच्छे से पूरा संग्रहालय दिखा देते हैं। संग्रहालय के बाहर प्रोफेशनल गाइड आसानी से आपको मिल जाएंगे, जो एकदम वाजिब दाम पर
टिकट व अन्य जानकारी
सिटी पैलेस के बाह्य परिसर में घूमने के लिए 30 रुपए का टिकट है। इससे आपको संग्रहालय में एंट्री नहीं मिलेगी। भारतीय लोगों के लिए संग्रहालय की टिकट दर इस प्रकार है-
वयस्क- 300 ~
5 से 18 वर्ष बच्चे- 100 ~
वरिष्ठ नागरिक - 200 ~
छात्र (आईडी आवश्यक) - 100 ~
सेना से सम्बंधित पर्यटक- 200 ~
दिव्यांग- 0 ~
दाल बाटी चूरमा
खाकर बन जाओ सूरमा
जब मैं सिटी पैलेस संग्रहालय घूमकर बाहर निकला तो लगभग रात के 8 बज चुके थे। सिटी पैलेस रोशनी में नहाया हुआ था। पीछे कहीं से किसी राजस्थानी गीत की धुन सुनाई पड़ रही थी। जनाना महल के पास एक रेस्तरां हैं जहाँ पर दाल-बाटी थाली मिलती है। मूल्य मात्र 150 रुपए। इसमें दाल-बाटी, चूरमा, छाछ, अचार आदि शामिल होते हैं, जिन्हें खाकर आपकी यह यात्रा शानदार रूप से पूरी होगी।