हिमाचल प्रदेश का नाम लेते ही ज़ेहन में सुंदरता अपने आप आ जाती है। हिमाचल प्रदेश में कहीं भी चले जाओ आपको ख़ूबसूरती की कमी कहीं नहीं मिलेगी लेकिन कुछ जगहें होती हैं जिनकी सुंदरता देखकर आप चकाचौंध हो जाती है। ऐसी जगहों पर आकर आप अपने आपको ख़ुशक़िस्मत समझते हैं। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में ऐसी जगहों की भरमार है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर को अच्छी तरह से कैसे घूमें और बस से किन्नौर की यात्रा कैसे करें? ये पूरी जानकारी हम आपको दे देते हैं।
किन्नौर हिमाचल प्रदेश का एक जिला है जिसे पहले किन्नरों का देश कहा जाता था। किन्नौर पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है और किन्नर कैलाश पर्वत भी आपको यहाँ किन्नौर में देखने को मिलेगा। सतलुज नदी किन्नौर की मुख्य नदी है। स्पीति नदी और बस्पा नदी सतलुज की सहायक नदी हैं। किन्नौर रामपुर बुशहर रियासत का एक अंग था। आज़ादी के बाद 1960 में किन्नौर को हिमाचल प्रदेश का एक जिला बना दिया गया है। रिकांगपिओ किन्नौर का जिला मुख्यालय है।
कैसे करें यात्रा?
हिमाचल प्रदेश के ज़्यादातर इलाक़ों में सड़कें अच्छी हैं। किन्नौर ज़िले में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। किन्नौर हिमाचल प्रदेश के अंदरूनी इलाक़ों में आता है इसलिए यहाँ सड़कों बहुत चौड़ी नहीं है। अगर आपको इन सड़कों पर गाड़ी चलाने का अनुभव नहीं है तब तो आपको समस्या हो सकती है। किन्नौर के ज़्यादातर इलाक़ों में आप बस से पहुँच सकते हैं। अगर आप ख़ुद की गाड़ी से जाना चाहते हैं तो वो भी एक बढ़िया विकल्प है।
दिल्ली से रामपुर बुशहर
दिल्ली से किन्नौर के लिए सीधी बस कम हीं हैं। कुछ बसें हैं जो दिल्ली से किन्नौर पहुँचाती हैं लेकिन मैदानी इलाक़े से पहाड़ी क्षेत्र में 18-20 घंटे की यात्रा से परेशान हो सकते है। आप दिल्ली से रामपुर बुशहर की बस ले लीजिए। रामपुर शिमला से 130 किमी. की दूरी पर है। रामपुर बुशहर शिमला ज़िले में आता है। दिल्ली से रामपुर पहुँचने में आपको 14-15 घंटे का समय लगेगा। रामपुर पहुँचने के बाद आप सबसे पहले एक दिन यहाँ ठहरिए और अपनी थकान मिटाइए। रामपुर बुशहर में थुकपा बेहद लज़ीज़ मिलता है।
रामपुर से सांगला
अगले दिन सुबह 6 एक प्राइवेट बस सांगला जाती है। सांगला किन्नौर ज़िले का एक छोटा-सा गाँव है। रामपुर से सांगला की दूरी लगभग 95 किमी. की दूरी पर है। रामपुर से करचम तक का रास्ता तो बेहद शानदार है लेकिन करचम से एक रास्ता रिकांगपिओ के लिए चला जाता है और एक रास्ता सांगला के लिए। करचम से रास्ता काफ़ी छोटा और काफ़ी ख़तरनाक हो जाता है। रामपुर से सांगला पहुँचने में लगभग 4 घंटे का समय लगता है।
सांगला पहाड़ों से घिरा एक प्यारा सा गाँव है। समुद्र तल से 2,660 मीटर की ऊँचाई पर स्थित सांगला में देखने के लिए काफ़ी कुछ है। यहाँ पर बेहद प्राचीन बेरिंग नाग मंदिर है। इस मंदिर में सभी पारंपरिक उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं। इसके अलावा यहाँ पर कामरु क़िला, कामख्या देवी मंदिर और बद्री विशाल मंदिर भी है। सांगला बास्पा नदी के किनारे बसा है तो आप नदी किनारे जाकर उसका भी लुत्फ़ उठा सकते हैं।
चितकुल
चितकुल भारत-तिब्बत रोड पर भारतीय क्षेत्र में आबादी वाला अंतिम गाँव माना जाता है। सांगला से चितकुल 25 किमी. की दूरी पर है। सांगला से चितकुल जाने के लिए बसें भी चलती हैं। सांगला से 12 बजे एक बस रक्षम होते हुए चितकुल तक जाती है और शाम को 4 बजे एक बस चितकुल से सांगला, रामपुर बुशहर होते हुए चंडीगढ़ जाती है। चितकुल में भारत का अंतिम ढाबा और अंतिम डाकघर भी है। इसके अलावा चितकुल में एक चितकुल माता मंदिर भी है जिसे आप देख सकते हैं। चितकुल की सुंदरता आपका दिल जीत लेगी। सर्दियों में यहाँ खूब बर्फ़ गिरती है और गर्मियों में ये जगह हरियाली से भरपूर रहती है। चितकुल में आपको एक दिन ठहरना भी चाहिए, तभी इस जगह की असली सुंदरता को महसूस कर पाएँगे।
रिकांगपिओ
चितकुल को एक्सप्लोर करने के बाद अब आपको किन्नौर ज़िले के मुख्यालय रिकांगपिओ के लिए निकलना चाहिए। इसके लिए आप सबसे पहले बस से करचम पहुँचिए। करचम में आपको रिकांगपिओ जाने वाली बस मिल जाएगी। रिकांगपिओ समुद्र तल से 2,990 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। रिकांगपिओ में एक प्राचीन चंडिका मंदिर है जिसे आप देख सकते हैं। रिकांगिपओ आबादी वाली जगह है और यहाँ आपको सारी सुविधाएँ भी मिल जाएँगी। रिकांगपिओ से ही काजा के लिए ही सीधी बस चलती है।
कल्पा
रिकांगपिओ से 10 किमी. दूर एक छोटी-सी जगह है, कल्पा। कल्पा समुद्र तल से 2,960 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कल्पा में आकर आपको लगेगा कि किन्नर कैलाश पर्वत आपके बग़ल में खड़ा हो गया हो। यहाँ से किन्नर कैलाश पर्वत का नजारा देखने को मिलता है। कल्पा में आप रोघी सुसाइड प्वाइंट, कल्पा मोनेस्ट्री और नारायण नागिनी मंदिर को देख सकते हैं। इसके अलावा सड़क किनारे सेब के बाग़ान देखने को मिलेंगे जो एक अलग ही नज़ारा होता है। कल्पा को एक्सप्लोर करने के बाद आप वापस रिकांगपिओ आ जाइए।
नाको
नाको किन्नौर ज़िले का आख़िरी गाँव है। इसके बाद स्पीति जिला शुरू हो जाता है। रिकांगपिओ से नाको की दूरी लगभग 100 किमी. है। पिओ से सुबह 6 बजे काजा के लिए एक बस जाती है। वही बस आपको रास्ते में नाको उतार देगी। नाको गाँव किन्नौर एक बेहद ही प्यारा और छोटा गाँव है। किन्नौर की बाक़ी जगहों पर आपको हरियाली देखने को मिलेगी लेकिन यहाँ पर आपको बंजर पहाड़ देखने को मिलेंगे। नाको आपको एक अलग प्रकार से किन्नौर की सुंदरता की दीदार करवाता है। नाको में आपको बेहद साफ़ नाको लेक को देख सकते हैं। इसके अलावा आप नाको गोंपा और मोनेस्ट्री को भी ज़रूर देखें। मेरी सुझाव तो यही रहेगा कि नाकों में रूकें और यहाँ का सूर्यास्त व सूर्योदय ज़रूर देखें।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर की यात्रा में ये जगह प्रमुख हैं। इन जगहों को एक्सप्लोर किए बिना आपको किन्नौर की यात्रा अधूरी ही रहेगी। किन्नौर की इन जगहों पर HRTC की बसें रोज़ाना चलती हैं। इसके अलावा आप अपनी गाड़ी से भी किन्नौर की यात्रा कर सकते हैं। हालाँकि पहाड़ों में गाड़ी चलाना कठिन होता है लेकिन बड़ी संख्या में लोग इन सड़कों पर गाड़ी चलाते हैं। आपको एक बार बसों से किन्नौर की यात्रा ज़रूर करनी चाहिए।
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