होयसल मंदिर कर्नाटक के एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। यह होयसलेश्वर मंदिर हालेबिदु नामक स्थान पर स्थित है। इस होयसलेश्वर मंदिर में हिंदू धर्म के देवता भगवान शिव के प्रतिमा को स्थापित किया गया है। इसके अलावा इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी के दौरान विष्णुवर्धन के शासनकाल के दौरान किया गया था। कर्नाटक में स्थित इस होयसलेश्वर मंदिर के दीवारों पर हिंदू धर्म से जुड़ी कई देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को भी नक्काशा गया है।
मंदिर की वास्तुकला और कहां स्थित है यह मंदिर?
कर्नाटक के हालेबिदु नामक स्थान पर स्थित इस होयसलेश्वर मंदिर की वास्तु कला एवं संरचना बहुत ही पौराणिक एवं आकर्षक तरीके से की गई है। होयसलेश्वर मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर हैं। इस मंदिर के बड़ी परिसर में तकरीबन 250 अलग-अलग देवी देवताओं की प्रतिमाओं को नक्काशा गया है। इस होयसलेश्वर मंदिर के एक भाग में भगवान शंकर की नंदी की भी पर बड़ी प्रतिमा बनी हुई है। पौराणिक नक्काशी वाला यह होयसलेश्वर मंदिर इंटरलॉकिंग तकनीक का उपयोग का अधिकांश भाग को निर्मित किया गया है।
अब यह मंदिर शामिल किए "वर्ल्ड हेरिटेज" की सूची में
होयसल के पवित्र मंदिर समूह’ यूनेस्को की संभावित सूची में अप्रैल, 2014 से ही शामिल थे। भारत ने इसे वर्ष 2022-2023 के लिए विश्व धरोहर के रूप में विचार के लिए नामांकन के रूप में भेजा था। सऊदी अरब के रियाद में विश्व धरोहर सूची के 45वें सत्र में यह फैसला किया गया। बता दें, इससे एक दिन पहले रविवार को यूनेस्को ने पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित किया था। शांतिनिकेतन और होयसल मंदिरों को इस सूची में स्थान मिलने के साथ ही भारत में यूनेस्को (UNESCO) के विश्व धरोहल स्थलों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है।
विश्व धरोहर स्थल बनने के फायदे
यूनेस्को अगर किसी जगह को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित करता है, तो इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि उस स्थल का नाम पूरी दुनिया में चमक जाता है। ऐसी जगह पर्यटन कि लिहाज से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो जाती है। ऐसे में दुनियाभर के लोगों के बीच उस जगह को देखने की उत्सुकता बढ़ती है। ऐसे में वहां पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ती है। पर्यटकों के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को भी फायदा होता है।
किसी स्थान को धरोहर घोषित होने के बाद उसके बचाव और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी काफी बढ़ जाती है। ऐसे में अगर कोई देश गरीब है और अपने अपनी धरोहरों की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो उनके लिए यूनेस्को काम करता है।
कैसे विश्व धरोहर स्थल को चुना जाता है
किसी भी धरोहर को संरक्षित करने के लिए दो संगठनों अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद (ICOMOS) और विश्व संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा आकलन किया जाता है। इसके बाद इसकी सिफारिश विश्व धरोहर समिति से की जाती है। ये समिति वर्ष में एक बार बैठती है और इस बारे में निर्णय लेती है कि किसी नामांकित संपदा को विश्व धरोहर सूची में शामिल करना भी है या नहीं।
कैसे पहुंचें होयसलेश्वर मंदिर?
होयसलेश्वर मंदिर कर्नाटक के हासन जिले में स्थित है, जहाँ का निकटतम हवाईअड्डा मैसूर में स्थित है। होयसलेश्वर मंदिर से मैसूर हवाईअड्डे की दूरी लगभग 150 किमी है। साथ बेंगलुरु का अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा यहाँ से 229 किमी दूर है। रेलमार्ग से भी हासन पहुँचना संभव है। हासन रेलवे जंक्शन कर्नाटक समेत दक्षिण भारत के लगभग सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है। हासन जंक्शन, होयसलेश्वर मंदिर से मात्र 30 किमी दूर है। इसके साथ ही सड़क मार्ग से भी होयसलेश्वर मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 75 पर स्थित हसन, देश के अन्य हिस्सों से सड़क मर्ग से जुड़ा हुआ है। कर्नाटक की राज्य परिवहन की बसों के द्वारा हासन पहुँचना बहुत ही सरल है।