काशी या बनारस के नाम से प्रसिद्ध वाराणसी शहर दुनिया का सबसे पुराना जीवित शहर है, जो तीर्थयात्रियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी बेहद खास है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर संस्कृति, पौराणिक कथाओं, साहित्य और कला का एक प्रमुख स्थान है। इस शहर की उत्पत्ति उस समय (लगभग 2500 वर्ष पहले) की है जब भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी की थी और इस शहर को अपने रहने की जगह चुना था। इसके बाद आर्यों ने शहर में आकर निवास किया और यहां पर रेशम, मलमल, हाथी दांत और इत्र आदि चीजों का व्यापार शुरू किया।
अस्सी घाट
वाराणसी रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी स्थित अस्सी घाट एक ऐसी पवित्र जगह है जहां आने वाले तीर्थयात्री एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थित एक विशाल शिव लिंग की पूजा करके भगवान शिव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। बता दें कि अस्सी घाट अस्सी और गंगा नदी के संगम पर स्थित है जो काशी की प्राचीनता को दर्शाता है। अगर आप वाराणसी की यात्रा करना आ रहे हैं तो आपको सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से अस्सी घाट की सैर जरुर करना चाहिए। इस घाट की आरती का आकर्षक नजारा वाराणसी शहर को देश की सबसे खूबसूरत जगह बनता है।
दशाश्वमेध घाट
वाराणसी में गंगा नदी पर मुख्य घाट दशाश्वमेध घाट यहां का एक बहुत ही खास स्थान है जो अपनी आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है। इस स्थान के बारे कहा जाता है कि इस जगह पर भगवान ब्रह्मा ने दसा अश्वमेध यज्ञ किया था, जिसमे उन्होंने 10 घोड़ों की बलि दी थी। दशाश्वमेध का नाम वाराणसी के पर्यटन स्थलों की लिस्ट में सबसे ऊपर आता है, क्योंकि यह एक बहुत ही आकर्षक धार्मिक स्थल है जहाँ पर कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। हर दिन शाम को इस घाट पर आयोजित गंगा आरती सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। गंगाजी की इस आरती को देखना अपने आप में एक बहुत ही खास अनुभव है जिसको हम शब्दों में नहीं बता सकते। जब भी आप वाराणसी की यात्रा करने जायें तो दशाश्वमेध घाट जरुर देखने जाये।
तुलसी मानसा मंदिर
तुलसी मानसा मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1964 किया गया था जो भगवान राम को समर्पित है। बता दें कि इस मंदिर का नाम संत कवि तुलसी दास के नाम पर पर रखा गया है। बताया जाता है कि यह वो स्थान है जहां पर तुलसीदास ने हिंदी भाषा की अवधी बोली में हिंदू महाकाव्य रामायण लिखी थी। मंदिर में सावन के महीनों (जुलाई – अगस्त) में कठपुतलियों का एक विशेष प्रदर्शन होता है जो रामायण से संबंधित है। अगर आप एक मजेदार अनुभव का आनंद लेना चाहते हैं
सारनाथ मंदिर
सारनाथ भारत में प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। वाराणसी के आस-पास घूमने वाली जगहों में यह एक बेहद खास स्थान है। काशी के घाटों और गलियों में घूमने के बाद आप इस जगह आकर एकांत में शांति का अनुभव कर सकते हैं। माना जाता है कि बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने भगवान बुद्ध अपने पूर्व साथियों की तलाश में सारनाथ आये थे और उन्होंने यहां अपना पहला उपदेश दिया था। सारनाथ के लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों में चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, मूलगंध कुटी विहार, चीनी, थाई मंदिर और मठ शामिल हैं।