मैं कॉर्पोरेट जॉब से परेशान होकर घूमने निकली थी और जयपुर में मिल गया नया घर-परिवार!

Tripoto

कॉलेज के बाद हम सबके कितने सारे सपने होते हैं। उन छोटी आँखों में बड़े-बड़े ख्वाब और उससे भी बड़े लक्ष्य के साथ मैंने अपने नए ऑफिस में कदम रखा। सोचा था जिंदगी में कुछ बड़ा करना है। मेरी पहली नौकरी इसी दिशा में मेरे छोटे से कदम की तरह थी और उसने ऐसा किया भी। लेकिन उस तरह नहीं जैसे मैंने सोचा था। नौकरी के शुरुआती 6 महीनों में ही मुझे समझ आ गया था कि मैं इस 9-5 वाली कॉर्पोरेट जॉब के लिए नहीं बनी हूँ। डब्बेनुमा क्यूबिकल में बैठकर भी मैं अपनी जिंदगी को वापस नएपन से भर देने के तरीके सोचती रहती थी। इसलिए एक दिन मैंने ये जोखिम उठा ही लिया और एक हफ्ते की ट्रिप के लिए जयपुर निकल पड़ी।

मेरी ट्रिप की शुरुआत कुछ खास नहीं रही। मैंने जयपुर के लिए बस पकड़ी और रेगिस्तानों के राज्य की राजधानी की तरफ चल पड़ी। इतने महीनों में ऐसा पहली बार हुआ था कि मेरे पास ना तो तय शेड्यूल था और ना ही कोई बना बनाया प्लान। मुझे रोकने-टोकने वाला भी कोई नहीं था। मैं जो करना चाहती थी कर सकती थी और वो भी अपने हिसाब से। मुझे याद है जयपुर शहर ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था और मेरे अंदर का जोश देखने लायक था। जैसे किसी छोटे बच्चे को किसी ने चॉकलेट पकड़ा दी हो। कुछ वैसी खुशी मेरे चेहरे पर भी थी। कितना सब कुछ था जयपुर में और यकीन मानिए मैं वो सब कर लेना चाहती थी। रोमांच और खुशी इतनी ज्यादा थी कि मैं रहने का ठिकाना भी कुछ वैसा ही चाहती थी। तब मैंने गो स्टॉप्स हॉस्टल देखा-ऐसी जगह जहाँ मैं अकेले आई थी लेकिन इस हॉस्टल ने मुझे एक भरे-पूरे परिवार से मिला दिया।

नए शहर में एक घर की तलाश

गो स्टॉप्स जयपुर

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हॉस्टल का शानदार एंट्रेंस।
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हॉस्टल का शानदार एंट्रेंस।

जयपुर पहुँचने के बाद मैं तुरंत अपने कमरे में नहीं जाना चाहती थी। किसी खाली कमरे में अपने विचारों के साथ बंद होना मेरे लिए सबसे आखिरी चीज थी। लेकिन गो स्टॉप्स में चेक इन करने के बाद मुझे पता चला मैं आसानी से हॉस्टल की डोरमेट्री में अपना ठिकाना ले सकती थी। मैंने फीमेल घुमक्कड़ों वाली डोरमेट्री में अपना बिस्तर चुना जहाँ पहले से तीन और घुमक्कड़ रह रहीं थीं। हॉस्टल की रंगीन दीवारें और अतरंगी सजावट यहाँ आने वाले हर यात्री का मन खुश कर देगी। मैं पहली बार किसी हॉस्टल में रहने वाली थी। हॉस्टल के घर जैसे माहौल में इतना अपनापन था कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं सच में अनजान लोगों के साथ रह रही हूँ। हॉस्टल की सजावट से लेकर हॉस्टल मैनेज करने वाले लोगों तक हर कोई मुझे परिवार जैसा लगने लगा। हॉस्टल की सजावट की खास तारीफ करनी बनती है। यहाँ की एक-एक चीज पर खास ध्यान दिया गया है। क्या चीज कहाँ और कैसे सजाई जाएगी इसके ऊपर भी काफी सोच विचार किया गया है। ऐसा मैं नहीं कह रही बल्कि ये आपको खुद देखकर समझ आएगा। डोरमेट्री की तो बात ही निराली है। रूम में 6 बिस्तर होने के बाद भी डोरमेट्री में बहुत जगह थी। लॉकर, प्लग प्वॉइंट और बिस्तर के बगल मे लैंप के साथ मैं अपने इस छोटे से आशियाने में बहुत खुश थी। हालांकि मुझे मेरे डॉर्म पार्टनर्स कहीं नहीं दिखाई दे रहे थे।

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छत पर बना रेस्त्रां

मैंने सोचा छत पर जाकर थोड़ा कुछ खाकर फिर जयपुर घूमने निकल जाऊंगी। हॉस्टल का रेस्त्रां दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आए घुमक्कड़ों से भरा हुआ था। रेस्त्रां का माहौल इतना शानदार था कि आप विश्वास नहीं करेंगे। वहाँ कुछ अलग तरह की एनर्जी थी जो हॉस्टल को और भी खूबसूरत बना रही थी। तो ये है वो जगह जहाँ सब लोग हैं, मैंने सोचा। सबका खाना खत्म हुए काफी देर हो चुकी थी लेकिन सब लोग सर्दियों की धूप के नीचे बैठकर एक दूसरे से बातें करने में लगे हुए थे। ये बातें भी ऐसी थी जिनका अंत होना नामुमकिन लग रहा था। ये नजारा देखकर मुझे अन्दर से एक अलग खुशी सी हुई। जयपुर के मुख्य आकर्षण के इतने पास होने के बावजूद, सभी लोगों ने हॉस्टल में रहकर एक साथ समय बिताना बेहतर समझा। बातों और खेल के साथ-साथ घुमक्कड़ी के किस्से भी सुनाए जा रहे थे। मेरे लिए भी गो स्टॉप्स परिवार ने पूरे अपनेपन के साथ जगह बनाई।

मैंने हॉस्टल के तमाम ऑप्शन्स में से अपना खाना लिया और यूरोप से आई एक महिला के साथ बातें करने बैठ गई। वो भी मेरी तरह काम से छुट्टी लेकर अगले 6 महीनों के लिए भारत घूमने आई थी। आपको ये जानकर शायद हैरानी हो रही होगी लेकिन वहाँ ज्यादातर लोग ऐसे ही लंबे समय के लिए भारत घूमने आए थे। उनमें से कुछ लोग खासतौर से भारत की संस्कृति को नजदीक से जानने के लिए आए थे। घुमक्कड़ों की इस दुनिया में मेरे काम से ब्रेक लेने के फैसले का खुले दिल के साथ स्वागत किया गया। इतने सारे लोगों के साथ जिन्होंने मेरी तरह किसी चीज से ब्रेक लिया था, मैं आखिरकार अपने घर आ गई थी। उसी रात मैंने अपनी 6 दिनों की ट्रिप को अनिश्चित बनाने का तय किया जिसके बाद अगले 1 महीने तक गो स्टॉप्स मेरा ठिकाना बनने वाला था।

गो स्टॉप्स ही क्यों?

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गो स्टॉप्स की डोरमेट्री

घुमक्कड़ी के मामले में मैं थोड़ी नखरे वाली हूँ। इसलिए रहने के लिए हमेशा लग्जरी ऑप्शन चुनना पसंद करती हूँ। लेकिन जब आपकी यात्रा का कोई निश्चित समय ना हो तब ऐसा करना मुमकिन नहीं होता है। मैं अपनी सारी सेविंग खत्म नहीं करना चाहती थी। मेरी इन सभी परेशानियों का एक हल था - गो स्टॉप्स। जहाँ मुझे कम पैसों में बढ़िया सुविधाओं के साथ-साथ साफ सफाई और घर जैसा माहौल मिला। क्योंकि मुझे इको-टूरिज्म से खास लगाव है इसलिए गो स्टॉप्स मेरे लिए और भी खास हो गया। गो स्टॉप्स को भारत के सबसे ग्रीन हॉस्टलों में गिना जाता है जो लगभग 600 वेरायटी के पौधों का घर भी है। केवल यही नहीं, इन पौधों के रख-रखाव में भी पूरा ध्यान दिया जाता है।

गो स्टॉप्स की सबसे अच्छी बात थी कि ये जयपुर के बीच में बना हुआ है। जिसकी वजह से शहर के मुख्य आकर्षणों की दूरी लगभग ना के बराबर है। गो स्टॉप्स में रहने के दौरान मैंने जयपुर का सबसे हसीन चेहरा देखा। मैंने हवा महल के पीछे होता सनसेट देखा, बापू बाजार से लहरिया दुपट्टे खरीदे, नाहरगढ़ किले से नीचे बसे चमकीले शहर का नजर देखा, लाल मास और दाल बाटी चूरमा खाने का स्वाद लिया और जयपुर की गलियों में पैदल घूमने का मजा उठाया।

गो स्टॉप्स जयपुर के सी- स्कीम इलाके में बना हुआ है जिसको सभी कैफे और रेस्त्रां का गढ़ कहा जाता है। मेरे दोस्त और मैं ऐसे ही घूमते हुए किसी भी कैफे में चले जाया करते थे। लेकिन चाहे जयपुर की हवा में मुझे कितना भी मजा आ जाए, वापस गो स्टॉप्स आकर में मुझे असल सुकून महसूस होता था। आज भी हॉस्टल के बारे में सोचने पर मेरे चेहरे पर हल्की से मुस्कान तैर जाती है। हॉस्टल के स्टाफ ने भी मेरी बहुत मदद की। अलग-अलग जगहों के रास्ते से लेकर टूरिस्ट माफियों से बचने तक की सभी टिप्स मुझे हॉस्टल के स्टाफ ने ही दी। मेरी पूरी यात्रा में घुमक्कड़ तो आते जाते रहे लेकिन गो स्टॉप्स का स्टाफ मेरा अलग परिवार बन गया था।

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हॉस्टल का रोमांचक कॉमन एरिया।

गो स्टॉप्स की दूसरी बढ़िया बात थी हॉस्टल का रोमांचक कॉमन एरिया। सुबह के उगते सूरज से लेकर रात के अंधेरे में भी हम सब वहीं बैठे रहा करते थे। इस कमरे को इतने अच्छे से बनाया गया है कि आपको अपने बिस्तर के सुकून की याद भी नहीं आएगी। कॉमन रूम में तरह-तरह के खेलों और किताबों की व्यवस्था की गई है। कुछ भी कहिए, किताबों से हर किसी को बात करने का टॉपिक मिल जाता है।

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हॉस्टल का मूवी रूम

गो स्टॉप्स में हमारा अगला अड्डा हुआ करता था हॉस्टल का मूवी रूम जहाँ हम सब साथ बैठकर रिलैक्स करते थे। गो स्टॉप्स के बढ़िया वाईफाई के चलते मैंने हॉस्टल में रहते हुए कई सारे फ्रीलांस प्रोजेक्ट पर काम भी किया।

तमाम प्लानिंग के बाद भी मेरी ये यात्रा इतनी सुंदर नहीं होती अगर मैं गो स्टॉप्स तक नहीं आती। हॉस्टल में रहने से मुझे बहुत सारी चीजें सीखने के लिए भी मिलीं। गो स्टॉप्स में रहना मेरी जिंदगी के खास पलों में शुमार हो गया है।

गो स्टॉप्स में रहना मेरे लिए किसी खूबसूरत सपने जैसा था और मैं किसी भी हाल में इसको बदलना नहीं चाहती हूँ। इसलिए अगर आप भी जयपुर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो मेरे हिसाब से आपको गो स्टॉप्स में रुकना चाहिए। क्या पता मेरी तरह आपकी जिंदगी में भी कुछ अनोखा हो जाए!

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