‘कस्तो मजा है ले लैईमा रमयलो ऊ काली ओराली’ अगर आपको परिणीता मूवी का ये गाना याद है तो आप समझ ही गए होंगे मैं आपको क्या बताने जा रहा हूँ? इस गाने में विद्या बालन और सैफ अली खान टॉय ट्रेन से खूबसूरती वादियों दिखाई देते हैं। जिसे घूमना पसंद है उसकी ख्वाहिश होती है कि वो कभी न कभी टॉय ट्रेन में सफर जरूर करे। टाॅय ट्रेन थोड़ा धीरे चलती है लेकिन जब चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ हों तो किसे जल्दी पहुँचने की फिक्र होती है? टॉय ट्रेन की यात्रा लंबी जरूर होती है पर ये यात्रा कुछ ऐसे एहसास छोड़ जाती है। जो आप जिन्दगी भर अपने यादों के पिटारे में संभाल कर रखने के लिए मजबूर हो जाएँगे। आज हम ऐसी ही कुछ टॉय ट्रेनों के बारे में बताने जा रहे हैं।
टाॅय ट्रेनें कारीगरी और तकनीक का बेहतरीन नमूना हैं। सुंदरता और साइंस का ये मिश्रण इसे और भी ज्यादा आकर्षक बनाता है। यदि आप इन ट्रेनों में सफर करने का मन बना रहें हैं तो पहले से ही बुकिंग कर लेनी चाहिए क्योंकि छुट्टियों के समय इनमें सीट नहीं मिलती है। इन टाॅय ट्रेनों में सफर के लिए लोगों में कितनी दीवानगी है ये आपको इस सफर में समझ आएगा। आइए अब उन टाॅय ट्रेनों के बारे में जान लेेते हैं।
भारत के सबसे पुराने और सबसे फेमस टॉय ट्रेन रूट में से एक है दार्जिलिंग की हिमालयन टॉय ट्रेन। इसे 1880 के आसपास बनाया गया था जिसके कुछ समय बाद इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया गया। ये ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक का सफर तय करती है। इस 80 किलोमीटर के रास्ते में ये सिलीगुड़ी, कुर्सियांग और घूम से होते हुए दार्जिलिंग पहुँचती है। अपनी इस यात्रा में ये ट्रेन 5 बड़े और करीब 500 छोटे पुलों को पार करती है। रास्तों के नजारे देखकर आप सचमुच झूम उठेंगे। पूरा रास्ता घुमावदार है और आड़े-तिरछे मोड़ से भरा हुआ है। रास्ता इतना शानदार है कि आप चाहेंगे कि ये रास्ता कभी खत्म ही न हो।
अगर आपके समय की कमी है और आप इतना लंबा सफर नहीं करना चाहते तो उसका भी एक हल है। घूम से लेकर दार्जिलिंग तक छोटी टॉय ट्रेन चलती है। ये ट्रेन आपको दार्जिलिंग से घूम ले जाती है और फिर वापस आपको दार्जिलिंग छोड़ देती है। पहाड़ों में सबसे खतरनाक कहे जाने वाले कैंची मोड़ और बतशिया लूप भी इसी रास्ते में पड़ते हैं। आप यहाँ का फेमस रेल म्यूजियम भी देख सकते हैं। कम समय वालों के लिए ये एक अच्छा विकल्प है। इस ट्रेन की पटरी सड़क के बहुत नजदीक से जाती है और अक्सर यहाँ लोग हाथ हिलाकर आपका स्वागत करते हैं।
रूटः ये ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक जाती है। बीच में पड़ने वाली जगह हैं घूम और कुर्सियांग।
कब जाएँ: मार्च से मई के बीच में।
कैसे बुकिंग करें?
बुकिंग करने के दो ऑप्शन हैं। पहला ये कि आप घूम स्टेशन से टिकट ले सकते हैं और दूसरा आप भारतीय रेल की आधिकारिक वेबसाइट irctc.co.in या irctctourism.com पर जा कर ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। दार्जिलिंग स्टेशन का कोड है (डीजे) और घूम का के लिए आप (घूम) सर्च कर सकते हैं।
कोयंबटूर के मेत्तुपलयाम से कून्नूर के रास्ते ऊटी तक का ये रास्ता 46 किलोमीटर लंबा है। इस ट्रेन का प्रस्ताव 1854 में रखा गया था लेकिन यहाँ के पथरीले रास्ते और घने जगलों के वजह से 1908 में बन कर तैयार हो पाई। ये ट्रेन 250 पुल और 16 सुरंग पार करके ऊटी पहुंचती है। ट्रेन की रफ्तार ज्यादा तेज नहीं है। ये एक घंटे में ज्यादा से ज्यादा 33 किलोमीटर चलती है। इसकी वजह है यहाँ के घुमाव और मोड़। लेकिन इस कम स्पीड का एक फायदा भी है।
हरे-भरे पहाड़ों के बीच से जब ट्रेन गुजरती है यकीन मानिए आप खुद नहीं चाहेंगे कि ट्रेन तेज चले। सुन्दर नजारों और जंगल के बीच से होकर जाती ये टाॅय ट्रेन वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है। इस ट्रेन की एक और खास बात है। अक्सर ट्रेन का इंजन आगे होता है लेकिन इसमें ट्रेन का इंजन पीछे लगा हुआ है। जिससे बोगियों को ऊँची जगह पर जाने में दिक्कम नहीं होती है। क्यों है न ये चौंका देने वाली बात?
रूटः मेत्तुपलयम (कोयंबटूर) से ऊटी।
कब जाएँ: अप्रैल से जून के बीच।
कैसे बुकिंग करें?
बुकिंग करने के लिए आपके पास दो ऑप्शन हैं। पहला तो आप भारतीय रेल की सरकारी वेबसाइट पर जा कर बुकिंग कर सकते हैं या आप सीधे स्टेशन से टिकट खरीद सकते हैं। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि टिकट खिड़की पर एक बार में एक व्यक्ति के लिए आप चार टिकट ही ले सकते हैं इसलिए ऑनलाइन बुकिंग सबसे अच्छा रहेगा। मेत्तुपलायम का कोड है (एमटीपी) और उदगामंडलम के लिए (यूएएम) कोड डालें।
दिल्ली वालों के लिए ये टॉय ट्रेन भाग-दौड़ भरी जिन्दगी से राहत देगी। शिमला दिल्ली वालों के लिए छुट्टियाँ बिताने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है। ऐसे में ये टॉय ट्रेन उनके ठिकाने तक जाने के लिए सबसे अच्छा रहेगा। 96 किलोमीटर की यात्रा में ये ट्रेन करीब 20 स्टेशन और अनगिनत सुरंगों को पार करते हुए आपको आपकी मंजिल पर पहुँचाती है। इसकी खास बात ये है कि इस यात्रा में पड़ने वाली सबसे आखिरी सुरंग भारत की फेमस सुरंगों में से एक है। ये सुरंग बड़ोग से शुरू होती है इसलिए ज्यादातर लोग टॉय ट्रेन में बड़ोग से ही बैठना पसंद करते है। बाकी ट्रेनों की तरह इस ट्रेन की स्पीड भी धीमी ही है लेकिन आप हिमाचल में हों और पहाड़ों की गोद में समय न बिताएँ ऐसा हो सकता है?
रूटः धरमपुर, सोलन, कंडाघाट, बड़ोग और शिमला।
कब जाएँ: दिसंबर से फरवरी के बीच।
कैसे बुकिंग करें?
इस ट्रेन के लिए पहले से टिकट लेना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि आप एक महीने पहले ही इसकी एडवांस बुकिंग करा सकते हैं। टिकट के लिए रेलवे की ऑफिशियल साइट पर जाइए और कालका के लिए (केएलके) और शिमला के लिए (एसएमएल) कोड डालें।
धौलाधर के पहाडों को करीब से देखना कितना खूबसूरत होगा? इसके लिए ज्यादा सोचिए मत बस पठानकोट से जोगिंदर नगर के लिए चलने वाली टॉय ट्रेन पकड़ लीजिए। आप में से कुछ लोग शायद इस रूट के बारे में जानते तक न हों। इसके लिए आपको बता दें कि पंजाब से हिमाचल के लिए भी एक टॉय ट्रेन चलती है जो अब भी लोगों के लिए अनछुई है। 163 किलोमीटर की दूरी नापने वाली ये ट्रेन ब्रिटिश राज में बनने वाली आखिरी माउंटेन ट्रेन है। इसको 1929 में बनाया गया था। इस यात्रा को पूरा करने में लगभग 10 घंटे का समय लगता है इसलिए अगर आपके पास समय की कमी न हो तभी इस सफर पर जाएँ। ये ट्रेन रास्ते में लगभग 971 पुल पार करती है लेकिन सुरंगें सिर्फ 2 ही हैं। जिस वजह से आप कुदरत के नजारे ज्यादा देख पाएँगे।
रूटः पंजाब के पठानकोट से शुरू होकर कांगड़ा और पालमपुर के रास्ते ये ट्रेन हिमाचल के जोगिंदर नगर तक जाती है।
कब जाएँ: मार्च से जून के बीच।
कैसे बुकिंग करें?
स्टेशन से टिकट ले सकते हैं या भारतीय रेलवे की वेबसाइट पर जा कर इस ट्रेन के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।
मुंबई-पुणे वालों के लिए ये टॉय ट्रेन किसी तोहफे से कम नहीं है। 20 किलोमीटर दूरी वाला ये सफर कम समय के लिए बेहतरीन है। ये ट्रेन नेराल से शुरू होती है, ये जगह मुंबई और पुणे के बीच पड़ती है। 20 किलोमीटर के इस रास्ते को पूरा करने में लगभग ढाई घंटे लगते हैं। बहुत सारे खूबसूरत दृश्यों से भरा ये सफर गर्मी के मौसम में एक ठंडी सुहानी हवा जैसा है। यह ट्रेन ज्यादातर वीकेंड पर चलती हैं इसलिए जाने से पहले इसके बारे में अच्छे से पता जरूर कर लेना चाहिए। बारिश के मौसम में इस ट्रेन को बंद कर दिया जाता है इसलिए मॉनसून आने से पहले यहाँ हो आना चाहिए। ट्रेन में एक फर्स्ट क्लास डिब्बा, तीन सेकेंड क्लास और सावधानी के लिए 2 ब्रेक वैन हैं।
रूटः नेराल, माथेरान और जुम्मापत्ती।
कब जाएँ: मार्च से मई के बीच।
कैसे बुकिंग करें?
इस ट्रेन के लिए आप स्टेशन से या रेलवे की वेबसाइट पर जा कर टिकट बुक कर सकते हैं। यदि आप स्टेशन से टिकट लेने की सोच रहें हैं, तो ट्रेन निकालने के 45 मिनट पहले आप इसका टिकट ले सकते हैं और एक व्यक्ति एक बार में सिर्फ चार टिकट ही ले सकता है। वेबसाइट से बुकिंग करने के लिए नेराल के लिए (एनआरएल) और माथेरान के लिए (एमएई) डालें।
क्या आपने कभी टॉय ट्रेन में सफर किया है? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।
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