यात्रा वृतांत Day -4 (7 मई 2018 की रात )

Tripoto
Photo of यात्रा वृतांत Day -4 (7 मई 2018 की रात ) 1/3 by Parag Dubey
Photo of यात्रा वृतांत Day -4 (7 मई 2018 की रात ) 2/3 by Parag Dubey
Photo of यात्रा वृतांत Day -4 (7 मई 2018 की रात ) 3/3 by Parag Dubey

पहाड़ो की तराई के बीच नदी के पास तम्बू में रात भी कम रोमांचक नहीं रही, रात जल्दी ही DJ वाले बाबु आ गए ,कैम्प फ़ायर के आस पास बैठ गर्मागर्म स्नैक्स का आनंद लेते हुए कब रात के 12 बजे पता ही नहीं चला , बिजली और मोबाइल दोनों से दूर प्रकृति के करीब,12 बजते ही कुछ लोगो के कॉल आये,मुझे जन्मदिन की शुभकामनाये दी साथ ही उत्तरभारत के आये हुए तूफान की विकरालता बताते हुए संभल कर रहने कि हिदायत भी मिली |

थोड़ी देर बाद हवाओ में तेज़ी और ठंडक आई और तेज़ी से मौसम ने करवट ले ली,हमने समय रहते अपना सामन अटोब कर रख लिया था ताकि जरुरत पड़ने पर तेज़ी से निकला जा सके | अचानक बहुत तेज़ हवा चलने लगी और तूफान ने दस्तक दे ही दी | पास ही बह रही नदी की आवाज़ तेज़ हो गई थी, हमने तुरंत हमारा तम्बू छोड़ा और नदी से दूर सामने की तरफ वाले तम्बू में आ गए, ताकि जरुरत पड़ने पर तुरंत कार में बैठ निकला जा सके | उस तम्बू में जैसे तैसे सबके सोने की व्यस्था की और इसी बीच हलकी बारिश आने लगी|

बची हुए रात तो बस हवाओ कि बहुत तेज़ आवाज़ में ही गुजरी,सुबह तक मौसम आपेक्षाकृत शांत हो गया था,एक हल्का सा तूफान आकर गुजरा | बड़ी रोमांचक रात रही जो हमेशा हम सभी को याद रहने वाली थी |

सुबह होने पर उस जगह की असली खूबसूरती पता चली | जो जीवन हम शहरो में जीते है, उससे बिलकुल ही उलट संघर्षो से भरपूर पर सुकून वाली जीवनचर्या थी वहां | फोटो प्रेमी जनता ने बहुत से फोटो क्लिक किये उस दिन ऋषिकेश में दोपहर बाद High Alert घोषित किया था तो तयशुदा River Rafting का कार्यक्रम स्थगित कर रास्ते का आनंद लेते हुए वापस पहुंचे ऋषिकेश |

लक्ष्मण झूले पर खड़े होकर नीचे देखना रोमांचक कर देता है , वहां का बाजार हरिद्वार से अच्छा लगा, पर दिक्कत यूँ हुई कि सारे रूपये पैसे रखे थे गाडी में और वो बहुत दूर पार्क थी , वहां सिर्फ Cash ही चलता है,Paytm जैसी चीज़ तो लोग जानते ही नहीं 😉 वो तो भला तो एक कैफ़े का उसने PAYTM से पैसे लेने की हामी भरी और वहां भोजन किया , नाम तो याद नहीं पर बहुत ही शांति थी उस कैफ़े में , करीब 2-3 घंटे वही बिताने के बाद हम निकल पड़े देहरादून होते हुए मसूरी की तरफ.

शाम करीब 4 बजे हम पहुंचे सहस्त्रधारा , यह मसूरी की चढ़ाई शुरू होने के पहले ही एक धार्मिक और पर्यटक स्थान है | यहाँ से हम बस मसूरी की रताफ निकले ही थे की मौसम ने रुख बदला, जोरदार बारिश के साथ बड़े बड़े ओले भी पड़ने लगे, मुझे बहुत लोगो ने कहा था की मसूरी की चढाई कठिन है अच्छे अच्छे ड्राइवर्स चकमा खा जाते है और यहाँ तो बारिश और ओले भी !!

खेर जल्दी ही मसूरी पहुच गए सामने एक पहाड़ी पर बर्फ जमा हो गई थी , और ये पैसावसूल दृश्य था | जल्दी ही हम् समझ गए की क्यों मसूरी को Queen of Hills क्यों कहा जाता है | पार्किंग की जगह नहीं के बराबर थी तो बाकि लोग रुकने की व्यस्था में गए और मै पार्किंग की |भीषण ठण्ड के बीच इन्तजार था तो बस होटल की तलाश में गई जनता के वापस आने का ...

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