फिर शुरू होगा रोमांच का सफ़र, 59 साल बाद दोबारा खुलेगी गरतांग गली

Tripoto

बात बरसों पुरानी है, भारत और तिब्बत के बीच व्यापार को लेकर गरतांग गली का निर्माण किया गया था। पेशावर से आए हुए पठानों ने 150 साल पहले इस पुल का निर्माण किया था। 11 हज़ार फ़ीट की ऊँचाई पर उत्तरकाशी में नेलांग घाटी से होता हुआ ये रास्ता तिब्बत जाता था। व्यापार के लिए बना हुआ ये रास्ता पर्यटकों का भी टूरिस्ट स्पॉट हुआ करता था।

नेलांग घाटी पर बने इस रास्ते को उस ज़माने में लोहे की रॉड के ऊपर लकड़ियाँ बिछाकर तैयार किया गया था। उस दौरान इस रास्ते से ऊन, नमक, सूती कपड़े और दूसरी चीज़ें पहुँचाई जाती थीं। इस रास्ते पर व्यापार के साथ ही यह रास्ता रोमांच के दिलकश नज़ारों से भी लबरेज़ था। पर्यटक उस ज़माने में भी इस नज़ारे को देखने के लिए आते थे।

लेकिन जब से चीन ने इस इलाक़े में दस्तक देना शुरू किया, तो 1962 के युद्ध के समय ही इस रास्ते को बन्द कर दिया गया था। आज 59 साल बाद इस रास्ते को पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिया गया है।

भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ने वाले रास्ते में गरतांग गली आती है। उत्तरकाशी ज़िले की नेलांग घाटी चीन की सीमा से सटी है।

यहाँ पर भारतीय सेना की ढेर सारी चौकियाँ हैं और सुरक्षा के मामले से यह अभी भी बेहद महत्त्वपूर्ण चौकियों में से एक है।

अभी क्या क्या हैं सावधानियाँ

2015 में गृह मंत्रालय की ओर से इस रास्ते को फिर से खोलने का आदेश दिया गया था। कोरोना के कारण यह रास्ता फिर से अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया। इस दौरान इस रास्ते के सुधार का काम शुरू किया गया जो पिछले महीने जुलाई महीने में ख़त्म हुआ। अब पर्यटक फिर से इस रास्ते को घूमने के लिए आने लगे हैं।

Photo of फिर शुरू होगा रोमांच का सफ़र, 59 साल बाद दोबारा खुलेगी गरतांग गली 1/1 by Manglam Bhaarat

कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना Telegram पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।