गंगोत्री धाम घूमने के बाद शाम को ही हमने गर्तांग गली और हरसिल के लिए गाड़ी का पता किया जिसमें हमें पता चला कि यहां से शेयरिंग में कोई भी गाड़ी उपलब्ध नहीं है हमें गाड़ी बुक ही करनी पड़ेगी प्राया यहां पर बुलेरो ही उपलब्ध होती है बुकिंग के लिए भी हम उत्तरकाशी से जिस गाड़ी में आए थे भैया से बात की तो उन्होंने बोला जिनका पहले नंबर होगा वही बुकिंग लेगा जिनका पहले नंबर था उनसे पता किया तो उन्होंने हमें घर तान गली हरसिल और भी कुछ जगह घुमाने और उत्तरकाशी छोड़ने के लिए ₹5000 में बुक करने की बात की गाड़ी वाले भैया से थोड़ा बहुत मोलभाव कर हमने 4500₹ में गाड़ी बुक कर ली
गाड़ी वाले भैया को ₹500 एडवांस देकर सुबह 7:00 बजे निकलने के लिए बोल कर हम हमारे रूम पर जाकर सो गए क्योंकि घर तान गली के खुलने का समय 9:00 बजे का है और गंगोत्री से गतांग गली कुछ ही दूरी पर है
सुबह 5:00 बजे उठकर हम लोग 1 घंटे में तैयार हो गए आधा घंटा चाय नाश्ता करने के बाद हम 6:30 बजे गाड़ी वाले भैया के पास में पहुंच चुके थे उन्होंने उनकी गाड़ी साफ की और थोड़ी ही देर में हम निकल पड़े गतांग गली के लिए गाड़ी वाले भैया ने बोला था कि अभी इतने समय तो गर्तांग गली नहीं खुलेगी लगभग 9:00 के करीब बर्तन गली खुलने का समय है
गर्तांग गली की दूरी गंगोत्री धाम से 10 से 11 किलोमीटर की है जो कि हम 20 मिनट में धीरे-धीरे पहुंच चुके थे वहां जाकर देखा तो अभी खोलने में काफी समय था लगभग एक डेढ़ घंटे का गर्दन गली के पास में ही एक छोटी सी चाय की दुकान है हमने गाड़ी वहां खड़ी करके दोबारा चाय पी और वही वह हसीन वादियों का आनंद लेने लग गए आसपास हरे-भरे पहाड़ और पेड़ पौधे गाड़ी वाले भैया ने हमें बताया कि जब भैरव घाटी वाला पुल नहीं बना था उसके पहले लकड़ी का एक ब्रिज था जिससे गंगोत्री धाम और उससे आगे गोमुख के लिए उस ब्रिज से होते हुए जाते थे
गर्दन गली आर्मी के कंट्रोल में है भैरव घाटी पर जो आर्मी का कैंप है वहीं से दो आर्मी वाले लगभग 9:30 बजे गर्तांग गली के गेट पर पहुंचते हैं गर्तांग गली में एंट्री के लिए भारतीय लोगों को 150₹ और फॉरेन और लोगों को शायद ₹500 लगते हैं जैसे ही आर्मी वाले वहां पहुंचे हमने हम लोगों के लिए एंट्री पास ले लिए और आर्मी वाले ने हमें बताया कि साथ में पानी की बोतल ले जाना बहुत जरूरी है क्योंकि अंदर खाने पीने की कोई भी व्यवस्था नहीं है और काफी उतार-चढ़ाव है जिससे आपको पानी काफी हेल्प करेगा थकान कम होगी
आर्मी वाले के दिशा निर्देश के हिसाब से हमने हम लोगों के लिए एंट्री पास लिए और पानी की बोतल साथ में रखी आप चाहे तो वहां से पानी भी भर सकते हैं नल की व्यवस्था है या तो आप सामने वाली कैंटीन से अपने लिए पानी की बोतल खरीद सकते हैं पानी रखने के बाद हम निकल गए अपनी मंजिल ओर जैसे ही हमने गर्तांग गली की यात्रा शुरू की एनर्जी तो बहुत ही लेकिन धीरे-धीरे जैसे आगे बढ़ते गए एनर्जी हम लोगों की कम होती गई सामने वाली पहाड़ी पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था और जो सामने वाली पहाड़ी से जो रास्ता जाता है वह नीलम वैली के लिए जाता है उस रास्ते पर हम लोग नहीं जा सकते केवल आर्मी वाले ही जा सकते हैं हो सकता है परमिशन लेकर हम लोग भी वहां घूम कर आ सकते हो मुझे उसके बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं हैं गर्तांग गली गली के बारे में कहा जाता है कि यहां से पहले तिब्बत से सीधा व्यापार होता था या रास्ता सीधे तिब्बत के लिए निकल जाता है पुराने समय में यहां से पैदल ही व्यापार किया जाता था
लगभग 40 से 45 मिनट चलने के बाद हम पहुंच चुके थे गर्तांग गली के उस जगह पर जहां से लकड़ी का ब्रिज नजर आने लगता है सारी थकान दूर हो चुकी थी जैसे ही सामने उस लकड़ी के ब्रिज को देखा यह ब्रिज लकड़ी के सहारे पहाड़ों पर लटका हुआ है और नीचे काफी गहरी खाई है और एक नदी बहती है
इस ब्रिज पर पहुंचकर मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था क्योंकि ऐसी अद्भुत चीज मैंने अपने जीवन में पहली बार देखी थी आर्मी द्वारा इसे रीडिवेलप कर फिर से पर्यटकों के लिए खोला गया है और यहां पहुंचकर काफी मजा आता है और थोड़ा डर भी लगता है क्योंकि आप लकड़ी का पुल पहाड़ी के सहारे ही लटका हुआ है काफी छोटी रास्ता है और लगभग 200मीटर लंबी है आगे जाकर या रास्ता पूरा खत्म हो जाता है वहां पहुंचकर हमने काफी सारे फोटो खिंचवाई और थोड़ी देर वहीं बैठ कर आराम किया हम लोगों के अलावा वहां पर और दूसरे कोई भी लोग नहीं थे क्योंक ऑफ सीजन चल रहा था
हम लोग गर्तांग गली की यात्रा ढाई घंटे में पूरी करके वापस लंका ब्रिज के पास पहुंच चुके थे जहां से हमें आगे हरसिल के लिए जाना था हरसिल की जानकारी अगले भाग में