पहाड़ पर घूमना हर किसी को पसंद होता है। यहाँ की सुंदर व वादियां और मनमोहक दृश्य बेहद अद्भुत होते हैं। इन्हीं पहाड़ों पर बसा है किन्नौर। किन्नौर हिमाचल प्रदेश की सबसे सुंदर जगहों में से एक है। किन्नौर के शानदार पर्यटनों की बात की जाए तो सबसे ऊपर सांगला का ज़िक्र आता है। खूबसूरत पहाड़ों से घिरे सांगला जैसी सुंदर जगह शायद आपने पहले कभी नहीं देखी होगा, मैंने तो नहीं देखी। हिमाचल प्रदेश में अगर कहीं जानता है तो इसी छोटी-सी जगह पर है।
रामपुर बुशहर को एक्सप्लोर करने के बाद अगले दिन-दिन सुबह-सुबह उठकर पुराना बस अड्डे पर पहुँच गए। मैंने सोचा कि रिकॉन्गपिओ जाने वाली बस में बैठ जाऊँगा और करचम में उतरकर सांगला जाने वाली बस को पकड़ लूँगा। यहाँ पिओ जाने वाली बस पहले से खड़ी थी, उसी में हम चढ़ गया। बस हमें रामपुर बुशहर के बस स्टैंड ले गई। यहाँ आकर पता चला कि सुबह 6 नड्डा प्राइवेट बस डायरेक्ट सांगला के लिए चलती है। हमने अपना सामान उठाया और उस प्राइवेट बस में बैठ गए। थोड़ी देर बाद बस रामपुर से निकल पड़ी।
पहाड़ ही पहाड़
हम पूरी तरह से पहाड़ी इलाक़े में थे। बस अपनी स्पीड से दौड़ती जा रही थी। चारों तरफ़ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ दिखाई दे रहे थे। सुबह-सुबह ठंड भी लग रही थी इसलिए पूरी बस में शीशे बंद थे। रास्ते में लोग उतर रहे थे और चढ़ रहे थे। लगभग 1 घंटे बाद बस ज्यूरी पहुँची। यहाँ पर एक छोटे-से ढाबे पर हमने पराँठा खाया। पहाड़ों पर पराठों का स्वाद एकदम लज़ीज़ होता है। कुछ देर में बस फिर से पहाड़ी रास्तों पर दौड़ पड़ी।
रामपुर बुशहर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के शिमला ज़िले में आता है। कुछ देर बाद एक बड़ा-सा किन्नौरी गेट आया। यहाँ से किन्नौर जिला शुरू हो गया। किन्नौर घाटी शुरू होते ही पहाड़ और भी ज़्यादा खूबसूरत नज़र आने लगे। कुछ देर बाद किन्नौर की वो रोड आई, जिसे काटकर रोड को बनाया गया है जो सैलानियों के बीच काफ़ी फ़ेमस है। ऐसी ही शानदार रास्तों से गुजरते हुए हम कब करचम पहुँच गए, पता ही नहीं चला।
करचम
करचम से एक सीधा रास्ता जाता है जो रिकांगपिओ, कल्पा, नाको और काजा के लिए जाता है। वहीं करचम से रास्ता दायीं तरफ़ मुड़ जाता है जो सांगला, रच्छम और चितकुल के लिए जाता है। करचम में करचम-वांग्तू डैम है। हमारी बस सांगला वाले रास्ते पर चल पड़ी। अभी तक बस चौड़े रास्ते पर चल रही थी लेकिन अचानक से संकरे और ख़तरनाक रास्ते पर बस बढ़ने लगी। सांगला जाने वाला रास्ता इतना पतला है कि सामने से कोई गाड़ी आती तो निकलने में काफ़ी परेशानी होती। ऐसी ही रास्तों पर चलते हुए हम आख़िरकार सांगला पहुँच गए।
सबसे पहले सांगला में एक कमरा खोजना था जिसमें हम ठहर सकें। हम बाज़ार से ऊपर की ओर चल पड़े। कुछ देर बाद हमें अपने बजट में एक अच्छा कमरा मिल गया। अब बस हमें सांगला को एक्सप्लोर करना था। रामपुर बुशहर से सांगला लगभग 94 किमी. की दूरी पर है। सांगला किन्नौर ज़िले में बास्पा घाटी में स्थित एक सुंदर जगह है। सांगला इस घाटी की सबसे बड़ी जगह में से एक है। सांगला समुद्र तल से 8,900 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है और तिब्बती बॉर्डर पर स्थित है।
सांगला
सांगला में घूमने की कई सारी जगहें हैं जिनमें सबसे ज़्यादा लोकप्रिय बेरिंग नाग मंदिर है। हमारे होटल से बेरिंग नाग मंदिर पास में ही था तो हम उसी तरफ़ चल पड़े। कुछ ही देर में हम बेरिंग नाग मंदिर पहुँच गए। बेरिंग नाग मंदिर की वास्तुकला बेहद दर्शनीय है और देखने लायक़ है। ये मंदिर हिन्दुओं के पवित्र मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान जगस को समर्पित है। सांगला घूमने के लिए जाते हैं तो इस मंदिर को देखना बिल्कुल भी ना भूलें। मंदिर का परिसार काफ़ी बड़ा है। मंदिर के मुख्य भवन के अंदर जाना मना है।
बास्पा नदी
सांगला से बास्पा नदी गुजरती है। पहाड़ों के बीच नदी का होना और भी शानदार है। हम मंदिर के रास्ते ही नदी के तरफ़ चल पड़े। हरे-भरे जंगल से गुजरकर आख़िरकार हम नदी किनारे पहुँच गए। नदी किनारे का जो दृश्य मैंने देखा वो वाक़ई में देखने लायक़ है। ये जगह फ़ोटोग्राफ़ी के लिए एकदम आदर्श जगह है। फ़ोटोग्राफ़ी के साथ-साथ यहाँ पर मछली पकड़ना, ट्रेकिंग और कैंपिंग जैसे साहसिक कार्य किए जा सकते हैं। आप शहर की भीड़ भाड़ से दूर किसी शांति और सुकून वाली जगहों पर जा सकते हैं।
कामरू क़िला
अगले दिन सुबह-सुबह मैं कामरू क़िला को देखने के लिए निकल पड़ा। कामरू क़िला सांगला बाज़ार से लगभग 1 किमी. दूर कामरू गाँव में स्थित है। मैं पैदल-पैदल ही इस क़िले को देखने के लिए निकल पड़ा। क़िले से पहले बद्री विशाल मंदिर पड़ता है। मंदिर की वास्तुकला और बनावट बेरिंग नाग मंदिर जैसी ही है। मंदिर के अंदर से ही कामरू क़िला की ओर रास्ता जाता है। कुछ सीढ़ियों को चढ़ने के बाद हम कामरू क़िला पहुँच गए।
कामरू पहले बुशहर रियासत की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ पर राजाओं का राजतिलक होता था। बाद में राजधानी को यहाँ से हटाकर रामपुर ले जाया गया। कामरू क़िले के अंदर होमगार्डों की तैनाती की गई है। क़िले के अंदर प्रवेश करने के लिए टोपी और कमर में एक कपड़ा बांधकर जाना पड़ता है। क़िले के अंदर कामाख्या देवी का मंदिर है। इसके अलावा क़िले की जो मुख्य इमारत है उसे आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। सिर्फ़ मंदिर कमेटी के लोग ही पूजा करने के लिए यहाँ जा सकते हैं। कामरू से बर्फ़ से ढँके पहाड़ और सुंदर दिखाई देते हैं।
कुछ देर यहाँ ठहरकर हम वापस सांगला लौट आए। सांगला ऐसी जगह है, जहां कुछ दिन ठहरने का मन करेगा। बर्फ़ के पहाड़ों से घिरी ये छोटी जगह घूमने वालों के लिए एक शानदार तोहफ़ा है। मेरी किन्नौर की यात्रा शुरू हो चुकी है। सांगला के बाद कुछ और शानदार जगहों को एक्सप्लोर करना था।
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