वाराणसी यानी बनारस यानी दुनिया का सबसे प्राचीन और जीवंत शहर

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Photo of वाराणसी यानी बनारस यानी दुनिया का सबसे प्राचीन और जीवंत शहर by Hitendra Gupta

वरुना और असि नदी के संगम पर बसा शहर वाराणसी... यानी बनारस... यानी वह शहर जहां जीवन में हर वक्त रस बना रहता है। जीवन मस्त रहता है। गंगा किनारे स्थित बाबा भोलेनाथ ही यह नगरी दुनिया भर में काशी नाम से भी विख्यात है। लोग यहां पवित्र गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां डुबकी लगाने से सारे पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही यहां मृत्यु प्राप्त होने और अंतिम संस्कार होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Photo of Dashashwamedh Ghat, Dashashwamedh Ghat Road, Ghats of Varanasi, Godowlia, Varanasi, Uttar Pradesh, India by Hitendra Gupta

वाराणसी हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए भी एक प्रमुख केंद्र रहा है। यह प्राचीन काल से ही शिक्षा, धर्म, दर्शन, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, गीत-संगीत, कला-साहित्य और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। वाराणसी के ही पास सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। इसके साथ ही यह चार जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है।

कहावत में सुबह-ए-बनारस और शाम-ए-अवध कहा गया है। यानी अगर वाराणसी की खूबसूरती को देखना है तो यहां के सुबह को देखिए। सुबह उठकर गंगा किनारे जाइए और सूर्य को उगते हुए देखिए। इस अद्भुत दृश्य को देखकर आपको एक अलग ही अनुभव होगा। सुबह-सुबह गंगा स्नान कर मंदिर में दर्शन करने जाते समय सारा माहौल भक्तिमय रहता है। पूरा इलाका शंखनाद, घंटियों की ध्वनि और मंत्रो के उच्चारण से गूंजायमान रहता है।

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वाराणसी को घाटों का शहर भी कहा जाता है। यहां करीब 84 घाट हैं। बताया जाता है कि वाराणसी अकेला शहर है जहां इतने घाट हैं। इन घाटों में दशाश्वमेध घाट सबसे प्रसिद्ध घाट है। बताया जाता है कि यहां पर भगवान ब्रह्मा ने दस अश्वों की बलि दी थी। यहां हर शाम गंगा आरती होती है और यह घाट गंगा आरती के लिए सबसे लोकप्रिय है। यह घाट बाबा विश्वनाथ मंदिर के पास है। आप यहां स्नान कर बाबा के दर्शन के लिए जा सकते हैं।

दशाश्वमेध घाट के बाद मणिकर्णिका घाट सबसे प्रसिद्ध है। यहां लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। यहां सालों भर चौबीसों घंटे चिता चलती रहती हैं। यह दशाश्वमेध घाट और सिंधिया घाट के बीच है। अंत्येष्टि किए एक और घाट है हरीशचंद्र घाट। यह काशी का सबसे प्राचीन घाट है। इसका नाम राजा हरीशचंद्र के नाम पर रखा गया है। घाटों के आखिर में अस्सी घाट स्थित है। यहां पर गंगा का अस्सी नदी से संगम होता है।

यहां आने वाले लोग या पर्यटक गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद नौका विहार जरूर करते हैं। नाव से आप वाराणसी के सभी घाटों को देख सकते हैं। इस दौरान तरह-तरह के घाटों को देखकर दंग रह जाएंगे। गंगा किनारे घाट पर कई लोग योग तो कई संगीत का रियाज करते मिल जाएंगे। और शाम में तो गंगा आरती के समय दीपों से चमचमाते घाटों के देख सकते हैं।

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नाव से आप गंगा किनारे विहार करते हुए एक मिनी भारत का दर्शन कर सकते हैं। यहां आपको सभी रंग देखने को मिल जाएंगे। सुबह स्नान के साथ जीवन की शुरुआत से लेकर अंतिम संस्कार तक सभी चक्र यहीं देखने को मिल जाते हैं। जीवन-मरण के सारे तत्व, सारे रंग एक साथ देखकर आप मानव जीवन के सही मायने को समझने की कोशिश करने लगते हैं।

विश्वनाथ मंदिर

वाराणसी में गंगा स्नान के बाद सभी हिंदू श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ मंदिर जरूर जाते हैं। इस काशी विश्वनाथ मंदिर के ऊपर सोने की परत चढ़ी हुई है। यह हिंदू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। इस लिए हिंदू धर्म में काशी विश्वनाथ मंदिर का विशेष महत्व है। इस मंदिर के दिव्य दर्शन मात्र से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। इसके पास ही अन्नपूर्णा मंदिर, दुंडीराज विनायक और ज्ञानवापी हैं।

Photo of Kashi Vishwanath temple, Varanasi - Bhadohi Road, Chauri Bazar, Lachhapur, Uttar Pradesh, India by Hitendra Gupta

काल भैरव मंदिर

भगवान काल भैरव को काशी का कोतवाल यानी वाराणसी का रक्षक माना जाता है। बनारस आने वाले श्रद्धालु पहले भगवान काल भैरव का दर्शन करते हैं फिर उनसे अनुमति लेकर शहर में स्थित अन्य स्थानों का दर्शन करने जाते हैं। यहां तक ही यहां आने वाले अधिकारी भी कुर्सी पर बैठने से पहले काल भैरव की इजाजत लेते हैं।

तुलसी मानस मंदिर

बताया जाता है कि रामचरितमानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास की याद में इस तुलसी मानस मंदिर का निर्माण किया गया है। संगमरमर से बना यह मंदिर काफी सुंदर है। इसकी दीवारों पर रामचरितमानस के छंद और दृश्य उकेरे गए हैं। लोगों का कहना है कि वाराणसी में 20 हजार से भी अधिक मंदिर हैं।

संकट मोचन मंदिर

यह मंदिर संकट मोचन भगवान हनुमान को समर्पित है। नौका विहार के बाद यहां आकर आप बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जा सकते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर को गोस्वामी तुलसीदास ने स्थापित किया था और यहां महावीर हनुमान भगवान के दर्शन मात्र से से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। यहां मंगलवार और शनिवार को काफी भीड़ रहती है।

सभी फोटो- अतुल्य भारत यूपी टूरिज्म

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वाराणसी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र है। यहां चार बड़े विश्वविद्यालय बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में एक है। करीब 1,300 एकड़ में फैले इस विश्वविद्यालय को साल 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनाया था

बीएचयू देश के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है। यहां 30 हजार से अधिक छात्र रहते हैं। बीएचयू में बिरला मंदिर भी है। यहां भारत कला भवन संग्रहालय भी है। बनारस आने लोग यहां भी घूमने जरूर आते हैं। बीएचयू के पास महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में स्थित है भारत माता मंदिर। यहां भारत माता की आराधना की जाती है।

वाराणसी आने पर आप भेलूपुर में पार्श्वनाथ जैन मंदिर भी जा सकते हैं। यह जैन धर्म के लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। आप यहां से 10 किलोमीटर दूर बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थस्थल सारनाथ देखने जा सकते हैं। इसके साथ आप गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर रामनगर किला भी जा सकते हैं।

काशी-बनारस आने वाले लोग यहां सुबह में कचौड़ी सब्जी के साथ शाम में चाट खाना नहीं भूलते हैं। यहां का बनारसी पान तो पूरी दुनिया में फेमस है ही। लोग यहां दिन में गाढ़ी मलाई वाली लस्सी पीकर मस्त हो जाते हैं। यहां के लोग मीठा भी काफी पसंद करते हैं। इसलिए खाने के बाद कोई ना कोई मिठाई जरूर लेते हैं।

वाराणसी बनारसी साड़ी का भी एक प्रमुख केंद्र है। यहां आने वाले पर्यटक कम से कम एक बनारसी साड़ी जरूर ले जाते हैं। इसके अलावा वाराणसी पीतल, तांबे के बर्तनों, लकड़ी के खिलौनों और सोने के गहनों के लिए भी प्रसिद्ध है। खरीदारी के लिए गोदौलिया मार्केट, चौक, विश्वनाथ गली और ठठेरा मार्केट काफी लोकप्रिय है।

-हितेन्द्र गुप्ता

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