अगर आप भी पतंगबाजी के शौकीन हैं और पतंग उड़ाने के लिए मकर संक्रांति का इंतजार कर रहे हैं तो इस बार अपने घर पर पतंग उड़ाने की बजाए शामिल हो जाएं अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव में। देशभर में अलग-अलग जगहों पर बड़े- बड़े पतंगोत्सवों का आयोजन होता है। नववर्ष के आगमन के साथ ही लोगों में पतंगोत्सव को लेकर उत्साह बढ़ने लगता है। जिसमें कई सारे अनुभवी पतंगबाज अपना कौशल प्रदर्शन करते हैं। देखने वालों की भी भारी संख्या में भीड़ लगती है। हालांकि इस साल कोरोना के कारण इन पतंगोत्सवों के आयोजन को लेकर संशय ही है। लेकिन स्थिति को देखते हुए सुरक्षा के साथ ही हमें कोई भी भीड़ वाली जगहों पर शामिल होना चाहिए।
इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनायी जा रही है। इस दिन आसमान में हर रंग के पतंग जैसे लाल, नीले, पीले, हरे, फेशिया, इंडिगो, गेरु, गुलाबी, नारंगी रंगों कि उड़ती हुई पतंगे देखना खुद में एक मनोरम नजारा होता है। तो आइए आगे जानते हैं मकर संक्रान्ति पर्व का विस्तृत विवरण।
मकर संक्रांति का त्यौहार किस-किस नाम से मनाया जाता हैं:
मकर संक्रांति को दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाया जाता है। वहीं, गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है। गुजरात में मकर संक्रांति पर खास पंतग महोत्सव भी मनाया जाता है। वहीं, हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के नाम से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इस त्यौहार को 'खिचड़ी' कहा जाता है।
मकर संक्रांति का इतिहास:
ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगीरथ के आग्रह और तप से प्रभावित होकर गंगा उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंची और वहां से होते हुए वह समुद्र में जा मिली थीं। यही वहज है कि इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व माना जाता है।
मकर संक्रांति त्यौहार का महत्व:
इसके नाम में ही छुपा हुआ है। मकर का अर्थ है मकर राशि और संक्रांति का अर्थ है संक्रमण। इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। बारह महीने बारह राशियों के लिए हैं। सूर्य के सभी संक्रमणों में से यह संक्रमण जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को बहुत पवित्र माना जाता है तथा इस दिन से छह महीने के उत्तरायण का प्रारंभ होता है। ऐसा भी माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन से दिन थोड़े गर्म और थोड़े बड़े होने लगते हैं तथा फिर धीरे धीरे ठण्ड कम होने लगती है।
आइये जानते हैं किन राज्यों में मनाया जाता है पतंग महोत्सव
गुजरात:
गुजरात का पतंगोत्सव तो पूरे विश्व में विख्यात है। मकर संक्रांति का पर्व यहाँ बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग यहाँ अपनी- अपनी छतों पर तरह-तरह के आकार की पतंगें उड़ाते हैं। और लाई के लडू, चिक्की, गजक और मूंगफली खाकर इस पर्व का लुत्फ उठाते हैं। शायद आप सभी को पता है तो कि गुजरात में हर वर्ष 7 जनवरी से 15 जनवरी के बीच इंटरनेशनल काईट फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है। जिसे देखने के लिए जापान, मलेशिया, सिंगापुर, रूस आदि जगहों से पर्यटक आते हैं।
तेलंगाना:
तेलंगाना में भी अच्छे स्तर पर अंतरराष्ट्रीय पतंग दिवस का आयोजन किया जाता है। 13 से 15 जनवरी तक होने वाले इस पतंग महोत्सव में 40 से अधिक देशों के लोग हिस्सा लेते हैं। साथ ही यहाँ पर अलग-अलग स्टॉल, प्रदर्शनियां आदि भी लगती हैं। एक से बढ़कर एक आकृति की पतंग से यहाँ का आसमान भर जाता है, जो कि बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। नीले आसमान में रंग बिरंगी पतंगों को उड़ते हुए देख, एक अलग ही आनंद मिलता हैं।
जयपुर:
मकर संक्रांति के दौरान मनाया जाने वाला पतंगोत्सव पूरे राजस्थान में बेहद ही हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है।पतंगोत्सव राजधानी जयपुर के पोलो ग्राउंड में मनाया जाता है, यह पतंगोत्सव मकर संक्रांति से शुरू होता है, जो कि आने वाले तीन दिनों तक चलता है। जहाँ दुनिया भर से सबसे अच्छे पतंग उड़ाने वाले अपने पतंग उड़ने वाले कौशल दिखाते हैं। आसमान में उड़ती पतंगों का यह दृश्य वाकई बहुत शानदार होता है। तो आप भी अगर मकर संक्रांति पर्व पर राजधानी जयपुर के पतंगोत्सव का आनंद लेना चाहते है तो जरूर जाए।
पंजाब:
पंजाब का काइट फेस्टिवल बेहद लोकप्रिय है। पंजाब का काइट फेस्टिवल बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है और इस दिन सभी लोग खेत में एक से बढ़कर एक रंगीन पतंग उड़ाते हैं। इस दौरान लोग पेंच भी लड़ाते हैं और पतंगों को काटते हैं। फिर जो जीतता है, उसे पुरस्कार दिया जाता है। काइट फेस्टिवल किसी रोचक खेल से कम नहीं होता है। इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। अगर आप भी इन फेस्टिवल का आनंद लेना चाहते हैं तो जरूर शामिल हो और रंगीन आसमान के नज़ारों का आनंद लें।
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