ट्रेन में सफर करना हमेशा ही यादगार और मनोरंजक होता है। इस दौरान हम कई अनजाने लोगो से मिलते है, साथ ही हमें प्राकृतिक सुंदरता का दीदार होता है। भारत एक ऐसा देश है,जहां हम ट्रेन्स के जरिये एक कोने से दूसरे कोने तक आसानी से पहुंच सकते हैं। ट्रेन में सफर करने के दौरान हमे प्राकृतिक सुंदरता का दीदार होता है और साथ ही ट्रेन में हम सभी हंसते गाते हुए अपनी यात्रा को एन्जॉय करते हैं। भारत में ट्रेन यात्रा को किसी भी अन्य यात्रा से कम्पेयर नहीं किया जा सकता है। रेलवे भारत का एक अहम हिस्सा है।
ट्रेनों का उपयोग कर हम आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आ जा सकते हैं। बचपन में हम में से कईयों ने ट्रेन से यात्रा की है, और अब जब भी बढ़े होने के बाद हम ट्रेनों में सफर करते हैं वह बचपन की पुरानी यादें ताजा हो जाती है। भारत के ऐसे डेस्टिनेशन जहां ट्रेन से यात्रा करना सबसे बेस्ट है। क्यों की आपको इन रूट्स पर बर्फ से लदे पहाड़ो से लेकर गुफाएं,जंगल समुंद्र सब कुछ नजर आयेगा साथ ही आपकी यात्रा और भी मनोरम और यादगार हो जाएगी।
कालका से शिमला-
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में नंबर 4 पर शामिल, कालका-शिमला भारत में बहुत कम परिचालन वाली टॉय ट्रेनों में से एक है। यह हरी-भरी पहाड़ियों से होकर गुजरती है और आपको आसपास की सुंदरता के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। 96 किमी का कालका-शिमला मार्ग एक नैरो गेज ट्रेन ट्रैक है जिसमें 103 सुरंग और 850 से अधिक पुल शामिल हैं। कालका-शिमला टॉय ट्रेन में लगभग 5.5 घंटे की यात्रा आपको एक बेहद ही यादगार अनुभव प्रदान करती है।
कोंकण रेलवे (रत्नागिरी-मडगांव-होंनावर-मैंगलोर)-
कोंकण रेलवे आपको प्राकृतिक सुन्दरता का ऐसा नजारा देगी जो शायद ही अपने देखा हो। कोंकण रेलवे सह्याद्री हिमालय से होते हुए पहाड़ो , गुफायों को पर करते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचती है। जब इस रूट से ट्रेन दुधसागर फाल को कोर्स करती है तो वह नजारा देखने लायक होता है।
नीलगिरि माउंटेन रेलवे, तमिलनाडु (मेट्टुपलायम-ऊटी) -
यदि आप नीलगिरि माउंटेन टॉय ट्रेन पर चढ़े हैं, तो यकीनन आपको अपनी सांस रोकनी ही पड़ेगी। यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि एशिया में एक खड़ी ढाल वाला रास्ता है। मेट्टुपलायम से ऊटी जाने वाली ट्रेन का रूट निलिगिरी पहाड़ से होकर गुजरता है। इस दौरान आप यहां के चाय के बागन,पहाड़ और ब्रिज पुल के नजारों को देख सकते हैं। वर्ष 2005 में इस पहाड़ी रेलवे रूट को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में नामंकित किया गया था। आपको बता दें, शाहरुख़ खान की फिल्म 'दिल से' का प्रसिद्ध गाना 'छैय्या छैय्या' इस रूट की ट्रेन की छत पर शूट किया गया था। अगर इसके रूट की बात की जाए तो यह मेट्टुपालयम से होकर कल्लर, अडरले, कुन्नूर, वेलिंगटन से होते हुए केटी व ऊटी जाती है।
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, पश्चिम बंगाल (न्यूजलपाईगुड़ी-दार्जलिंग) -
यह सबसे पुराना माउंटेन रेलवे है । इस रूट से दार्जलिंग हिमालयन रेलवे के अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं। बता दें हिमालयन रेलवे का नाम रेलवे रूट को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में नामंकित किया गया था। यदि आप दार्जिलिंग हिमालयन टॉय ट्रेन पर चढ़ रही हैं, तो उच्च बर्फ़ से ढके पहाड़, ज़िगज़ैग मोड़ और रोमांचकारी खड़ी ढाल आदि आपके सफर को बेहद रोमांचकारी बनाएंगे। बोर्ड पर, आपको कंचनजंगा चोटी और दार्जिलिंग शहर का अविश्वसनीय चित्र-परिपूर्ण दृश्य देखने को मिलता है।
जयपुर से जैसलमेर-
जयपुर से जैसलमर जाते समय आप ट्रेन से थार रेगिस्तान का सुंदर नजारा देख सकते हैं। भारतीय रेलवे ने इस अद्भुत रेल की घोषणा अगस्त 2000 में की थी, इस रेल को अंदर से राजकीय दृश्य के साथ बहुत अच्छे तरीके से सजाया जाता है। राजा-महाराजाओ के जैसे भोजन मिलता है और राजाओ के पहरेदारो की पोशाको में यहाँ पर कर्मचारी यात्रियों की सेवा करते है। यह अरावली रेंज से होकर भारत के रेगिस्तानो में से गुजरती है। जोधपुर से जैसलमेर में लगभग 285 किलोमीटर की दूरी है, The Desert Queen एक विशिष्ट पर्यटक टूरिस्ट रेल है। यह प्रतापी रेल राजस्थान में दौड़ती है और वहां के हर संस्कृति को दर्शाती है जैसे रेगिस्तान की खुबसूरत मिटटी, ऊंट, जैसलमेर का किला, बाजार, पुरानी हवेलियाँ और वहां के लोगो का रहन सहन का तरीका, मेहरानगढ़ का किला तथा इत्यादि।
मंडपम से रामेश्वरम-
यह वाकई में एक बेहद ही खूबसूरत यात्रा है क्यों कि इस रूट में ट्रेन समुंद्र पर बने ब्रिज यानी पम्बम ब्रिज के ऊपर से गुजरती है, अगर आप चाहे तो आप उन खूबसूरत नजारों की तस्वीरें भी ले सकते हैं। बता दें यह पम्ब्म ब्रिज भारत का दूसरा सबसे बड़ा ब्रिज है। तमिलनाडु से रामेश्वरम तक 407 किलोमीटर की दूरी है जिसे तय करने में आपको समय लगता है और उस समय में आप इनके बीच के रास्ते का लुफ्त उठाते है। इसे महासागर की घुसपैठ यात्रा से भी जाना जाता है, पंबन पुल पर तमिलनाडु से रामेश्वरम तक ट्रेन छवि श्रोत रोमांच और रोमांच के अलावा तमिलनाडु में मंडपम से ट्रेन यात्रा पर पम्बन द्वीप पर रामेश्वरम शांत और शांति उत्पन्न करती है।यह एकमात्र मार्ग है जो मुख्य भूमि भारत को पंबन द्वीप से जोड़ता है।
कांगड़ा वैली रेलवे, हिमाचल-
कांगड़ा वैली रेलवे भारत की एक और हेरिटेज टॉय ट्रेन है जो पठानकोट और जोगिंद्रनगर के बीच संकीर्ण गेज पर चलती है। यह ट्रेन यूनेस्को की वर्ल्ड साइट है, जो पालमपुर के कई पुलों और चाय बागानों से गुजरती है। यह आपको Dhauladhar Range का भी भव्य दृश्य प्रस्तुत करता है। यह टॉय ट्रेन पठानकोट जंक्शन से होकर ज्वालामुखी रोड, कांगड़ा, नगरोटा, पालमपुर, बैजनाथ व जोगिंद्रनगर रूट पर चलती है।
कश्मीर रेलवे (जम्मू - उधमपुर) -
कश्मीर रेलवे भारत की सबसे खुबसूरत रेलवे लाइनों में से एक है जो 20 सुरंगों और हिमालयो पर 100 पुलों से गुजरती है, जो सबसे ऊँचे भारतीय रेलवे पुल निर्माणाधीन की मेजबानी भी करती है। कश्मीर रेलवे लाइन भारतीय रेल प्रणाली की सबसे चुनौतीपूर्ण रेल परियोजना है जो ठंड के अत्यधिक तापमान में प्रमुख भूकंप क्षेत्र, उच्च ऊंचाई पर्वत पास और इलाको को पार करती है। इस यात्रा में आपको प्राकृतिक सौंदर्य का सुख प्राप्त होगा, जिसे देखकर आपको ऐसा लगेगा कि आप स्वर्ग की यात्रा कर रहे है।
निलंबूर से शोरनुर -
निलंबूर दक्षिण रेलवे के नियंत्रण में शोरनुर रेलवे लाइन केरल में सबसे कम ब्रॉड गेज (Broad Gauge) रेलवे लाइनों में से एक है जिसमे 46 किलोमीटर का एक ट्रैक है। कई यात्री ट्रेनों और एक्सप्रेस ट्रेन वर्त्तमान में इस सुरमयी और पर्यावरण पर संचालित होती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पहाड़ियों, घाटियों और धान के खेतो में रहने वाले इलाके में बारिश होती है। केरल में मानसून पर्यटन का आनंद लेने और अनुभव करने के लिए इस मार्ग पर एक ट्रेन यात्रा सबसे अच्छा विकल्प है।
सागौन पेड़ इस सुन्दर मार्ग का मुख्य आकर्षण है, रेल लाइन मलप्पुरम (Malappuram) जिले के पूर्वी क्षेत्र से गुजरती है और ट्रैक के दोनों किनारों पर सागौन जंगलो की प्राकृतिक सुन्दरता और हरियाली का अनुभव कर सकते है। इस सदाबहार मार्ग पर 4 नदियाँ व कई धारायें है, निलंबूर के पास पर्यटक आकर्षण जैसे Teak Museum और दुनिया में सबसे लम्बा सागौन पेड़ जैसे कई जगहे है।
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