84 घाटो की नगरी वाराणसी शिव के त्रिशूल पर स्थित

Tripoto
2nd Mar 2022
Photo of 84 घाटो की नगरी वाराणसी शिव के त्रिशूल पर स्थित by Bansal Chandresh
Day 1

Har Har Mahadev 🔱❤️🙏

Incredible India। इसको ऐसे ही नहीं कहा जाता क्योंकि हमारे देश मे ऐसे बहुत सारे जगह है जो इसको  Incredible बनाते हैं आज में आपको वाराणसी में 84 घाट के बारे में बताने जा रहा हूं । काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी जो की भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है इस लिए भगवान शिव को इस नगरी से प्यार है

कैसे पहुंचे और कहा रुकें?
वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यह वाराणसी से 30 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी और सारनाथ रेलवे स्टेशन है, जो सभी प्रमुख शहरों से जुड़े हुए हैं। वाराणसी से सारनाथ तक नियमित बसें हैं। उत्तर प्रदेश के सभी बड़े शहरों से सड़क के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं। अगर यहां रुकने की बात की जाए तो यहां हर बजट के होटल मिल जाते हैं
काशी विश्वनाथ मंदिर 
बनारस का सबसे प्रमुख मंदिर है काशी विश्वनाथ। इसके दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। भगवान शिव की 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक यहां विद्यमान है। काशी विश्वनाथ में की जाने वाली आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। अगर आप भी बनारस जाने की सोच रहे हैं तो भोलेनाथ के इस मंदिर में दर्शन  जरुर करें और एक सबसे खास बात, वह ये कि इसके बाद काल भैरव बाबा के दर्शन जरुर  करें। ऐसा कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद अगर काशी के कोतवाल के दर्शन नहीं किए तो पूजा अधूरी रह जाती है। यह पर मां अन्नपूर्णा का भी मंदिर है जहां से शिव ने माता अन्नपूर्णा से विक्षा मांगी थी आज भी मां अन्नपूर्णा का भंडार अपने भक्तों के लिए भरा पड़ा है जहा पर आज भी साउथ इंडियन लोगो के द्वारा लोगो को भोजन कराया जाता है उस भोजन को खाने के बाद मन को शान्ति मिलती है और ऐसा भोजन किसी भी 5⭐ होटल में नही होगा मेरा ये दावा है क्योंकि हम लोग अपनी उंगलियों को चाटते रहे
भारत में जिस तरह मंदिरों का महत्व है ठीक उसी प्रकार यहां की नदियां भी काफी पूज्यनीय है। इसमें सबसे प्रमुख है गंगा नदी। जिस तरह मंदिरों में आरती का आयोजन किया जाता है, ठीक उसी प्रक्रार गंगा की भी आरती की जाती है। श्रद्धालु गंगा आरती के भव्य आयोजन का हिस्सा बनने दूर दूर से आते हैं। यहां हम आपको ये भी बता दें कि केवल वाराणसी में ही गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती है। यहां 4 मील तक तट पर लगभग 84 घाट हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण पांच घाटों में आशीष घाट ,दसाहश्वम घाट , आदिकेशव घाट , पंचगंगा घाट और मणिकर्णिका  घाट  को 'पंचतीर्थ' है। शाम के समय में जो आरती होती है उसका नजारा देखते ही बनता है

Photo of वाराणसी by Bansal Chandresh
Photo of वाराणसी by Bansal Chandresh
Photo of वाराणसी by Bansal Chandresh
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मणिकर्णिका घाट का महत्व सबसे ज्यादा क्यो।
84घाटो में सबसे ज्यादा महत्व 5 घाटो की है ।लेकिन सबसे ज्यादा महत्व मणिकर्णिका घाट का क्यों है। इसका कारण है यहां पर मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है और जहां पर जिस मृत शरीर का संस्कार होता है उस इंसान की आत्मा की मोक्ष प्राप्त हो है इस लिए जहा पर 24 घंटे मृत शरीर का संस्कार किया जाता हैं और एक दिन में आप गिनती नहीं कर सकते की कितने लोगों के मृत शरीर जहा पर लाए गए है । इसलिए इस घाट को सभी घाट से यादा महत्व दिया गया है।
वैसे तो सभी घाटो एक साथ घूम नही जा सकता इसके लिए आप एक नाव हायर कर  गंगा किनारे के सभी घाटो को घूम सकते है गंगा नदी में जब नाव चलती है तो बहुत ही अच्छा महसूस होता है मानो मन को शांति मिल रही हो। आप गंगा के दूसरी ओर किनारे पर रुक कर गंगा स्नान भी कर सकते है जिसे आप के सारे पापा मिट जाते हैं।  वाराणसी में आप बहुत सारी जगह पर घूम सकते है जैसे, भारत माता मंदिर, काशी विश्वनाथ विश्वविद्यालय, रामनगर का किला,

Photo of 84 घाटो की नगरी वाराणसी शिव के त्रिशूल पर स्थित by Bansal Chandresh
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में आशा करता हूं कि आप लोग एक बार काशी विश्वनाथ वाराणसी जरूर जायेगे
हर हर महादेव
Thanks 🙏