एक ही जगह पर दूसरी बार जाना कैसा लगता होगा? कुछ जगहों पर आप अपने मन से बार-बार जाते हैं तो कुछ जगहों पर ना चाहते हुए भी आपको जाना पड़ता। मैं घूमते हुए एक ही जगह पर दूसरी बार जाना पसंद नहीं करता हूँ। मैं हाल ही में हिमाचल की एक शानदार जगह पर दूसरी बार पहुँचा। हिमाचल प्रदेश का ये शहर मेरी पसंदीदा जगहों में से एक है। यहाँ आकर ज़िंदगी घीमी लगने लगती है। पहाड़ों के बीच बसे इस शहर का नाम रामपुर बुशहर है।
हुआ कुछ ऐसा कि मेरी हिमाचल प्रदेश की पिछली यात्रा में किन्नौर की कुछ जगहें छूट गईं थी। इस वजह से मैंने उन जगहों पर जाने का प्लान किया। मैंने हिमाचल परिवहन की वेबसाइट से ऑनलाइन दिल्ली से रामपुर बुशहर की टिकट की बुकिंग करा ली। बस के निकलने का समय शाम को 6:30 बजे था इसलिए मैं 6 बजे ही कश्मीर बस अड्डा पहुँच गया। कुछ देर बाद बस अपने ठीक समय पर निकल पड़े। रात के 10 बजे अंबाला से पहले एक होटल पर बस आधा घंटे के लिए रूकी। इसके बाद बस 12 बजे बस चंडीगढ़ और फिर कालका पहुँची। कालका के निकलते ही एक जगह आई, परवानू। यहीं से हिमाचल प्रदेश शुरू हो गया।
रामपुर बुशहर
हिमाचल प्रदेश आते ही बस गोल-गोल घूमना शुरू हो गई। बस 4 बजे शिमला पहुँची। उसके बाद नारकंडा के बाद कुमारसैन नाम की एक जगह पर ढाबे पर रूकी। बस यहाँ आधे घंटे के लिए रूकी। बस ने हमें रामपुर अपने समय से एक घंटे पहले पहुँचा दिया। रामपुर बुशहर में मेरी दूसरी यात्रा थी तो मुझे इस जगह के बारे में अच्छे से पता था। हमने पुराने बस अड्डे के पास एक कमरा ले लिया। कुछ देर आराम किया और फिर निकल पड़े रामपुर बुशहर को देखने के लिए।
एक ही जगह पर जब आप दूसरी बार जाते हो तो उस जगह के बारे में सब कुछ पता तो होता ही है। इसके अलावा वहाँ की गलियाँ, दुकानों और कुछ लोगों को जानते हैं। आपके ज़ेहन में आपकी पुरानी यात्रा चलने लगती है। आप उन जगहों पर जाना चाहते हैं, जहां आप पहली यात्रा में गए थे। मैं भी रामपुर बुशहर की उन जगहों पर जाना चाहता था, जहां मैं पिछली बार गया। सबसे पहले मैंने बाज़ार में चाइनीज़ फ़ूड की दुकान पर थुकपा लिया। मैंने जितनी जगहों पर थुकपा का स्वाद लिया है, सबसे अच्छा थुकपा रामपुर का लगा।
नदी किनारे
रामपुर बुशहर सतलुज नदी के किनारे बसा है। हर पहाड़ी शहर में एक पुल ज़रूर बना होता है, ख़ासकर जहां नदी होती है। रामपुर बुशहर में भी एक ऐसा ही पुल है। जब आप इस पुल पर खड़े होते हैं तो दोनों तरफ़ आपको प्रकृति का सुंदर नज़ारा देखने को मिलता है। पुल को पार करते हुए हम नदी किनारे पहुँच गए। यहाँ पहुँचने पर हमें नदी के बहने की आवाज़ आई। यहाँ ना गाड़ियों का शोर और ना ही लोगों की भीड़ थी। कुछ देर में हल्की-हल्की बारिश होने लगी लेकिन हमारी क़िस्मत अच्छी थी इसलिए बारिश नहीं हुई।
रामपुर बुशहर ऐसा शहर है, जहां टहलने का अपना एक अलग मज़ा है। रामपुर बुशहर पहले बुशहर राजवंश की रियासत हुआ करता था। यहाँ पर राजा का महल भी है जिसे अब हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है। इस पुराने शहर में आपको आधुनिकता भी देखने को मिलेगी। रामपुर बुशहर में हमें घूमने वाला कोई नहीं मिला। यहाँ पर लोकल लोग ज़्यादा दिखाई दिए। रामपुर बुशहर ऐसी जगह है, जिसे लोग गेटवे की तरह देखते हैं। यहाँ से रिकांगपिओ, सांगला और चितकुल के लिए बसें मिल जाती हैं। मेरा तो सुझाव यही है कि इस शहर को ज़रूर देखना चाहिए।
मंदिर
रामपुर बुशहर में कुछ प्राचीन मंदिर भी हैं। कुछ मंदिरों को मैंने पिछली यात्रा में देख लिए थे लेकिन कुछ फिर भी रह गए थे। उन्हीं में से एक नरसिंह मंदिर है। नरसिंह मंदिर के बारे में एक किंवदंती है। कहा जाता है कि पहले राजघरानों में यह परंपरा थी कि जब भी किसी राजकुमारी की शादी होती थी तो वो अपने साथ अपने अराध्य देव को ससुराल लाती थी। इस परंपरा के तहत इस मंदिर का निर्माण संवत् 1802 में हुआ था। रामपुर बुशहर की रानी सुकैती रानी सुंदरनगर से अपने साथ नृसिंह देवता को अपने साथ लाईं थी। शिखर शैली में बने इस मंदिर की नक़्क़ाशी देखने लायक़ है।
पुराने बस अड्डे के पास एक छोटा-सा बौद्ध मठ भी है। अगर आप रामपुर बुशहर में हैं तो इस मठ को ज़रूर देखें। मठ वाक़ई में बेहद खूबसूरत है। मठ को देखने के बाद हम रात में भी रामपुर में टहलते रहे। मैंने रामपुर को एक दिन में अपनी पिछली यात्रा की तरह अच्छे से एक्सप्लोर किया। इस शहर को सैलानी कम ही देखते हैं लेकिन इस जगह का अपना एक वातावरण है। यहाँ आपको ज़रूर आना चाहिए। अगले दिन हमें एक नई जगह पर निकलना था।
क्या आपने हिमाचल प्रदेश के रामपुर बुशहर की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।